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भारतीय संस्कृति

चित्रा, विशाखा, फाल्गुनी. नक्षत्रों का शब्द गुंजन

मधुसूदनगुजराती विश्वकोश कहता है, कि,नक्षत्रों की अवधारणा भारत छोडकर किसी अन्य देश में नहीं थी। यह, अवधारणा हमारे पुरखों की अंतरिक्षी वैचारिक उडान की परिचायक है, नक्षत्रों का नामकरण भी पुरखों की कवि कल्पना का और सौंदर्य-दृष्टि का प्रमाण है। महीनों के नामकरण में, उनकी अंतरिक्ष-लक्ष्यी मानसिकता का आभास मिलता है।(दो) अंतरिक्षी दृष्टि, या वैचारिक […]

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भारतीय संस्कृति

खुलकर हंसो-रोगों से बचो

सुदेश शर्मा भारतीयएक बार एक महफिल सजी हुई थी और लोग आपस में हंसी-ठिठोली कर रहे थे। तभी वहाँ पर एक बुजुर्ग सज्जन आये और आते ही उन्होंने एक बड़ी गुदगुदाती हुई घटना सुनाई। सभी दिल खोल कर हँस पड़े और उनकी वाह-वाह करने लगे। अभी लोग शान्त हुये ही थे कि उन्होंने फिर से […]

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भारतीय संस्कृति

हिंदू भगवा ध्वज

विजय कुमार सिंघलभगवा ध्वज हिन्दू संस्कृति और धर्म का शाश्वत प्रतीक है। यह हिन्दू धर्म के प्रत्येक आश्रम, मन्दिर पर फहराया जाता है। यही श्रीराम, श्रीकृष्ण और अर्जुन के रथों पर फहराया जाता था और छत्रपति शिवाजी सहित सभी मराठों की सेनाओं का भी यही ध्वज था। यह धर्म, समृद्धि, विकास, अस्मिता, ज्ञान और विशिष्टता […]

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भारतीय संस्कृति

मध्यकालीन इतिहास की धुँधली तस्वीर

विजय कुमार सिंघलकिसी गौरवशाली देश का इतिहास भी गौरवशाली होता है। यदि उस देश की नयी पीढ़ी को उस गौरव का बोध कराने की आवश्यकता है, तो उसे उसके इतिहास का ज्ञान कराना चाहिए। प्राचीन काल में इतिहास का ज्ञान प्रत्येक शिक्षित व्यक्ति को कराया जाता था। आज भी इतिहास एक प्रमुख विषय के रूप […]

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भारतीय संस्कृति

डीएवी स्थापना दिवस की 127वीं वर्षगांठ

महात्मा हंसराज ने महर्षि दयानंद के स्वपनों को साकार करने के लिए डीएवी के नाम से पहला स्कूल/कालेज लाहौर में खोला था। देश में इस समय लगभग 1000 स्कूल/कालेज हैं। हमारे नगर में भी दो कालिज हैं। इससे संबन्धित जानकारी इस प्रकार है–-इंटर कालेज में 33 वर्ष तक प्रवक्ता रहने के बाद जब वे सेवानिवृत […]

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भारतीय संस्कृति

नारी का मधुर संकीर्तन हो रहा है

यदि कन्या को किसी व्यक्ति का पैर छू जाए तो तुरंत उस कन्या के (देवी रूप मानकर) चरण स्पर्श करने की परंपरा भारत में है। चरण छूने की यह परंपरा इसलिए है कि कन्या के शरीर से पैरों का स्पर्श होना ‘पाप’ माना जाता है। उस पाप से मुक्त होने के लिए ही व्यक्ति क्षमा […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति में ‘एक’

विजय कुमार सिंघल भारतीय संस्कृति में ऐसी हजारों पुरानी परम्परायें हैं, जो ऊपर से देखने में व्यर्थ और मामूली लगती हैं, लेकिन गहराई से विचार करने पर हमें उनका मर्म और उनकी वैज्ञानिकता समझ में आती है। यह सम्भव है कि हमारे अज्ञान के कारण और काल के प्रभाव से उन परम्पराओं में कुछ विकृतियाँ […]

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भारतीय संस्कृति

वैदिक साहित्य में जल-संरक्षण एवं प्रबंधन के कुछ उपाय

डा. शिवानीपंचमहाभूतों में से जल चतुर्थ महाभूत माना जाता है। जहां जल जीवन के लिए उपयोगी और अनिवार्य है, वही समस्त प्रगति का संवाहक भी है। वैदिक साहित्य का न्यूनतम 50 प्रतिशत भाग जलतत्व का किसी न किसी रूप में उल्लेख करता है। वेद में जितना वर्णन इन्द्र या जल के अधिष्ठाता देवताओं का हुआ […]

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भारत की नारी सदा वंदनीया रही है

भरत में नारी सदा पूज्यनीया और वंदनीया रही है। कुछ लोगों का यह कहना कि भारत में नारी सदा उपेक्षा और तिरस्कार की पात्र रही है-सर्वदा भ्रामक दोषपूर्ण और अतार्किक है। परंतु इसमें दोष ऐसा मिथ्या आरोप लगाने वाले भारतीयों का नही है, क्योंकि उन्होंने अपने आदर्श विदेशी इतिहास लेखकों और विचारकों का उच्छिष्ट भोजन […]

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भारतीय संस्कृति

दुनिया के लिए आश्चर्य:भारत में प्लास्टिक सर्जरी का इतिहास

प्लास्टिक सर्जरी जो आज की सर्जरी की दुनिया मे आधुनिकतम विद्या है इसका अविष्कार भारत मे हुआ है। सर्जरी का अविष्कार तो हुआ हि है प्लास्टिक सर्जरी का अविष्कार भी यहाँ हि हुआ है। प्लास्टिक सर्जरी मे कहीं की प्रचा को काट के कहीं लगा देना और उसको इस तरह से लगा देना की पता […]

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