एक समय था जब राजनीतिक लोगों की झलक पाने के लिए लोग आतुर रहा करते थे। बड़ी मुश्किल से लोगों की अपने नेताओं और जनप्रतिनिधियों से नजदीकियां विकसित हो पाती थीं। नेता के लिए सब अपने होते थे और कोई अपना नही होता था। इसलिए नेता सबके प्रति समानता का भाव बरतते थे, वह अपने […]
श्रेणी: संपादकीय
महात्मा गांधी की अहिंसा को लेकर आरंभ से ही वाद विवाद रहा है। इसमें कोई संदेह नही कि अहिंसा भारतीय संस्कृति का प्राणातत्व है। पर यह प्राणतत्व दूसरे प्राणियों की जीवन रक्षा के लिए हमारी ओर से दी गयी एक ऐसी गारंटी का नाम है, जिससे सब एक दूसरे के जीवन की रक्षा के संकल्प […]
भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]
भाजपा जब अस्तित्व में आयी थी तो इसने ‘पार्टी विद डिफरेंस’ का नारा दिया था। उसका अभिप्राय लोगों ने यह लगाया था कि यह पार्टी अन्य पार्टियों की राह को न पकडक़र राजनीति में अपना रास्ता अपने आप बनाएगी और वह रास्ता ऐसा होगा जो अन्य पार्टियों के लिए और इस देश की भविष्य की […]
पाकिस्तान इस्लाम की ‘दारूल इस्लाम और दारूल हरब’ की मूल सोच का परिणाम था जिसे जिन्नाह ने हवा दी और करोड़ों मुस्लिमों ने उसकी आवाज पर पाकिस्तान जाने का निर्णय ले लिया। यदि जिन्नाह पाकिस्तान का निर्माता और भारत का विभाजक नही था और मुसलमानों ने भारत में सदा इस देश की संस्कृति में, इतिहास […]
जब तक एक मत अर्थात हम सब राष्ट्रवासी एक सी मति वाले और विचार वाले न हो जाएं, तब तक हमारी गति की दिशा सही नही होगी। एक जैसी मति ही सही गति का निर्धारण करती है। इसीलिए महर्षि दयानंद का विचार था कि जब तक एक मत, एक हानि-लाभ एक सुख दुख परस्पर न […]
यह दुर्भाग्यपूर्ण रहा कि जब सारा देश और सारा विश्व अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मना रहा था और भारत इस दिवस की गौरवानुभूति में आत्ममुग्ध था, तब कांग्रेस का ‘मुखिया गांधी परिवार’ विदेशों में छुट्टी मना रहा था। सोनिया गांधी ऐसे किसी भी कार्यक्रम में सम्मिलित और उपस्थित हो सकती थीं, जिसमें चर्च के पवित्र कार्यों […]
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए स्कूलों के पाठ्यक्रम में 25 फीसदी हिस्सा योग, संगीत और खेल के लिए नियत किया है। इस एक निर्णय के दूरगामी परिणाम आएंगे। हमारे बच्चों को स्कूलों से ही अपने देश और संस्कृति के विषय में सीखने समझने को तो कुछ मिलेगा […]
देश में आपातकाल लागू करने की घटना के चालीस वर्ष पूरे हो रहे हैं। 25 जून 1975 की रात्रि से देश में पहली बार आपातकाल लागू किया गया था। उस समय देश को स्वतंत्र हुए तीन दशक भी नही बीते थे कि अचानक लोगों की छाती पर तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वज्रपात करते हुए […]
भारत के विषय में मि. कोलमैन ने कहा है कि भारत के साधु संतों एवं कवियों ने नैतिक नियमों की शिक्षा दी, और इतने सुंदर कवित्व का प्रदर्शन किया, जिसकी श्रेष्ठता स्वीकार करने में विश्व के किसी भी देश, प्राचीन अथवा अर्वाचीन को लेशमात्र भी झिझक नही होती। भारत के गर्वनर जनरल रहे वारेल हेस्टिंग्स […]