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इतिहास के पन्नों से

पाकिस्तान बनाने में कांग्रेसी मुस्लिम लीग के नेताओं का खेल ———श्याम सुन्दर

    

                            ——————————————१९२० में मुसलमानों ने मुस्लिम लीग के नेतृत्व में कांग्रेस के नेता गांधी को राज़ी कर लिया कि कांग्रेस उनके ख़िलाफ़त के आंदोलन को अपना समर्थन देकर मुस्लिम लीग के सहयोग से अंग्रेजों के विरुध्द अशांति पैदा करे तथा इसी समय अफ़गनिस्तान का आमिर अमानुल्ला हिंदुस्तान पर हमला कर दिल्ली में इस्लामिक राज्य स्थापित करेगा। पर आमिर अमानुल्लाह का तख्ता बच्चा साक़ु ने पलट दिया, इसलिए वे इस्लामिक राज्य हिंदुस्तान में स्थापित करने में असफल हुए। ख़िलाफ़त आंदोलन तो टांय – टांय फिस्स हो गया,पर मुस्लिम लीग के  नेता मौलाना मोहम्मद अली, मौलाना आज़ाद गाँधी की कृपा से कांग्रस के अध्यक्ष ज़रूर बन गए। मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली ने १९१३ में अपना उद्देश्य साफ़ कर दिया था। उत्तर भारत मुसलमानों को दे दो, दक्षिण भारत हिंदुओं को और भारत का विभाजन कर दो। गांधी के कांग्रेस पर नियंत्रण होने से १९२४ में मोहम्मद अली कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए तथा मौलाना आज़ाद वरिष्ठ नेता बन गए कालांतर में मौलाना आज़ाद कांग्रेस के अध्यक्ष भी वर्षों तक रहे। मोहम्मद अली हो या मौलाना आज़ाद कांग्रेस में रह कर इस्लामिक राज्य पाकिस्तान कैसे बनाया जाय इस दिशा में कार्य करते रहे।                       

    मौलाना आज़ाद ने इस्लामिक राज्य की कल्पना की :

१९२७ के कलकता में  सम्पन्न मुस्लिम लीग के सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए “मुस्लिम प्रभुत्व वाले पाँच राज्यों के निर्माण का लाभ बताया। यह योजना मुस्लिम हितों की रक्षा के लिए एक अच्छा उपाय है। यदि  हिंदू प्रभुत्व वाले राज्यों में मुसलमानो के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है, मुसलमानों को मुस्लिम प्रभुत्व वाले राज्यों में हिन्दुओं से बदला लेने का अवसर मिलेगा।…. अब हम मुस्लिमों के पास हिन्दुओं के ९ राज्यों की तुलना में ५ राज्य होंगे। (पेज ६९, डॉक्टर अम्बेडकर ऑन मायनॉरिटीज़ पुस्तक,लेखक- श्री प्रकाश सिंह)।
     मौलाना आज़ाद के दिखाए मार्ग पर चलते हुए मुस्लिम लीग के इलाहाबाद में २९-३१दिसम्बर१९३० के  सम्मेलन में मुस्लिम होमलैंड  की माँग करते हुए मोहम्मद इक़बाल ने प्रस्ताव रखा,”I would like to see Punjab,North West Frontier  Province, Sindh, Baluchistan amalgamated into a single state self Government within the British Empire or without British Empire.The formation of Consolidated North-West Indians Muslim state appears to me the final destiny of Muslims at least of North West India.                            
मुस्लिम लीग के इलाहाबाद सम्मेलन समाप्त होने के दूसरे दिन  १ जनवरी १९३१ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व वर्तमान में कार्यकारिणी समिति के सदस्य  मुस्स्लिम लीग नेता मोहम्मद  अली ने ब्रिटेन के प्रधान मंत्री को इस प्रकार का टेलीग्राम भेजा,”The real problem before us is to give full  power to Muslims in Such provinces as those in which they are in Majority.Unless in these provinces Muslim Majorities are established by new Constitution. I submit not as a threat but a very humble and friendly warning, there will be a civil war”
वाह क्या ग़ज़ब खेल है ? कांग्रेस का मुस्लिम लीगी  नेता मौलाना आज़ाद इस्लामिक राज्य बनाने की रूप रेखा प्रस्तुत करता है और दूसरा कांग्रेस का मुस्लिम लीगी नेता मोहम्मद अली इस्लामिक राज्य के लिए गृह युद्ध की धमकी देता है।
जब गवर्मेन्ट ऑफ़ इंडिया एक्ट  १९३५ के तहत बम्बई प्रेज़िडेन्सी से अलग करके सिंध प्रांत का निर्माण किया गया, तब कांग्रेस में मुस्लिम लीगी नेता मौलाना आज़ाद ने अपने समाचार पत्र “अल-हलाल “ के सम्पादकीय में लिखा”यह दिन भारतीय मुसलमानों के लिए स्वर्णिम दिन है। इसने पश्चिम में मुस्लिम  मेजोरिटी स्टेट की शृंखला खड़ी कर दी। जिसे किसी दिन मुसलमान अपनी  होमलेंड  के रूप में माँग सकता है। 

      मौलाना आज़ाद ने मुस्लिम लीग को सत्ता दिलवायी :

१९३७ के प्रान्तीय  विधान सभा के चुनाव में मुस्लिम लीग प्रायः असफल रही। सिंध की ३४,सरहदी प्रदेश की ३६,बिहार की ४० सीटों में उसे शून्य सीट मिली। पंजाब में ९९ में मात्र १ सीट,असम में ३९ में १०,संयुक्त प्रदेश में ६५ में से २६,बंगाल में ११९ में ४० सीट मिली। कही भी मुस्लिम लीग सत्ता नहीं पा सकती थी। बंगाल में कांग्रेस को ६१ सीट मिली तथा फ़ज़लुल हक़ की कृषक मज़दूर प्रजा पार्टी को मुस्लिम आरक्षित सीटों में ३४ सीट मिली। बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस ने फ़ज़लुल हक़ के साथ समझौता कर लिया तथा बंगाल में सरकार गठन करने का मार्ग प्रशस्त हो गया। इस समझौते को गांधी ने भी अपनी स्वीकृति प्रदान कर दो। मौलाना आज़ाद ने यह कह कर की कि यदि ऐसा हुआ तो बृहत्तर मुस्लिम समाज कांग्रेस से नाराज़ हो जाएगा,गांधी का मन बदल दिया तथा इस समझौते को तुड़वा दिया।
    अब फ़ज़लुल हक़ अपने घोर विरोधी मुस्लिम लीग की गोद में बैठने को मजबूर हो गए तथा मुस्लिम लीग बंगाल की सत्ता में भागीदार हो गई। मुस्लिम लीग का मुस्लिम समाज में रास्ट्र व्यापी महत्व बढ़ गया। जिसका परिणाम यह हुआ १९४५ के केंद्रीय विधानसभा के चुनाव में मुस्लिम लीग सभी ३० मुस्लिम  सीट जीत गयी। कांग्रेस के इन मुस्लिम लीग नेताओं की ख़ुराफ़त को गाँधी ठीक से समझ गए। मौलाना आज़ाद के  चलते ही मुस्लिम लीग को बंगाल में  १९३७ में सत्ता मिली। गाँधी ने यह समझ मौलाना आज़ाद को नही हटाया तो वह बचे हुए खण्डित भारत को इस्लामिक  राज्य बनाने की दिशा में काम करेगा, गाँधी  ने मौलाना आज़ाद को आदेश दिया वे नए लोगों को जगह देने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल से पदत्याग करे(The Transfer of Power,42-7,Volume XII page 594,601)पर मौलाना आज़ाद ने गांधी के आदेश का पालन नही किया। कांग्रेस में अब गाँधी कमजोर हो गये थे। गाँधी को अपनी माँग मनवाने  के लिए नेहरू सरकार के विरुद्ध अनसन करना पड़ता है। नेहरू मौलाना के पीछे खड़े हो गए।

देश के बँटवारे के बाद जब दिल्ली के मुसलमान पाकिस्तान जा रहे थे,तब मौलाना आज़ाद ने जामा मस्जिद पहुँच कर,उन्हें पाकिस्तान जाने से यह कहकर रोका,”भारत जैसा देश जो पहले कभी इस्लामिक शासन के अन्तर्गत था,इस्लाम के लिए उसे पुनः अपने अन्तर्गत करना आवश्यक है। (पुस्तक – इस्लाम के तीन सिद्धांत -लेखक,डॉक्टर राधे श्याम ब्रह्मचारी, पृष्ठ ५०)।
     इसको कैसे प्राप्त किया जाए इस निमित्त मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के चेयरमेन, मरहूम अली मियाँ ने मुस्लिम महिलाओं को आदेश दिया,”मुस्लिम महिलायें अपनी योनि को एक शस्त्र के रूप में ब्यवहार करे। जिससे अधिक से अधिक बच्चे पैदा हों, ताकी मुस्लिम बहुसंख्यक हो जाये व भारत जल्द से जल्द मुस्लिम बहुसंख्यक राष्ट्र बन जाये। तब उन्हें कोई लड़ाई भी नही लड़नी पड़ेगी। भारत गणतंत्रिक तरीक़े से मुसलमानों के वोटों के चलते इस्लामिक देश में बदल जाएगा। ( दी इस्लामिक वर्ल्ड व्यू -लेखक,सुजाता हज़ारिका व रम्या मुरलिथरन,पृष्ठ -२३)।                                             मौलाना आज़ाद के उद्धेश्य व अली मियाँ के दिखाए मार्ग पर चलते हुए १९४७ से २०११ तक मुसलमानो ने अपनी जनसंख्या में ६ गुणा बढ़ोतरी की है ,जबकि इसी समय में हिन्दुओं-सिखों की जनसंख्या में ३ गुणा के लगभग बढ़ोतरी हुई है। १९४७ में खण्डित भारत में मुसलमानों की जनसंख्या २.५ करोड़ थी,जो २०११ की जनगणना के हिसाब से १५ करोड़ हो गयी। हिंदू व सिखों की जनसंख्या २८ करोड़ थी,१.४ करोड़ पाकिस्तान से आए यानी २९.४ करोड़ हो गयी। वह २०११की जनगणना के अनुसार ८४ करोड़ हो गयी।  १९४७ में उत्तर प्रदेश में *मुसलमानों की जनसंख्या १४ प्रतिशत थी ३ प्रतिशत मुसलमान पाकिस्तान चले गये। यानि ११ प्रतिशत हो गयी अब  २० प्रतिशत है। उसी तरह पश्चिम बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या १९४७ में १८ प्रतिशत थी बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसंख्या ३० प्रतिशत थी २४ प्रतिशत हिन्दू शरणार्थी की तरह पश्चिम बंगाल में आए। मुसलमानों की जनसंख्या १८ प्रतिशत से घट के ५ प्रतिशत होनी चाहिए। पर अनुप्रवेश व अधिक बच्चों को पैदा कर इन्होंने अपनी जनसंख्या २७ प्रतिशत पहुँचा दीहै। किसी भी सरकार के पास भारत को इस्लामिक राष्ट्र में बदलने से रोकने की ताक़त नही है। अब भगवान ही हिन्दुओं का रखवाला है।

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