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महत्वपूर्ण लेख

भावनाएं ,शब्द और भारतीय संविधान

केवल कृष्ण पनगोत्रा भारतीय संविधान में 26 जनवरी 1950 के बाद सौ से अधिक संशोधन हो चुके हैं। इनमें अब तक का सबसे महत्त्वपूर्ण 42वां संशोधन अधिनियम, 1976 है। इसे लघु संविधान के रूप में जाना जाता है। इसके तहत कुछ अन्य अत्यंत महत्त्वपूर्ण संशोधन भी किये गए हैं। प्रमुखत: इस संशोधन के तहत भारतीय […]

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प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे काल की आर्थिक चुनौतियां

शिवेश प्रताप पिछले कुछ समय से तमाम अंतरराष्ट्रीय आर्थिक पंडितों को धता बताते हुए भारत, वैश्विक अपेक्षाओं से भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है। इसी के फलस्वरुप पूरी दुनिया अब भारत को निर्विवाद रूप से सबसे तेजी से प्रगति करने वाली अर्थव्यवस्था मान चुकी है। इसी क्रम में भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

सनातन भारत ,राम मंदिर और आरएसएस

भारत सनातन है और सनातन ही भारत है। इन दोनों का अन्योन्याश्रित संबंध है । जिसे समझना प्रत्येक भारतीय के लिए आवश्यक है जो इस पहेली के रहस्य को समझ जाता है वह भारत को समझ जाता है और फिर उसे सनातन को समझने में भी देर नहीं लगती। जिस प्रकार सनातन और भारत का […]

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मर्यादा लांघती राजनीतिक़ बयानबाजी

सुरेश हिन्दुस्तानी देश में लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच राजनीतिक दलों में बयानों की आंधी सी चल रही हैं। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपने आपको आम जनता का हितैषी सिद्ध करने का प्रचार कर रहे हैं। इन बयानों में कहीं कहीं राजनीति की मर्यादा का भी उल्लंघन भी होता दिख रहा है। चुनाव […]

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महत्वपूर्ण लेख संपादकीय

राम मंदिर और संघ की राष्ट्रवादी चिंतनधारा

17 मार्च 2024 को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक संपन्न हुई। जिसमें एक प्रस्ताव राम मंदिर निर्माण के संदर्भ में पारित किया गया।इस प्रस्ताव में राम मंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में संपन्न हुए प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा गया कि श्री अयोध्या धाम में […]

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चुनाव चिन्ह : कभी दो बैलों की जोड़ी और दीपक की धूम थी

सुभाष आनंद – विनायक फीचर्स देश के प्रत्येक चुनाव में विभिन्न पार्टियों के लिए चुनाव चिन्ह महत्वपूर्ण पहचान होती है। इसी के द्वारा मतदाता पसंदीदा प्रतिनिधियों का चुनाव करता है। इसीलिए राजनीतिक दलों का जोर आकर्षक, सरल और जाने-पहचाने चुनाव चिन्ह पर होता है। जैसे अभी जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कमल के फूल को लेकर […]

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….तो क्या इतिहास मिट जाने दे, अध्याय 14 “भारत जोड़ो” से “पूर्वोत्तर छोड़ो” तक पहुंची कांग्रेस

आज़ादी से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के राज्य उस समय के असम और बंगाल के भाग हुआ करते थे। जब कांग्रेस और मुस्लिम लीग की नीतियों के चलते देश का विभाजन हुआ तो पूर्वी बंगाल पूर्वी पाकिस्तान के नाम से पाकिस्तान के साथ चला गया। मजहब के आधार पर हुए इस विभाजन ने देश को […]

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असफलता की इबारत लिखती केजरीवाल की शिक्षा नीति

ललित गर्ग- देश ही नहीं, दुनिया के अनेक देशों में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने अपने शिक्षा मॉडल को अनुकरणीय बताया एवं अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि के रूप में बहुप्रचारित किया लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय में इसकी पोल खुल गयी। न्यायालय ने दिल्ली की स्कूलों की स्थिति अत्यंत चिन्तनीय, दुखद एवं अपर्याप्त बताते […]

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…… तो क्या इतिहास मिट जाने दें , अध्याय 13 ‘मीरजाफरी परंपरा’ : गांधी से गांधी तक

महात्मा गांधी ने कभी हमारे देश में ‘खिलाफत आंदोलन’ चलाया था। बहुत लोग हैं जो यह मानते हैं कि खिलाफत का अर्थ अंग्रेजों का विरोध करना था। जबकि सच यह नहीं था। सच यह था कि टर्की के खलीफा को अंग्रेजों ने जब उसके पद से हटा दिया तो उसकी खिलाफत अर्थात धार्मिक जगत में […]

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मल्लिकार्जुन खड़गे का मौन और कांग्रेस छोड़ने की नेताओं की भगदड़

(लिमटी खरे) सर्दी, गर्मी, बरसात के अलावा एक मौसम और आता है साल में, वह है पतझड़ का। बसंत ऋतु के आगमन के कुछ दिनों बाद से ही पतझड़ का मौसम आरंभ होने लगता है। पतझड़ में हरे भरे वृक्षों से पत्ते झड़ते जाते हैं और कुछ दिनों तक हरा भरा पेड़ इस तरह प्रतीत […]

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