*राष्ट्र चिंतन* केपी शर्मा ओली ने संसद भंग कर नेपाल के लोकतंत्र को संकट में डाला, नेपाल की गरीबी और फटिहाली ही बढेगी। *विष्णुगुप्त* मध्यावधि चुनाव की पहली आधारषिला बहुमत का अभाव होता है। इस कसौटी पर नेपाल को मध्यावधि में ढकल देना असंवैधानिक तो है ही, इसके अलावा लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था की कसौटी […]
श्रेणी: महत्वपूर्ण लेख
– मुरली मनोहर श्रीवास्तव बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर देश-दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। इस बंदी का बिहार में भी काफी प्रभाव पड़ा है। समाज का स्वरुप बहुत हद तक परिवर्तित भी हुआ। देश तथा देश की बाहर की संस्थाएं बिहार आकर शोध भी शराबबंदी की सफलता पर कर चुकी हैं, […]
किसी भी संस्था या संस्थान को गरिमामय बनाने के लिए उसका दिव्य और भव्य होना बहुत आवश्यक माना गया है। जब तक कोई संस्था ,संस्थान या व्यक्तित्व दिव्य और भव्य नहीं होगा तब तक उसकी गरिमा में चार चांद नहीं लग सकते । यही कारण है कि मनु महाराज सहित हमारे जितने भी राजनीति […]
अजय कुमार उत्तर प्रदेश में शिक्षक कोटे की जिन छहः सीटों पर चुनाव हुए उसमें से तीन पर भाजपा और एक पर सपा उम्मीदवार जीता। दो निर्दलीय शिक्षक प्रत्याशियों ने भी जीत दर्ज की। कांग्रेस प्रत्याशियों को यहां भी शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी ने सियासत का तौर-तरीका ही बदल […]
अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस- 9 दिसम्बर 2020 -ः ललित गर्ग:- अन्तर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार निरोध दिवस प्रतिवर्ष 9 दिसम्बर को पूरे विश्व में मनाया जाता है। 31 अक्टूबर 2003 को संयुक्त राष्ट्र ने एक भ्रष्टाचार-निरोधी समझौता पारित किया था और तभी से यह दिवस मनाया जाता है। पूरे विश्व में एक समृद्ध, मूल्याधारित समाज को बनाए रखने के लिए भ्रष्टाचार […]
भारतीय रिज़र्व बैंक ने हाल ही में एक सर्वेक्षण प्रतिवेदन जारी किया है, जिसमें यह बताया गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के 48 मापदंडों में से 30 मापदंडों पर भारत ने अपनी स्थिति को मज़बूत कर लिया है, अर्थात इन मापदंडो पर जो स्थिति कोरोना वायरस फैलने के पहिले थी, उसे या तो प्राप्त कर […]
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों एवं कर्तव्यों का विवरण अध्याय 2 , 3 , 4, और 4 A में मिलता है। अध्याय 2 में भारतीय नागरिकता किसको प्राप्त होगी ?- इसके संबंध में प्रावधान किया गया है। 26 जनवरी 1950 कोजब भारतीय संविधान लागू हुआ तब किस-किस को नागरिकता की मान्यता देनी […]
डॉ. ओमप्रकाश पांडेय भारतीय परम्परा में वेद को ब्रह्माण्डीय ज्ञान के मूल स्रोत के रूप में स्वीकार करते हुए इसे ईश्वर का नि:श्वास ही माना गया है (यस्य नि:श्वसितं वेदा यो वेदोभ्योऽखिलं जगत्)। यद्यपि वेदों का प्रतिपाद्य विषय सार्वभौमिक उत्कृष्टता के समुच्चय से ही संबंधित है, जिसे देश या काल के आधार पर विभाजित […]
प्रो. कुसुमलता केडिया यह आज हमें पता है कि भारत का वर्तमान स्वरूप 15 अगस्त 1947 की देन है। आज अखंड भारत की कल्पना में हम केवल पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़ते हैं। परंतु हमें यह स्मरण रखना चाहिए कि बर्मा, श्रीलंका, अफगानिस्तान आदि भी भारत के ही भाग रहे हैं। यदि हम केवल […]
*पुष्पक अवस्थी की वाल से साभार *मैने कुछ माह पूर्व लिखा था कि मेरा आंकलन है कि 2020 के जाते जाते भारत जलेगा। मुझे लगता था कि सितंबर 2020 के बाद भारत को सीमाओं पर और आंतरिक रूप से झझकोरा जाएगा।* *भारत में लगने वाली यह आंतरिक दवानल, चीन के लिए उस अनुकूल स्थिति का […]