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भारतीय संस्कृति

भारत की अनमोल निधि : वैदिक संपत्ति

भाषा के विषय में जो वर्णन वेद में आया है,वे भी मूलनिवासियों की भाषा के लिए नहीं है।वेदों में आयें हुए ‘ मध्रवाचा ‘ आदि शब्द, जिनको अनार्यों की भाषा कहा जाता है, जांच से सिद्ध नहीं होते कि वे अनार्यों की भाषा के लिए आए है। मिस्टर मूर कहते हैं कि ‘मृध्रवाचा’ से अनार्यो […]

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वेदों के विषय में आवश्यक तथ्य

ईश्वरीय ज्ञान की पुस्तक को वेद कहते है। जिसे हम को सृष्टि प्रारंभ में ईश्वर ने दिया। ईश्वर ने वेद को मनुष्य मात्र के कल्याण के लिए प्रदान किया। ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्ववेद नाम से कुल चार वेद जाने जाते हैं। वेदों के ब्राह्मण ब्राह्मण ग्रंथ हैं :– वेद ब्राह्मण 1 – […]

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मनुष्य का कर्तव्य मननपूर्वक सत्य मार्ग का अनुसरण करना है

ओ३म् =========== मनुष्य को मनुष्य इस लिये कहा जाता है कि वह अपने सभी काम मनन करके करता है। जो मनुष्य बिना मनन के कोई काम करता है तो उसे मूर्ख कहा जाता है। मनन करने के लिये यह आवश्यक होता है कि हम भाषा सीखें एवं ज्ञान अर्जित करें। भाषा से अनभिज्ञ एवं सद्ज्ञान […]

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हमने की है ऊर्जा की साधना

हमने सदैव प्रकाश की अर्थात ऊर्जा की साधना की। हमने तेज को अपना आदर्श माना और सत्य को अपने जीवन का आधार बनाया । वैज्ञानिक उन्नति के साथ – साथ हमने आत्मिक व आध्यात्मिक उन्नति भी की। आध्यात्मिक उन्नति का परिणाम यह निकला कि हमारा विज्ञान हमारे लिए कभी भस्मासुर नहीं बना और वह सदा […]

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वेद ज्ञान ही है सनातन

भारत के लोग अपने आप को सनातनधर्मी कहने और मानने में इसीलिए गर्व और गौरव की अनुभूति करते हैं कि उनका ज्ञान का खजाना शाश्वत है , सनातन है । वेदज्ञान जब सृष्टि दर सृष्टि चलता है तो इसका अर्थ यही है कि यह ज्ञान कभी समाप्त होने वाला नहीं है , यह कभी पुरातन […]

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आर्य समाज विश्व की प्रथम संस्था है जो संगठित वेद प्रचार से विश्व में शांति स्थापित होना स्वीकार करती है

ओ३म् =========== आर्यसमाज वेदों के मर्मज्ञ विद्वान ऋषि दयानन्द सरस्वती द्वारा दिनांक 10 अप्रैल, 1875 को मुम्बई में स्थापित वह संस्था है जो आज प्रायः पूरे विश्व में जानी पहचानी होने सहित सक्रियरूप से कार्यरत है। आर्यसमाज की स्थापना से पूर्व ऋषि दयानन्द (1825-1883) ने देश के अनेक भागों में जाकर वेद की शिक्षाओं का […]

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वेद विज्ञान और इतिहास

संस्कृत भाषा से भारत वासियों की दूरी बनाकर विदेशी लेखकों , विद्वानों , साहित्यकारों और इतिहासकारों को भारत और भारत के बारे में झूठी और भ्रामक धारणाएं स्थापित करने का अच्छा अवसर उपलब्ध हुआ । भारतवासियों ने अज्ञानता के कारण और पश्चिमी जगत के विद्वानों को ही विद्वान मानने की अपनी मूर्खता के कारण अपने […]

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असत्य और अविद्या पर आधारित अंधविश्वासों का खंडन आवश्यक है

ओ३म् ============= मनुष्य जैसे जैसे वेदों से दूर होता रहा वैसे वैसे वह उतना ही अविद्या, अज्ञान व अन्धविश्वासों में फंसता चला गया। हम ईश्वर व वेद को मानने वाले आर्यावर्तीय आर्य व हिन्दू हैं। हमें अपने देश के अन्धविश्वासों तथा सामाजिक कुरीतियों का ज्ञान ऋषि दयानन्द ने कराया था। ऋषि दयानन्द को पढ़कर हम […]

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यह था आर्यावर्त का वास्तविक विस्तार और उसकी सीमाएं

आर्यावर्त शब्द हमारे भारत के प्राचीन गौरव को दर्शाने वाला बहुत ही पवित्र शब्द है । आर्यावर्त का शाब्दिक अर्थ है- ‘आर्यो आवर्तन्तेऽत्र’ अर्थात् ‘आर्य जहाँ सम्यक प्रकार से बसते हैं।’ आर्यावर्त का दूसरा अर्थ है- ‘पुण्यभूमि’। मनुस्मृति 2.22 में आर्यावर्त की परिभाषा इस प्रकार दी हुई है- आसमुद्रात्तु वै पूर्वादासमुद्रात्तु पश्चिमात्। तयोरेवान्तरं गिर्योरार्यावर्त विदुर्बुधा: […]

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क्या नारी को यज्ञ में ब्रह्मा बनने का अधिकार है ?

(विश्व महिला दिवस 8 मार्च के अवसर पर ) डॉ विवेक आर्य 7. शंका – क्या नारी को यज्ञ में ब्रह्मा बनने का अधिकार हैं? समाधान- यज्ञ में ब्रह्मा का पद सबसे ऊँचा होता है। ऐतरेय ब्राह्मण 5/33 के अनुसार ज्ञान, कर्म और उपासना तीनों विद्याओं के प्रतिपादक वेदों के पूर्ण ज्ञान से ही मनुष्य […]

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