सुभाष काक प्राचीन भारतीय मंदिर मानव जाति की कुछ सबसे बड़ी कलात्मक उपलब्धियाँ हैं, जिन्हें दुनियाभर में माना जाता है, लेकिन उनके इतिहास को समझने के लिए पर्याप्त अनुसंधान नहीं किया गया है। वर्तमान की अनिश्चितता और भ्रम के माध्यम से खोज, अतीत का ज्ञान रोशनी प्रदान करता है, जिसके कारण इतिहास का अध्ययन […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
भारतीय इतिहास का विस्मृत पृष्ठ : महाराजा विक्रमादित्य … … आज से 2075 वर्ष पहले भारतीय इतिहास में एक नूतन युग का शुभारम्भ कर संवत् प्रारम्भ करनेवाले महाराज विक्रमादित्य कौन हैं, यह प्रश्न भारतीय इतिहास की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। जिस विक्रम का न्याय लोकविश्रुत है, जिसके भूमि में दबे हुए सिंहासन […]
वैदिक संपत्ति गतांक से आगे … द्रविड़ और आर्य शास्त्र पुराणों में जितने यज्ञों का वर्णन है,उन सब में यजुर्वेद से अध्वर्यु की ही योजना पाई जाती है। विष्णु और वायुपुराण के देखने से ज्ञात होता है कि, जनमेजय के दोनों यज्ञों के शल्क यजुर्वेद से अध्वर्यु की की योजना हुई थी। और धर्मराज के […]
किले हमारे अतीत के गौरव हैं। दुर्ग, द्वंद्व, गढ़, आदि भी इसके पर्याय हैं किंतु किले से मूल आशय था कि जिस जगह को कील की तरह स्थिर कर दिया गया हो अथवा जहां से नजर रखी जा सके। दुर्ग से आशय था जहां पहुंचना दुर्गम हो। गढ़ मूलत: गढने या बनाने का अर्थ […]
3 अप्रैल/जन्म-दिवस फील्ड मार्शल मानेकशा 20वीं शती के प्रख्यात सेनापति फील्ड मार्शल सैमजी होरमुसजी फ्रामजी जमशेदजी मानेकशा का जन्म 3 अपै्रल 1914 को एक पारसी परिवार में अमृतसर में हुआ था। उनके पिता जी वहां चिकित्सक थे। पारसी परम्परा में अपने नाम के बाद पिता, दादा और परदादा का नाम भी जोड़ा जाता है; पर […]
◆ इतिहासकार का कर्तव्य… _”इतिहासकार का यह कर्तव्य है कि वह अपने पात्रों की आकांक्षाओं, भावनाओं और कारनामों का भी यथारूप चित्रण करे। यह तभी सम्भव है जब वह अपनी पहले से बनाई धारणाओं को एक ओर रख दे और इस बात की भी परवाह न करे कि उसके इस चित्रण से वर्तमान के हितों […]
#विक्रमादित्य आज आप विक्रम संवत चलाने वाले विक्रमादित्य का इतिहास पढ़ रहे है। जिन्होंने भयंकर युद्धोंमें विदेशी आक्रमणकारियोंको परास्तकर , भारतकी रक्षा की और उन्हें इस देश से निकाल बाहर कर , अपने नाम से संवत् चलाया , जो आज तक विक्रम संवत के नामसे पुकारा जाता है ।आप ही का चलाया संवत् अबतक पञ्चाङ्गों […]
मथुरा के प्रसिद्ध मन्दिर को तोड़ा गया औरंगजेब को यह भली प्रकार जानकारी थी कि उसके पूर्वज बाबर ने किस प्रकार 1528 ई0 में भारतीय इतिहास के महानायक श्री रामचन्द्र जी के मन्दिर को अयोध्या में तुड़वाया था । अब उसे भी मुस्लिमों के बीच लोकप्रिय होने के लिए मथुरा में श्री कृष्ण के […]
अपने गौरवशाली इतिहास को लिए दार्शनियों, कवियों और सूफी सन्तों के शहर पानीपत को बड़ा गर्व है । इसी शहर के सनातन धर्म महाविद्यालय में एक बार एक ईसाई पादरी आया और उसने वहाँ के पंडितों और विद्वान प्रोफेसरों को चैलेंज किया कि तुन्हें अपने वेदों पर बड़ा गर्व है और तुम वेदों को भगवान […]
ओ३म् ========== स्वामी श्रद्धानन्द महर्षि दयानन्द के अनुयायी, आर्य समाज के नेता, प्राचीन वैदिक शिक्षा गुरूकुल प्रणाली के पुनरुद्धारक, स्वतन्त्रता संग्राम के अजेय सेनानी तथा अखिल भारतीय हिन्दू शुद्धि सभा के प्रधान थे। हिन्दू जाति को संगठित एवं शक्तिशाली बनाने के लिए आपने एक पुस्तक ‘हिन्दू संगठन – क्यों और कैसे?’ का प्रणयन किया था। […]