भ्रांति है कि विष्णु ने समुद्र का मंथन किया । देव और दैत्यों ने शेषनाग की नेति बनाई , एक महान गिरी की मछली बनाई और समुद्र का मंथन किया । जिसमें से 14 रत्न निकले। यदि इस विषय पर और चिंतन करें तो श्रृंग ऋषि महाराज की आत्मा ब्रह्म ऋषि कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी के […]
श्रेणी: भारतीय संस्कृति
भ्रान्ति है कि महर्षि अगस्त्य ने तीन आचमनों में समुद्र का पान कर लिया था । ब्रहमचर्य की रक्षा करने वाले महर्षि अगस्त्य तीन आचमनों में समुद्र पार करने वाले बने। महर्षि सनत कुमार ने नारद मुनि को बताया कि ब्रहमचर्य वह होता है जो समुंद्र के समुंद्र को पान का लेता है। वह तीन […]
लेखक:- सुरेश चिपलूनकर क्या आप पीसा की झुकी हुई मीनार के बारे में जानते हैं?? जरूर जानते होंगे. बच्चों की पाठ्य-पुस्तकों से लेकर जवानी तक आप सभी ने पीसा की इस मीनार के बारे में काफी कुछ पढ़ा-लिखा होगा. लेकिन क्या आपको तंजावूर स्थित “बृहदीश्वर मंदिर” (Brihadishwara Temple) के बारे में जानकारी है? कई पैसे […]
देह का अंत हो जाना ही देहांत है। और देह का अंत होना हम जानते हैं कि प्रकृति के जो तत्व थे , वह सब अपने – अपने मूल तत्वों में मिल जाते हैं। अविनाशी आत्मा शरीर से निकल जाती है। यजुर्वेद के 39 वें अध्याय में प्रथम मंत्र में अंत्येष्टि कर्म को नरमेध ,पुरुष […]
अब की संस्कृति का मूल सिद्धांत तो वेद वाणी है। जिसमें पुनर्जन्म की बात कही गई है। ऋषि श्रृंग का भी पुनर्जन्म होना वेद संगत है। महर्षि श्रृंग द्वारा सुनाये गए आध्यात्मिक विषय से वेद के पुनर्जन्म संबंधित सिद्धांत की पुष्टि होती है। अमर ग्रंथ ‘सत्यार्थ प्रकाश’ के चतुर्थ समुल्लास में धर्म महिमा का विवरण […]
मुनिवरो ! यह सत्य युग के काल का समय है।हमारे गुरु ब्रह्मा वेद के प्रकांड पंडित और विद्या के भंडार थे l मुनिवर देखो ! उनका महान से सिर मंडल भी था उनके एक पुत्र महा सृष्टु मुनि महाराज थे। मुनि वरो! एक समय महा सृष्टू मुनि महाराज अपनी तुंबा नाम की धर्मपत्नी के साथ […]
ओ३म् ============ ऋषि दयानन्द ने अपने ज्ञान व ऊहा से वेदों को सृष्टि के आरम्भ में चार ऋषियों को सर्वव्यापक परमात्मा से प्राप्त सत्य ज्ञान के ग्रन्थ स्वीकार किया था। इस सिद्धान्त व मान्यता की उन्होंने डिण्डिम घोषणा की है। इसके पक्ष में उन्होंने उदाहरणों सहित एवं तर्क युक्त बातें विस्तार से अपने विश्व प्रसिद्ध […]
दुनिया की भागम भाग है, कोई गुरु के पास दौड़ रहा है ,कोई आश्रम जा रहा है, कोई तीर्थ जा रहा है ,कोई चार धामों की यात्रा के लिए भागम भाग कर रहा है, कोई 12 ज्योतिर्लिंगों की यात्रा के लिए दौड़ रहा है, कोई बिस्तर पर अशांत है, कोई अधिक धन के होते हुए […]
ओ३म् =========== परमात्मा ने मनुष्य को सबसे मूल्यवान् वस्तु उसके शरीर में बुद्धि के रूप में दी है। बुद्धि से हम ज्ञान को प्राप्त कर उसके अनुसार आचरण करते है। जिस मनुष्य की बुद्धि जितनी विकसित व शुद्ध होती है, वह उतना ही अधिक ज्ञानी कहा जाता है। सत्य ज्ञान के अनुरूप आचरण करना ही […]
कितना विशुद्ध, कितना विशाल, कितना विस्तृत, कितना विरल ,कितना विराट ,कितना स्वाभाविक, कितना प्राकृतिक, कितना परिष्कृत, कितना परिमार्जित रूप है उसका जिस अदृश्य, अगोचर, अजर, अमर ,अभय, अगम, अनुपम ,अतुलनीय शक्ति अर्थात परमपिता परमेश्वर की बात हम कर रहे हैं । जिसका निज नाम है – ओ३म। कितना प्यारा नाम है – ओ३म। शेष सभी […]