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संपादकीय

‘वन रैंक-वन पैंशन’ की मांग

हम शांति पाठ करते समय ‘ओ३म् द्यौ: शांतिरंतरिक्षं शांति : पृथिवी:….’ के मंत्र से द्यौलोक से लेकर पृथ्वी तक और जलादि प्राकृतिक पदार्थों से लेकर वनस्पति जगत तक में शांति शांति भासने का वर्णन करते हैं, और अंत में इन सबमें व्याप्त इस शांति के लिए प्रार्थना करते हैं कि यही शांति मुझे भी प्राप्त […]

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संपादकीय

गीता प्रेस के लिए प्राणसंकट?

विश्व को ज्ञान विज्ञान का मार्ग दिखाने वाले ‘विश्वगुरू’ भारत के विषय में आज का सच यह है कि यहां हिंदी पुस्तकों के पाठक अन्य देशों की अपेक्षा बहुत कम हैं। देहात में अशिक्षा अधिक है, जो लोगों को पुस्तकों से दूर करती है तो शहरों में हर वस्तु के प्रति व्यक्ति के दृष्टिकोण में […]

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संपादकीय

जनसांख्यिकीय आंकड़े और मुसलमान

भारत में साम्प्रदायिक आधार पर जनसांख्यिकीय आंकड़े जारी कर दिये गये हैं। जिनके अनुसार देश की कुल जनसंख्या का 79.8 प्रतिशत हिंदू हैं। 14.2 प्रतिशत मुसलमान हैं। 2.3 प्रतिशत ईसाई हैं, 1.7 प्रतिशत सिख हैं, 0.4 प्रतिशत जैन और 0.7 प्रतिशत अन्य लोग हैं। इसके अतिरिक्त 0.2 प्रतिशत लोग देश में ऐसे भी हैं, जिन्होंने […]

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संपादकीय

‘सारी दाल ही काली है’

देश के राजनीतिक दलों और राजनीतिज्ञों को केन्द्र सरकार के उस शपथपत्र से वास्तव में ही राहत मिली होगी जिसे उसने सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुत कर कहा है कि राजनीतिक दलों को आरटीआई कानून की सीमाओं में नही लाया जा सकता। केन्द्र का मानना है कि ऐसा करने से राजनीतिक दलों का कामकाज प्रभावित होगा। […]

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संपादकीय

नेता समस्या उत्पन्न करते हैं-(2)

उपरिलिखित निर्देश हमारे हिन्दू समाज की भीतरी दुरावस्था की ओर संकेत करते हुए हमें उस समय की वास्तविकता से परिचित कराते हैं। स्वतन्त्र भारत में हमें भारत के नवनिर्माण के लिए इस दुरावस्था को दूर करने के लिए लड़ाई लडऩे की आवश्यकता थी उससे हमने मुँह फेर लिया। हमने सामाजिक विकृति के विरूद्घ एक आन्दोलन […]

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संपादकीय

नेता समस्या उत्पन्न करते हैं-(1)

हम समाज में देखते हैं कि यहां भावनाएं कत्र्तव्य से आगे चलकर कार्य करती हैं। इन भावनाओं को साम्प्रदायिक नारे संप्रदाय, जाति आदि के विचार और भी अधिक उभारते हैं। मनुष्य अज्ञानवश इन नारों और संप्रदाय व जाति की बातों में फंसकर बह जाता है। मनुष्य का इन छोटी बातों को बड़ा मानना और उनमें […]

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संपादकीय

स्वच्छता अभियान के अर्थ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन दिनों स्वच्छता पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। अच्छा लगता है जब लोगों को भी इस ओर जागरूक होते देखा जाता है। सचमुच हमने अपने मरने के लिए अपने आप ही प्रकृति और पर्यावरण के साथ इतनी छेड़छाड़ की है कि अब यदि इसकी भरपायी न की गयी तो स्थिति संभालनी […]

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संपादकीय

इलाहाबाद उच्च न्यायालय का ऐतिहासिक निर्णय

18 अगस्त 2015 का दिन भारत के इतिहास के लिए एक स्मरणीय दिवस बन गया है। इस दिन न्यायपालिका के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ते हुए देश में जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपना आदेश देते हुए कहा है कि जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों और अन्य उच्च […]

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संपादकीय

मोदी को दिख रही हैं बारूदी सुरंगें

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यू.ए.ई. (संयुक्त अरब अमीरात) की अपनी यात्रा के दौरान वहां मिले अभूतपूर्व सम्मान पर ठीक ही कहा है कि यह सम्मान मेरे देश के सवा सौ करोड़ लोगों का सम्मान है और यह भी कि यह सम्मान करवट लेते भारत के उदीयमान स्वरूप का सम्मान है। प्रधानमंत्री ने अबूधाबी से सत्रह […]

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संपादकीय

हरिजनों का अपना दायित्व

भारत में ऐसी बहुत सी जातियाँ हैं जो अनुसूचित जाति अथवा अनुसूचित जनजाति में परिगणित की जाती हैं। भारतीय समाज के विषय में यह एक रोचक तथ्य है कि यहाँ जो जातियाँ निम्न मानी जाती हैं, उनसे भी निम्न जातियों को ये अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति की जातियाँ हेयभाव से देखती हैं। जैसे जाटव […]

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