10 मई 1857 की प्रातः कालीन बेला। स्थान मेरठ । जिस वीर नायक ने इस पूरे स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण एवं क्रांतिकारी भूमिका निभाई थी वह अमर शहीद धन सिंह कोतवाल चपराना निवासी ग्राम पाचली मेरठ थे। क्रांति का प्रथम नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल। नारा – ‘मारो फिरंगियों को।’ मेरठ में ईस्ट इंडिया कंपनी की […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
ओ३म् -आज ऋषि बाल्मीकि के आदर्श महामानव राम के जन्मदिवस रामनवमी महापर्व के उपलक्ष्य में- “राम का वनगमन से पूर्व अपने पिता दशरथ व माता से प्रशंसनीय संवाद” राम को हमारे पौराणिक बन्धु ईश्वर मानकर उनकी मूर्तियों की पूजा करते वा उनको सिर नवाने के साथ यत्र तत्र समय-समय पर राम चरित मानस का पाठ […]
बलात्कार का आरंभ~ पढ़े यौन अपराध किसकी की देन~ मुझे पता है 90 % लोग बिना पढ़े ही निकल लेंगे लेकिन मेरा निवेदन है एक बार समय निकाल कर पढ़ियेगा जरूर!! ~~आखिर भारत जैसे देवियों को पूजने वाले देश में बलात्कार की गन्दी मानसिकता कहाँ से आयी।। ~~आखिर क्या बात है कि जब प्राचीन […]
द्वितीय क्रूश युद्ध (1147-1149) जब सन् 1144 में मोसल के तुर्क शासक इमादुद्दीन ज़ंगी ने एदेसा को ईसाई शासक से छीन लिया तो पोप से सहायता की प्रार्थना की गई और उसके आदेश से प्रसिद्ध संन्यासी संत बर्नार्ड ने धर्मयुद्ध का प्रचार किया। किसी संत का इस प्रकार युद्ध का प्रचार करना फिर मानवता […]
20 अप्रैल/इतिहास-स्मृति विजयनगर साम्राज्य के प्रेरक देवलरानी और खुशरोखान मध्यकालीन इतिहास में हिन्दू गौरव के अनेक पृष्ठों को वामपंथी इतिहासकारों ने छिपाने का राष्ट्रीय अपराध किया है। ऐसा ही एक प्रसंग गुजरात की राजनकुमारी देवलरानी और खुशरो खान का है। अलाउद्दीन खिलजी ने दक्षिण भारत में नरसंहार कर अपार धनराशि लूटी तथा वहां हिन्दू कला […]
जो लोग कला जगत में बहुत ऊंचाई पर पहुंच जाते हैं, उनमें से अधिकांश को आचार-व्यवहार की अनेक दुर्बलताएं घेर लेती हैं; पर भजन गायन की दुनिया में अपार प्रसिद्धि प्राप्त जुथिका राॅय का जीवन इसका अपवाद था। इसका एक बहुत बड़ा कारण यह था कि उनका परिवार रामकृष्ण मिशन से जुड़ा हुआ था। […]
18 अप्रैल/बलिदान-दिवस दामोदर हरि चाफेकर उस बलिदानी परिवार के अग्रज थे, जिसके तीनों पुष्पों ने स्वयं को भारत माँ की अस्मिता की रक्षा के लिए बलिदान कर दिया। उनका जन्म 25 जून, 1869 को पुणे में प्रख्यात कथावाचक श्री हरि विनायक पन्त के घर में हुआ था। दामोदर के बाद 1873 में बालकृष्ण और […]
ललित गर्ग वंचितो, शोषितों और समाज में हाशिए पड़े हुए लोगों के उत्थान के लिए उन्होंने कई कल्याणकारी कार्य किए और समाज में अलग-थलग रह रहे लोगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का महत्वपूर्ण कार्य किया। वे सशक्त, संतुलित, जातिवाद एवं रूढ़ि-आडम्बरमुक्त भारत निर्माण के पुरोधा थे। उनकी मानवीय संवदेनाओं ने केवल दलितों, […]
महाभारत लेखन की विचारणीय बातें :— राजा भोज ने अपने “संजीवनी” नामक ऐतिहासिक ग्रन्थ में लिखा है कि, वेदव्यास जी ने चार सहस्त्र चार सौ श्लोक में ‘जय’ ग्रन्थ की रचना की, जिसके रचयिता (वक्ता) स्वयं वेद व्यास जी व श्रोता वैशम्पायन थे | उनके शिष्य वैशम्पायन ने पांच सहस्र छः सौ श्लोक जोड़कर दस […]
चंद्रशेखर, पूर्व प्रधानमंत्री 1980 में लोकसभा का चुनाव हुआ। बाबू जगजीवन राम पार्टी के नेता थे। जनता पार्टी के टूटने से लोगों का उससे मोहभंग हुआ और इंदिरा गांधी की वापसी निश्चित थी। बाबू जगजीवन राम को नेता बनाने के मोरारजी भाई खिलाफ थे। मैं भी उनके नाम से सहमत नहीं था। चुनाव के […]