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राजनीति संपादकीय

साबरमती के संत का चमत्कार

साबरमती के संत का कमाल यही है कि उसकी नीतियों के सहारे लोग आज देश पर शासन करने में सफल हो रहे हैं। यह वास्तव में जनता की भावनाओं से किया गया खिलवाड़ है, जो हर बार और हर स्तर के चुनाव में किया जाता है। केवल भारत ही एक ऐसा देश है-जिसमें चुनाव को […]

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मुद्दा विशेष संपादकीय संपादकीय

पाकिस्तान : अन्त होने ही वाला है

हम क्या हैं? इसे हमें संसार नहीं बताएगा, अपितु हमें ही स्थापित करना पड़ेगा कि-‘हम ये हैं।’ जब तक कोई देश अपनी विदेश नीति को इस आधार पर निर्मित नहीं करता है- तब तक वह  एक याची के रूप में अंतर्राष्ट्रीय मंचों और संस्था-संस्थानों पर खड़ा दिखायी देता है। पर जैसे ही वह देश वेद […]

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संपादकीय

भारत में राज्य और मुस्लिम महिलाएं-4

इस राष्ट्र के शासक सुधारक नहीं रहे हैं, यह बात सर्वमान्य हो चुकी है। ये सुधारों से डरकर इधर-उधर की बातों से जनता का मन बहलाकर मात्र समय व्यतीत कर रहे हैं। वे क्रांति की ओर हमारा ध्यान आकृष्टï कर रही है। इस क्रांति की रानी लक्ष्मीबाई बनकर, ‘तस्लीमा नसरीन’ और ‘जहांआरा बेगम’ जैसी कई […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

देशद्रोही कौन?

भारत में सर्वधर्म समभाव की बातें करते हुए हिंदू मुस्लिम ईसाई के भाई भाई होने की बात कही जाती है। इससे पूर्व भारत का आर्यत्व-हिंदुत्व इस पृथ्वी को एक राष्ट्र तथा इसके निवासियों को भूमिपुत्र कहकर भाई भाई मानता रहा है। हिंदुत्व ने संसार में मानवतावाद फैलाया और इसी को भारतीय धर्म के रूप में […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान और हिन्दू राष्ट्र

हिन्दुत्व के विषय में उच्चतम न्यायालय ने ‘शास्त्री यज्ञपुरूष दास और अन्य विरूद्घ मूलदास भूरदास वैश्य और अन्य (1966 एससीआर 242)’ में कहा है-”जब हम हिंदू धर्म के विषय में सोचते हैं तो हमें हिंदू धर्म को परिभाषित करने में कठिनाई अनुभव होती है। विश्व के अन्य मजहबों के विपरीत हिंदू धर्म किसी एक दूत […]

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संपादकीय

भारत में राज्य और मुस्लिम महिलाएं-3

माता निर्माता भवति नारी के प्रति वैदिक आदर्श है ‘माता निर्माता भवति’ अर्थात माता हमारी निर्माता होती है। हमारे भीतर जो संस्कार होते हैं उन पर माता का बड़ा भारी गहरा प्रभाव होता है। अत: नारी समाज को पहले उत्पन्न करती है फिर उसका निर्माण करती है अर्थात उसे उसी प्रकार एक सही सांचे में […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

भारत में राज्य और मुस्लिम महिलाएं-2

किसी का साहस नहीं होता जो इस पाशविक प्रवृत्ति के विरूद्घ संसद में अपना मुंह खोल सके। जहां नारी (न+आरि=नारि अर्थात जिसका कोई शत्रु न हो) का समाज इतना भारी शत्रु हो कि उसके सतीत्व को, अस्मिता को, खुल्लम खुल्ला नीलाम कर रहा हो, अथवा उसे अपनी हवश और वासना की पूत्र्ति का साधन मात्र […]

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मुद्दा राजनीति संपादकीय

इस्लामिक देश और इस्लाम

विश्व की कुल जनसंख्या में प्रत्येक चार में से एक मुसलमान है। मुसलमानों की 60 प्रतिशत जनसंख्या एशिया में रहती है तथा विश्व की कुल मुस्लिम जनसंख्या का एक तिहाई भाग अविभाजित भारत यानि भारत, पाकिस्तान और बंगलादेश में रहता है। विश्व में 75 देशों ने स्वयं को इस्लामी देश घोषित कर रखा है। पर, […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

भारत में राज्य और मुस्लिम महिलाएं-1

भारत में करोड़ों महिलाएं हैं। उधर भारत में लोक कल्याणकारी राज्य भी हैं, धर्मनिरपेक्ष शासक भी हैं, कानून के समक्ष समानता का नागरिकों का मौलिक अधिकार भी है, और जाति, धर्म, लिंग के आधार पर राष्ट के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव न करने की संवैधानिक व्यवस्था भी है। इन सबके उपरांत भी देश […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

नकारात्मक व ओच्छी मानसिकता की पत्रकारिता

खोजी पत्रकारिता और लोकतंत्र का चोली दामन का साथ है। पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि लोकतंत्र विचारों को निर्बाध रूप से बहने देकर उनसे नवीन आविष्कारों को जन्म देकर लोगों के वैचारिक और बौद्घिक स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक शासन प्रणाली का नाम है। नवीन आविष्कारों से […]

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