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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति

21 जून का ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व तथा भारत की योग परंपरा

आज 21 जून है। आज के दिन उत्तरी गोलार्ध में पृथ्वी की गति के कारण सूर्य का प्रकाश अधिकतम समय के लिए पृथ्वी पर पड़ेगा ।इसलिए यह उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होगा। भारतवर्ष के लिए यह सबसे बड़ा एवं महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग दिवस के रूप में हमारे […]

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धर्म-अध्यात्म

समस्त दुखों के निवृत्ति का एकमात्र साधन योग

  प्रियांशु सेठ (विश्व योग दिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित) आज की विकट सामाजिक परिस्थिति में वैदिक धर्म संस्कृति, सभ्यता, रीति-नीति, परम्पराएं आदि लुप्तप्राय: हो गयी हैं। इसके विपरीत केवल भोगवादी और अर्थवादी परम्पराओं का अत्यधिक प्रचार-प्रसार हो रहा है। ब्रह्म विद्या दुर्लभ होने का यह एक प्रमुख कारण है। स्थायी सुख-शान्ति की प्राप्ति […]

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धर्म-अध्यात्म भारतीय संस्कृति

योग : मर्म का साक्षात्कार

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 21 जून पर विशेष * संजय पंकज मनुष्य,प्रकृति,सृष्टि और परमात्मा के बीच एक निरंतरता का जो अटूट संबंध है उस संबंध को संवेदनशीलता के साथ जानने समझने और अनुभूत करने के लिए योग सबसे बड़ा माध्यम है। योग केवल कर्म का कौशल ही नहीं धर्म का यथार्थ बोध और मर्म का साक्षात्कार […]

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धर्म-अध्यात्म

किस वेद में स्त्रियों और शूद्रों के वेद अधिकार का निषेध है ?

  हम बड़ी नम्रतापूर्वक इन धर्माचार्यों से पूछना चाहते हैं कि ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद इन चारों संहिताओं में कहीं एक भी मन्त्र या मन्त्रांश ऐसा दिखा दीजिए जो महिलाओं और शूद्रों के वेदाध्ययन का निषेध करता हो? महिला या पुरुष नहीं अपितु मानवमात्र को वेदाध्ययन का अधिकार है। मध्यकाल में जब बहुत प्रकार […]

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आज का चिंतन धर्म-अध्यात्म

ऋषि दयानंद वेद ज्ञान द्वारा सब मनुष्यों को परमात्मा से मिलाना चाहते थे

ओ३म् ========== महाभारत के बाद ऋषि दयानन्द ने भारत ही नहीं अपितु विश्व के इतिहास में वह कार्य किया है जो संसार में अन्य किसी महापुरुष ने नहीं किया। अन्य महापुरुषों ने कौन सा कार्य नहीं किया जो ऋषि ने किया? इसका उत्तर है कि ऋषि दयानन्द ने अपने कठोर तप व पुरुषार्थ से सृष्टि […]

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धर्म-अध्यात्म

अभय होने का वरदान देती है सनातन संस्कृति

उज्ज्वल मिश्रा सनातन संस्कृति हज़ारों वर्षों से मनुष्यों का मार्गदर्शन करती आ रही है। इस संस्कृति को सनातन इसलिए कहते हैं कि इसका ना आदि है ना अंत है। हमारे ऋषि मुनियों ने वेदों एवं उपनिषदों में उस सनातन के रहस्य को संकलित किया जिससे आने वाली पीढ़ी उस ज्ञान को आसानी से प्राप्त कर […]

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धर्म-अध्यात्म

सर्व प्राचीन वैदिक धर्म का आधार ईश्वर और उसका निज ज्ञान वेद

ओ३म् =========== संसार में अनेक मत-मतान्तर प्रचलित हैं जो अपने आप को धर्म बताते हैं। क्या वह सब धर्म हैं? यह मत-मतान्तर इसलिये धर्म नहीं हो सकते क्योंकि धर्म श्रेष्ठ गुण, कर्म व स्वभाव को धारण करने को कहते हैं। मनुष्य का कर्तव्य है कि श्रेष्ठ व अनिन्दित गुण, कर्म व स्वभावों को जाने व […]

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कथनी व करनी की कसौटी में खरे उतरने वाले गुरु ही असली उपदेशक

दिनेश चमोला ‘शैलेश’ उपदेश देना जितना सरल है, आचरण करना उतना ही कठिन है। कोई भी बात कहने व सुनने में जितनी सहज दिखाई व सुनाई देती है, वह भी व्यवहार के धरातल पर उतनी सहज नहीं होती। प्रायः बड़े-बुजुर्ग तथा तथाकथित श्रेष्ठजन को, अपने से छोटों को, यह कहते हुए सुना जाता है कि […]

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जीवात्मा के भीतर और बाहर व्यापक परमात्मा को जानना हमारा मुख्य कर्तव्य

ओ३म् ========== संसार में अनेक आश्चर्य हैं। कोई ताजमहल को आश्चर्य कहता है तो कोई लोगों को मरते हुए देख कर भी विचलित न होने और यह समझने कि वह कभी नहीं मरेगा, इस प्रकार के विचारों को आश्चर्य मानते हैं। हमें इनसे भी बड़ा आश्चर्य यह प्रतीत होता है कि मनुष्य स्वयं को यथार्थ […]

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भौतिक धन संपत्ति सुविधाएं पद प्रतिष्ठा प्रसिद्धि आदि चाहे कितनी भी हों, यदि आप मन से दुखी हैं, तो आप का जीवन व्यर्थ है

स्वामी विवेकानंद परिव्राजक लोग समझते हैं कि जिसके पास भौतिक धन संपत्ति मोटर गाड़ी मकान बंगला ऊंचा पद देश-विदेश में सम्मान प्रसिद्धि आदि ये सब चीजें हैं, लोग उसके आगे पीछे घूमते हैं, उसे अच्छा अच्छा भोजन खिलाते हैं, उसके साथ मीठी मीठी बातें करते हैं, उसे सब प्रकार से सम्मान देते हैं, ऐसा व्यक्ति […]

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