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इतिहास के पन्नों से

क्या रहा है सिंधु प्रांत का इतिहास ?

अनिरुद्ध जोशी हाल ही में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अलग देश की मांग कर रहे लोगों ने एक विशाल रैली का आयोजन करके पाकिस्तान के अत्याचार के खिलाफ नारे लगाए। वहां के राष्ट्रवादियों ने सिंधी राष्ट्रवाद के संस्थापक जीएम सैयद की 117वीं जयंती पर पाकिस्तान से आजादी के समर्थन में रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने […]

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आज का चिंतन इतिहास के पन्नों से

ऋषि दयानंद ने वेदों में भरे ज्ञान भंडार से समाज व मानव जाति को परिचित कराया

ओ३म् ========== महाभारत के बाद वेदों की रक्षा एवं प्रचार के लिये उत्तरादायी लोगों के आलस्य प्रमाद के कारण वेद विलुप्त हो गये थे और देश व समाज में वैदिक ज्ञान के विपरीत अन्धविश्वास तथा सामाजिक कुरीतियां आदि प्रचलित हो गईं थी। इसी कारण हमारा पतन व देश की पराधीनता जैसे कार्य हुए। ऋषि दयानन्द […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के क्रांतिकारी आंदोलन के जनक : चापेकर बंधु

**चापेकर ब्रदर क्रांतिकारी आंदोलन के जनक*** लेख थोड़ा बड़ा है लेकिन निवेदन है कि अंत तक अवश्य पढ़ें,,,अभी हाल ही में कोरोना महामारी पूरी दुनिया में फैली जिसमे लाखो लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी उसी प्रकार 1896 में दुनिया के कई देशों सहित भारत में प्लेग की जानलेवा बीमारी फैली। शुरुआत में तटीय इलाके […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वदेशी और स्वराज्य के जाज्वल्यमान नक्षत्र थे महर्षि दयानंद

महर्षि दयानंद के विषय में समाज सुधारकों/चिंतकों के विचार ___________________________________________ १- “स्वराज्य और स्वदेशी का सर्वप्रथम मन्त्र प्रदान करने वाले जाज्वल्यमान नक्षत्र थे दयानंद |” – लोक मान्य तिलक २- आधुनिक भारत के आद्द्निर्मता तो दयानंद ही थे | महर्षि दयानन्द सरस्वती उन महापुरूषो मे से थे जिन्होनेँ स्वराज्य की प्रथम घोषणा करते हुए, आधुनिक […]

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इतिहास के पन्नों से

ऋषि दयानंद ने सत्यार्थ प्रकाश के द्वारा वेदों की रक्षा का महान कार्य किया

ओ३म ========== ऋषि दयानन्द को अपने बाल्यकाल में सच्चे ईश्वर की खोज तथा मृत्यु पर विजय प्राप्ति के उपाय जानने की प्रेरणा हुई थी। उन्हें इस सम्बन्ध में अपने किसी पारिवारिक सदस्य व विद्वानों से समाधान प्राप्त नहीं हुआ था। इन प्रश्नों के समाधान के लिये उन्होंने अपने पितृगृह को छोड़कर एक सच्चे धर्म जिज्ञासुकी […]

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इतिहास के पन्नों से

भारत के संविधान में रामचंद्र जी के चित्र का क्या औचित्य और महत्व है

भारतीय संविधान तैयार होने के साथ ही इतिहास के चुनिंदा महात्माओं, गुरुओं, शासकों एवं पौराणिक पात्रों को दर्शाते हुए संविधान के अलग-अलग भागों में सजाया. प्रत्येक चित्र भारत की अनंत विरासत से एक सन्देश और उद्देश्य को व्यक्त करता है . संविधान के भाग 3 में भगवान श्री राम के चित्र का मायने क्या है […]

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इतिहास के पन्नों से

आखिर क्यों लुटती थी बार-बार सोने की चिड़िया ?

___________________________________ महान इतिहासकार विल ड्यूराँ ने अपना पूरा जीवन लगाकर वृहत ग्यारह भारी-भरकम खंडों में “स्टोरी ऑफ सिविलाइजेशन” लिखी था। उसके प्रथम खंड में भारत संबंधी इतिहास के अंत में उन्होंने अत्यंत मार्मिक निष्कर्ष दिए थे। वह हरेक भारत-प्रेमी के पढ़ने योग्य है। हजार वर्ष पहले भारत विश्व का सबसे धनी और समृद्ध देश था। […]

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इतिहास के पन्नों से

प्राचीन काल से ही रही है भारत में गणतंत्र की व्यवस्था

अनिरुद्ध जोशी अंग्रेजी इतिहास में डेमोक्रेसी शब्द सबसे पहली बार हिरोडोटस (Herodotus) नाम के ग्रीक व्यक्ति द्वारा उपयोग किया गया था। परंतु कहा जाता है कि सबसे पहले 507-508 ईसा पूर्व एथेंस में डेमोक्रेसी की जो शुरुआत हुई उसके पीछे क्लेशिथेंस (cleisthenes) नाम के व्यक्ति का हाथ था। एथेंस में पहले महिलाओं को नहीं पुरुषों […]

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आओ कुछ जाने इतिहास के पन्नों से

वैदिक संपत्ति : भारत में विदेशियों के तृतीय दल का आगमन

  गतांक से आगे… विदेशियों के तृतीय दल का आगमन कहलाडे कौन हैं ? दक्षिण में चितपावन जाति से संबंध रखने वाली एक तीसरी जाती और है ,जिसका नाम ‘कहलाडे ब्राह्मण ‘ है ।यह भी बाहर वाले हैं ।विद्वानों का अनुमान है कि यह चीन देश के रहने वाले हैं ।आगे के वर्णन से स्पष्ट […]

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इतिहास के पन्नों से

30 दिसंबर 1943 : ब्रिटिश शासन से मुक्ति घोषित मुक्ति का पहला दिन

30 दिसंबर – एक ऐसा दिन जिसे भारतीय इतिहास के पन्नों से बिलकुल गुम सा कर दिया गया। स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले अमर क्रांतिकारियों की सफलता के इस दिन को क्या सरकार,क्या जनता और क्या मीडिया सभी ने पूरी विस्मृत कर दिया। किसी ने सच ही कहा है “इतिहास जंग याद रखता है शहीद […]

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