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भारतीय संस्कृति

महर्षि दयानन्द की प्रमाणित जन्म तिथि

महर्षि दयानन्द ने पहले पूना प्रवचन और बाद में थ्योसोफिकल सोसायटी के लिए अपना संक्षिप्त आत्मकथन लिखते हुए, इन दो अवसरों पर न तो अपने जन्म स्थान को ही पूरी तरह से सूचित किया और न हि जन्म के मास व तिथि का उल्लेख किया। अतः उनके सुविज्ञ अनुयायियों पर यह दायित्व आ गया कि […]

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महत्वपूर्ण लेख

महर्षि दयानन्द ने देश व धर्म के लिए माता-पिता-बन्धु-गृह व अपने सभी सुखों का स्वेच्छा से त्याग किया

-विश्व इतिहास की अन्यतम् घटना- भारत संसार में महापुरूषों को उत्पन्न करने वाली भूमि रहा है। यहां प्राचीन काल में ही अनेक ऋषि मुनि उत्पन्न हुए जिन्होंने वेदानुसार आदर्श जीवन व्यतीत किया। इन ऋषियों में से कुछ के नाम ही विदित हैं।  अनेक ऋषि मुनियों ने महान कार्यों को किया परन्तु उन्होंने न तो अपना […]

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भारतीय संस्कृति

मूर्तिपूजा के इतिहास पर महर्षि दयानन्द का उपदेश

महर्षि दयानन्द के इतिहास विषयक एक उपदेश जिसमें उन्होंने महाभारत काल व उसके बाद देश में धर्म व अध्ययन अध्यापन पर प्रकाश डाला है, को हमनें अपने पूर्व लेख में प्रस्तुत किया था। उसी क्रम में उसके बाद देश में वेदाध्ययन को छोडक़र मूर्तिपूजा के प्रचलन विषयक घटी घटनाओं के इतिहास पर उनके उपदेश को […]

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महर्षि दयानन्द का वर्णव्यवस्था पर ऐतिहासिक उपदेश

आज से लगभग 140 वर्ष पूर्व हमारा समाज अज्ञान व अन्धकार से आवृत्त तथा रूढि़वादी परम्पराओं में जकड़ा हुआ था। सामाजिक विषमता अपने जटिलतम रूप में व्याप्त थी। ऐसे समय में महर्षि दयानन्द ने वेद एवं वैदिक साहित्य से समाज सुधार के क्रान्तिकारी विचारों व मान्यताओं को प्रस्तुत किया था। यह भी तथ्य है कि […]

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महत्वपूर्ण लेख

महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि और इससे जुड़े कुछ प्रकरण

-मनमोहन कुमार आर्य- महर्षि दयानन्द की यथार्थ जन्मतिथि 12 फरवरी सन् 1825 है। इस दिन शनिवार था। हिन्दी तिथि के अनुसार इस दिन फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी थी। इस तिथि के निर्धारण में ऋषि भक्त डॉ. ज्वलन्त कुमार शास्त्री का प्रमुख योगदान है। यद्यपि पूर्व तिथियों में पं. भीमसेन जी शास्त्री द्वारा […]

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महत्वपूर्ण लेख

‘महर्षि दयानन्द सरस्वती को चार वेद कब, कहां, कैसे व किससे प्राप्त हुए?’

हर अध्येता व स्वाध्याय करने वाले को सभी शंकाओं व प्रश्नों के उत्तर सरलता से प्राप्त नहीं होते, परन्तु प्रयास व पुरूषार्थ करने से कुछ के उत्तर मिल जाते हैं और अन्यों के बारे में अनुमान व संगति लगा कर काम चलाना पड़ता है। हम भी स्वामी दयानन्द के सभी ग्रन्थों सहित आर्य विद्वानों के […]

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