विनाशपर्व लेखक:- प्रशांत पोळ ऑस्ट्रीया के एक मिशनरी, जॉन फिलिप वेस्डिन, अठारवी शताब्दी के अंत में केरल के मलाबार में काम कर रहे थे. वर्ष १७७६ से १७८९ तक वह केरल में थे. उन्होने यूरोप में वापस जा कर, वर्ष १७९६ मे, रोम में अपना लेख (जिसे उन्होने account कहा हैं) प्रकाशित किया. इस में […]
श्रेणी: आओ कुछ जाने
✍🏻 – भाई परमानन्द निवृत्ति-मार्ग का अर्थ अपने लिए मुक्ति या शान्ति प्राप्त करना है। संसार में बहुत-से मनुष्य ऐसे हैं जो प्रवृत्ति-मार्ग की अपेक्षा इसे अच्छा समझते हैं। जिस समय समाज अपनी प्राकृतिक अवस्था में होता है तो इस सिद्धान्त पर न कोई आपत्ति आती है, न कोई विघ्न पड़ता है। निःसंदेह यह ठीक […]
लेखक :- स्वामी स्वतंत्रानन्द जी प्रस्तुति :- सहदेव समर्पित प्रिय पाठकवृन्द!! वर्षों पुरानी घटना है। जिला सोनीपत में एक सज्जन मास्टर अमरसिंह के नाम से प्रसिद्ध थे। वह ग्राम रोहणा के निवासी थे। सोनीपत से जो सड़क खरखोदा को आती है, खरखोदा से उसकी दो सड़कें होगई हैं, एक रोहतक को जाती है दूसरी सांपला […]
एशिया क्यों पीछे रह गया, यूरोप या अमरीका क्यों आगे चले गये? ऐसे सवालों के जवाब ढूँढने में एक शब्द आता है ‘रिनैशां’ या पुनर्जागरण। यह माना जाता है कि यूरोप भी सो रहा था, मगर एशिया से पहले जाग गया। एशिया कुछ देर से जागा। अगर बृहत इतिहास में देखें तो चार सौ […]
वर्षा ऋतुचर्या वर्षा ऋतु में वायु का विशेष प्रकोप तथा पित्त का संचय होता है। वर्षा ऋतु में वातावरण के प्रभाव के कारण स्वाभाविक ही जठराग्नि मंद रहती है, जिसके कारण पाचनशक्ति कम हो जाने से अजीर्ण, बुखार, वायुदोष का प्रकोप, सर्दी, खाँसी, पेट के रोग, कब्जियत, अतिसार, प्रवाहिका, आमवात, संधिवात आदि रोग होने की […]
#डॉविवेकआर्य विषय-वेद और क़ुरान में से ईश्वरीय ज्ञान कौन सा हैं? डॉ ज़ाकिर नाईक ने अपने वीडियो में केवल क़ुरान को सभी के मानने के लायक धार्मिक पुस्तक बताता है। उसके अनुसार प्रत्येक काल में अल्लाह की ओर से धार्मिक पुस्तकें तौरेत, जबूर, इंजील एवं अंत में क़ुरान अवतरित करी गई। क़ुरान अंतिम एवं […]
आज महर्षि मनु को नारी विरोधी बताया जा रहा है मुस्लिम उलेमा कहते हैं कि कुरआन में औरत का दर्जा ऊँचा है. आइए तुलनात्मक रूप से देखें. बाइबल और कुरआन दोनों ही महिला की कीमत पुरुष से लगभग आधी है. यहाँ बाइबल का क्या कहना है।(सन्दर्भ लैव्यव्यवस्था 27: 3-7 ) और तेरा अनुमान पुरुष के […]
-विष्णु शर्मा वास्तव में शाकाहार हर प्राणी से प्रेम करना सिखाता है क्योंकि शाकाहारी व्यक्ति हिंसा नहीं करता और जो हिंसा नहीं करता उससे अन्य जीव जंतु भी प्रेम करते हैं .. इंसान जबसे इस दुनिया में आया है तब से उसके साथ एक चीज़ और आई है और वो है भूख। भूख ऐसी बात […]
पूरी दुनिया में जिस वन्यजीव का सर्वाधिक शिकार तथा जिसके अंगों की तस्करी की जाती है वह पेंगोलिन है। पैंगोलिन प्रकृति इकोसिस्टम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्तनधारी जीव है। भारत में इसे दीमकखोर / चींटीखोर कहा जाता है नाम से ही जाहिर है यह प्रकृति में जंगलों में नदियों के खादर में दीमक व चीटियों को […]
पुनर्जन्म -सहदेव समर्पित 1 सृष्टि के जड़ पदार्थों में भी पुनर्जन्म है। यथा- पानी गर्म होकर भाप बन जाता है। वह ऊपर जाकर बादल के रूप में बरसता हुआ पुनः पृथ्वी पर आ जाता है। अधिक शीतलता पाकर वही बर्फ का रूप ले लेता है। अर्थात् सृष्टि के आरम्भ से अब तक पानी की एक […]