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भारतीय संस्कृति

राजा को मन्युशील होना चाहिए

ऐसे राजा का राज्य अधिक दिनों तक नहीं टिक पाता जो मन्यु रहित हो और दुष्टों व अनाचारी लोगों के सामने हथियार फेंक देता हो। दुष्टों और अनाचारियों का विनाश करना हर राजा का पवित्र उद्देश्य होता है, और समाज के जागरूक व सबल लोगों का यह दायित्व होता है कि वे समाज को दुष्टों […]

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कोरोना से पीड़ित विश्व समाज को अब याद आए भारत के सनातन मूल्य

-मनोज ज्वाला लगभग सारी दुनिया चीन से निकले ‘कोरोना वायरस’ की चपेट आ चुकी है। लगभग 100 से अधिक देशों में यह संक्रमण फैल चुका है । भारत समेत अनेक देशों ने इसे महामारी घोषित कर दिया है । विश्व स्वास्थ्य संगठन इसे हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर चुका है। खौफ इस कदर तारी है कि […]

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हे दयानिधे ! मत छोड़ना मेरा हाथ और साथ

अब जब तू मेरे सारे सत्संकल्पों को जानने वाला मुझे मिल ही गया है-तो हे वरूण देव ! मेरा साथ और हाथ मत छोड़ देना। मेरी यही पुकार है आपसे। यह आहुति मैं इसी भाव से वरूण देव के लिए दे रहा हूँ , यह मेरे नहीं है। वेद की ऐसी सारी कामनाएं सार्थक जीवन […]

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एकात्म मानववाद और भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद

भारत के बारे में पश्चिम के विद्वानों ने यह भ्रांति फैलाने का निरर्थक प्रयास किया है कि भारत में राष्ट्रवाद की भावना कभी नहीं रही और भारत में राष्ट्रवाद का प्रचार – प्रसार ब्रिटिश काल में हुआ । उससे पहले इस देश में राष्ट्रीयता की भावना थी ही नहीं। जिन विदेशी विद्वानों , लेखकों या […]

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परिवार के सदस्य अस्थाई होने के कारण कभी भी छोड़ सकते हैं साथ

ओ३म् ============ मनुष्य सामाजिक प्राणी है। समाज में हम जिन लोगों से परिचित हैं वह सभी वर्तमान में अपनी-अपनी आयु के किसी चरण या सोपान पर है। मनुष्य की भी एक औसत आयु है तथा इसी प्रकार से अन्य प्राणियों की भी अधिकतम आयु होती है। मनुष्य की अधिकतम आयु एक सौ वर्ष या अपवादों […]

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भारत की अनमोल निधि : वैदिक संपत्ति

भाषा के विषय में जो वर्णन वेद में आया है,वे भी मूलनिवासियों की भाषा के लिए नहीं है।वेदों में आयें हुए ‘ मध्रवाचा ‘ आदि शब्द, जिनको अनार्यों की भाषा कहा जाता है, जांच से सिद्ध नहीं होते कि वे अनार्यों की भाषा के लिए आए है। मिस्टर मूर कहते हैं कि ‘मृध्रवाचा’ से अनार्यो […]

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वेदों के विषय में आवश्यक तथ्य

ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है। जिसे हम को सृष्टि प्रारंभ में ईश्वर ने दिया। ईश्वर ने वेद को मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए प्रदान किया। ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद नाम से कुल चार वेद जाने जाते हैं। वेदों के ब्राह्मण ब्राह्मण ग्रंथ हैं :– वेद ब्राह्मण 1 – […]

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मनुष्य का कर्तव्य मननपूर्वक सत्य मार्ग का अनुसरण करना है

ओ३म् =========== मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहा जाता है कि वह अपने सभी काम मनन करके करता है। जो मनुष्य बिना मनन के कोई काम करता है तो उसे मूर्ख कहा जाता है। मनन करने के लिये यह आवश्यक होता है कि हम भाषा सीखें एवं ज्ञान अर्जित करें। भाषा से अनभिज्ञ एवं सद्ज्ञान […]

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हमने की है ऊर्जा की साधना

हमने सदैव प्रकाश की अर्थात ऊर्जा की साधना की। हमने तेज को अपना आदर्श माना और सत्य को अपने जीवन का आधार बनाया । वैज्ञानिक उन्नति के साथ – साथ हमने आत्मिक व आध्यात्मिक उन्नति भी की। आध्यात्मिक उन्नति का परिणाम यह निकला कि हमारा विज्ञान हमारे लिए कभी भस्मासुर नहीं बना और वह सदा […]

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वेद ज्ञान ही है सनातन

भारत के लोग अपने आप को सनातनधर्मी कहने और मानने में इसीलिए गर्व और गौरव की अनुभूति करते हैं कि उनका ज्ञान का खजाना शाश्वत है , सनातन है । वेदज्ञान जब सृष्टि दर सृष्टि चलता है तो इसका अर्थ यही है कि यह ज्ञान कभी समाप्त होने वाला नहीं है , यह कभी पुरातन […]

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