(भक्त अमीचंद की पुण्यतिथि पर विशेष रूप से प्रकाशित) प्रेषक- डॉ विवेक आर्य स्वामी दयानन्द 1877 को रावलपिंडी से चलकर झेलम पहुँचे। उन दिनों अमीचंद मेहता वहां के दरोगा थे। झेलम जिले पिण्डदादन खाँ तहसील के हरणपुर गांव निवासी अमीचंद मेहता तहसील में पहले लिपिक के रूप में नियुक्त हुए और उन्नति करते करते […]
श्रेणी: इतिहास के पन्नों से
विजयसिंह पथिक भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान सत्याग्रह का सबसे पहले प्रयोग करने वाले सफल राजनेता थे। उन्हीं के विचारों से प्रेरित होकर आगे चलकर गांधी जी ने इसी सत्याग्रह को अपना राजनीतिक हथियार बनाकर काम किया। होली के दूसरे दिन दुल्हेंडी 27 फरवरी, 1884 को उनका जन्म उत्तर प्रदेश के गुलावठी शहर के […]
श्री कृष्णचंद्र भार्गव (भैया जी) का जन्म 27 जुलाई, 1926 को अजमेर (राजस्थान) में श्री कन्हैयालाल भार्गव के घर में हुआ था। वे हॉकी, फुटबॉल तथा क्रिकेट के अच्छे खिलाड़ी थे; पर जब उनके कई साथी शाखा जाने लगे, तो 1941 में वे भी संघ की ओर आकर्षित हो गये। वे एक सम्पन्न, शिक्षित […]
भारतीय इतिहास के विकृतिकरण के प्रति संकल्पित भारत-द्वेषी लोगों ने कई ढंग या उपाय अपनाएं हैं ।उनमें से एक उपाय यह भी है कि भारत प्रेमी इतिहासनायक या नायकों को बदनाम करो और फिर जनता में उनके प्रति तिरस्कार भाव उत्पन्न हो जाए तो धीरे-धीरे उन्हें इतिहास के पन्नों से विलुप्त कर दो। ऐसा […]
#डॉविवेकआर्य . कुछ दिन पहले मैं किसी मित्र की MA की इतिहास की पुस्तक पढ़ रहा था.उसमे लिखा था प्राचीन भारत में जाति को वर्ण कहा जाता था. संस्कृत भाषा में वर्ण का अर्थ है रंग. अतः रंग के आधार पर उत्तर भारतीयों ने गौरे रंग वालों को ब्राह्मण कहा. उत्तर भारत के काले […]
सोमनाथ मंदिर के बारे में बताने की ज्यादा जरूरत नहीं, मगर पिछले दिनों जब मैंने ‘स्कन्दपुराण’ के ‘प्रभासखंड’ की भूमिका लिखी तो उसके रचनाक्षेत्र और रचनाकाल की ओर मेरा ध्यान अंतर्साक्ष्य पर गया। प्रभासखंड स्कंदपुराण का अंतिम, सातवां खंड है और इसमें गुजरात और राजस्थान की पृष्ठभूमि के तीर्थों का विवरण अधिक है : प्रभास […]
#डॉविवेकआर्य मर्यादापुरुषोतम श्री रामचंद्र जी महाराज के जीवन को सदियों से आदर्श और पवित्र माना जाता हैं। कुछ विधर्मी और नास्तिकों द्वारा श्री रामचन्द्र जी महाराज पर शम्बूक नामक एक शुद्र का हत्यारा होने का आक्षेप लगाया जाता हैं। सत्य वही हैं जो तर्क शास्त्र की कसौटी पर खरा उतरे। हम यहाँ तर्कों से […]
अदम्य साहस और शौर्य का प्रतीक राजा दाहिर सेन सब लोगों को मारता हुआ भी नहीं मारता, यह बात आज के कानून विदों के लिए या विधि विशेषज्ञों के लिए समझ में न आने वाली एक रहस्यमयी पहेली है। पर इसे हमारे वीर योद्धाओं ने भारतीय स्वाधीनता और संस्कृति की रक्षा के अपने प्रण […]
क्यों है हमारी स्वाधीनता का रक्षक राजा दाहिर सेन? दाहिर सेन को स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय संस्कृति का रक्षक क्यों कहा जाए ? इस प्रश्न पर भी विचार करना बहुत आवश्यक है । क्योंकि कई लोगों को ऐसी भ्रांति हो सकती है कि हम ऐसा किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर कह रहे हैं। संस्कृति […]
कौन था वह राजा जिसके राजगद्दी पर बैठने के बाद उनके श्रीमुख से देववाणी ही निकलती थी और देववाणी से ही न्याय होता था? कौन था वह राजा जिसके राज्य में अधर्म का संपूर्ण नाश हो गया था? महाराज विक्रमादित्य बड़े ही दुख की बात है कि महाराज विक्रमादित्य के बारे में […]