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इतिहास के पन्नों से

आज भी ताजा है 1984 के सिख विरोधी दंगों के घाव

 राकेश सैन बड़े से बड़े आतंकी हमलों के बावजूद पंजाब का साम्प्रदायिक सौहार्द बरकरार रहा और दोनों ने मिल कर आतंकवाद से लोहा लिया। सिख विरोधी दंगों के दौरान भी इस रिश्ते को पूरी गम्भीरता से निभाया गया परन्तु दंगों की भयावहता की घटनाओं के बीच इन घटनाओं पर किसी का ध्यान नहीं जा पाया। […]

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इतिहास के पन्नों से

बहुत ही गौरवशाली रहा है प्राचीन भारत में रसायन विज्ञान का इतिहास

ओम प्रभात अग्रवाल भारत में रसायन शास्त्र की अति प्राचीन परंपरा रही है। पुरातन ग्रंथों में धातुओं, अयस्कों, उनकी खदानों, यौगिकों तथा मिश्र धातुओं की अद्भुत जानकारी उपलब्ध है। इन्हीं में रासायनिक क्रियाओं में प्रयुक्त होने वाले सैकड़ों उपकरणों के भी विवरण मिलते हैं। वस्तुत: किसी भी देश में किसी ज्ञान विशेष की परंपरा के […]

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इतिहास के पन्नों से

पाकिस्तान बनाने में कांग्रेसी मुस्लिम लीग के नेताओं का खेल ———श्याम सुन्दर

                                 ——————————————१९२० में मुसलमानों ने मुस्लिम लीग के नेतृत्व में कांग्रेस के नेता गांधी को राज़ी कर लिया कि कांग्रेस उनके ख़िलाफ़त के आंदोलन को अपना समर्थन देकर मुस्लिम लीग के सहयोग से अंग्रेजों के विरुध्द अशांति पैदा करे तथा इसी समय अफ़गनिस्तान का आमिर अमानुल्ला हिंदुस्तान पर हमला कर दिल्ली में इस्लामिक राज्य […]

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इतिहास के पन्नों से

स्वतंत्रता दिवस के साथ नेहरू का षड्यंत्र —श्याम सुन्दर पोद्दार     ———————————

————२५ नवम्बर १९४९ ई. को संविधान सभा  में मसौदे को अन्तिम स्वरूप देते हुवे  डॉक्टर  बाबा साहेब अम्बेडकर जी ने कहा था कि ‘ दिनाँक २६ जनवरी १९५० ई. को हिन्दुस्थान एक स्वतंत्र देश होगा’(संसद सभा चर्चा खण्ड ११ व प्रष्ठ ९७७से) १४ अगस्त १९४७ को  पाकिस्तान स्वतंत्र हुआ परन्तु शेष भारत गवर्नर जेनरल माउंटबेटन […]

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इतिहास के पन्नों से भारतीय संस्कृति

सभ्यता की शक्ति में ही छिपी है भारत की आत्मा

प्रस्तुति -श्रीनिवास आर्य भारत के राजनेताओं का यह कत्र्तव्य है कि वे चुनाव से पहले मतदाताओं को अर्थात् राष्ट्र को यह बतलाएँ कि उनकी दृष्टि में भारत का बल क्या है और भारत की निर्बलता या कमजोरी क्या है? साथ ही बल को बढ़ाने के लिए और कमजोरी को खत्म करने के लिए कौन से […]

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इतिहास के पन्नों से

एक मुस्लिम शासक था अंग्रेजों को भारत लाने वाला

उगता भारत ब्यूरो अखंड भारत पर अंग्रेजों, पुर्तगालियों और फ्रांसीसियों ने पहले व्यापार के माध्यम से अपनी पैठ जमाई फिर यहां के कुछ क्षेत्रों को सैन्य बल और नीति के माध्यम से अपने पुरअधीन करने का अभियान चलाया। अंग्रेजों के आने के पहले भारत के अधिकांश भू-भाग पर जाट छत्रियों, राजपूतों, सिखों और दक्षिण के […]

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इतिहास के पन्नों से स्वर्णिम इतिहास हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

भारत का वास्तविक राष्ट्रपिता कौन ? श्रीराम या ……. सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा भगवान श्रीराम, अध्याय – 3

वनवास में भी पुरुषार्थ करते रहो भारत के विषय में मुसलमान लेखक वस्साफ ने अपने ग्रंथ “तारीख-ए-वस्साफ” में बहुत सुंदर कहा है – “सभी इतिहासवेत्ता यह मानते हैं कि भारतवर्ष भूमंडल का एक अति रमणीय और चित्ताकर्षक देश है। इसकी पावन पुनीत मिट्टी के रजकण वायु से भी अधिक हल्के और पवित्र हैं। इसकी वायु […]

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इतिहास के पन्नों से

व्यावसायिक शब्दावली भी बहुत उन्नत और समृद्ध थी प्राचीन भारत में

प्रो. भगवती प्रकाश अथर्ववेद के वाणिज्य सूक्त सहित यजुर्वेद, अथर्ववेद व ऋग्वेद वैदिक काल में उद्योग-व्यवसाय क्षेत्र से जुड़ी शब्दावली का प्राचुर्य मिलता है। मात्र धन या पूंजी की पृथक प्रकृति होने पर पृथक शब्दावली का प्रावधान था। इसके अलावा सभी प्रकार के उद्यमों की स्थापना, संचालन व प्रबन्ध और उनसे सत्यनिष्ठा एवं नैतिकता के […]

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इतिहास के पन्नों से

प्राचीन ईरान व यूरोप में वैदिक सूर्योपासना

प्रो. भगवती प्रकाश प्राचीन ईरान के पारसी मत के धर्म ग्रंथ ‘अवेस्ता’ में वैदिक देवताओं पर विमर्श के अतिरिक्त सूर्य के मित्र या मिथ्र नाम से प्रचलित प्राचीन मन्दिरों के प्रचुर अवशेष हैं। यूरोप के समस्त पुरातात्विक उत्खनन एवं संग्रहालयों में भी मित्र य मिथ्र के प्राचीन पुरावशेषों की प्रचुरता है। आज भी यूरोप में […]

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इतिहास के पन्नों से

जम्मू कश्मीर के भारत में विलय में भी सरदार पटेल ने निभाई थी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी

अवधेश कुमार कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में जम्मू-कश्मीर से कार्यसमिति के सदस्य तारिक हामिद कर्रा ने जिस तरह सरदार पटेल की आलोचना करते हुए कहा कि कश्मीर पर वह उदासीन थे और यह कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने त्वरित पहल नहीं की होती तो वह पाकिस्तान के कब्जे में चला जाता, उससे ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण कुछ […]

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