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इतिहास के पन्नों से भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति में वशिष्ठ महर्षि की परंपरा, भाग 2

डॉ राधेश्याम द्विवेदी 9. राजा दिलीप कालीन वशिष्ठ अथर्वनिधि( द्वितीय):- ये वशिष्ठ राजा दिलीप के समय हुए, जिन्हें वशिष्ठ अथर्वनिधि (द्वितीय) कहा जाता था।दिलीप इक्ष्वाकु वंश के प्रतापी राजा थे जिन्हें ‘खटवांग’ भी कहते हैं। उनकी पत्नी का नाम सुदक्षिणा था। दिलीप की परम कामना यही थी कि उनकी प्रिय पत्नी सुदक्षिणा उनके समान ही […]

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भारतीय संस्कृति

महर्षि वाशिष्ठ की एक लम्बी परम्परा , भाग 1

डा. राधेश्याम द्विवेदी  वसिष्ठ यानी सर्वाधिक पुरानी पीढ़ी का निवासी:-  महर्षि वसिष्ठ का निवास स्थान से सम्बन्धित होने के कारण बस्ती का नामकरण उनके नाम के शब्दों को समेटा जा रहा है। प्राचीन काल में यह अवध की ही  इकाई रही हैं। वसिष्ठ मूलतः ‘वस’ शब्द से बना है जिसका अर्थ – रहना, निवास, प्रवास, […]

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अयोध्या में श्री सीताराम की रसिक उपासना

डा. राधे श्याम द्विवेदी मध्यकालीन हिन्दी भक्ति साहित्य का सर्वेक्षण करने पर जिज्ञासुओं को सामान्यतः उसकी प्रधानतम प्रवृत्ति के रूप में मधुरोपासना का तत्व-साक्षात्कार होता है. भक्ति की चाहे निर्गुण शाखा हो या सगुण, निर्गुण का चाहे योग मार्ग हो या प्रेममार्ग, सगुण की चाहे कृष्णोपासना हो या रामोपासना- विचित्र क्षेत्रों में प्रायः सर्वत्र इस […]

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आषाढ़स्य प्रथम दिवसे” विना वर्षा यूं ही गुजर गया

डा. राधे श्याम द्विवेदी आषाढ़ हिंदी कैलेंडर का एक विशेष महीना है जिसके आसपास मानसून की शुरुआत होती है.यह वर्षा के प्रवेश का सिंहद्वार है. कवि कुलगुरु कालिदास कहते हैं. ’मेघदूत‘ का पहला श्लोक आषाढ़ के स्मरण के साथ है – ’आषाढ़स्य प्रथम दिवसे‘ कहकर कवि वर्षा का आगमन आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा से मानता है. […]

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भारतीय संस्कृति

सरयू आरती को और लोकप्रिय किया जाय

प्रस्तुति डा. राधे श्याम द्विवेदी आरती’ शब्द संस्कृत के ‘आर्तिका’ शब्द से बना है जिसका अर्थ है अरिष्ट, विपत्ति, आपत्ति, कष्ट, क्लेश । भगवान की आरती को ‘नीराजन’ भी कहते हैं । नीराजन का अर्थ है ‘विशेष रूप से प्रकाशित करना’ । इस प्रकार मात्र तीन अक्षरों की आरती अपने में विशाल अर्थ का बोध […]

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भारतीय संस्कृति

वेदों में बहु-विवाह आदि विषयक भ्रान्ति का निवारण

डॉ. विवेक आर्य वेदों के विषय में एक भ्रम यह भी फैलाया गया है कि वेदों में बहु विवाह की अनुमति दी गयी हैं (vedic age pge 390). ऋग्वेद १०/८५ को विवाह सूक्त के नाम से जाना चाहता है। इस सूक्त के मंत्र ४२ में कहा गया है कि तुम दोनों इस संसार व गृहस्थ […]

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भारतीय संस्कृति

–शंकर दिग्विजय—

आदि गुरु शंकर के जीवन के बारे में जानने के दो प्रामाणिक स्रोत हैं- मध्वाचार्य का शंकर दिग्विजय और आनंदगिरि का वृहद शंकर विजय। आदिगुरु के बारे में समस्त जानकारी के स्रोत ये ही दो ग्रंथ हैं। मात्र छह वर्ष की आयु में घर से संन्यासी के रूप में निकले शंकर ने 32 वर्ष की […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय साहित्य आज भी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की रखता है क्षमता

उगता भारत ब्यूरो सृष्टि की प्रथम पुस्तक: हालांकि वेद का अर्थ ज्ञान होता है, इसके अलावा लाभ, अस्तित्व, विचार.. भी वेद को ही कहते हैं। वेद को पुस्तक कहना उचित नहीं, क्योंकि पुस्तक एक नपा-तुला शब्द है और सीमित आकार प्रकार में बंधी एक वस्तु। फिर भी प्रचलित भाषा के आधार पर वेद यानी वह […]

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कविता भारतीय संस्कृति

“मौलिक रचना ऋग्वेद काव्यार्थ का प्रथम भाग प्रकाशित”

ओ३म् ========== ऋग्वेद और अन्य तीन यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद संसार का आदि ज्ञान एवं विश्व की प्राचीनतम पुस्तकें हैं। चारों वेद ईश्वर से प्रादुर्भूत हुए हैं। वेदों की भाषा संस्कृत है जिसके शब्द रूढ़ न होकर नित्य एवं यौगिक हैं। वेद के पदों का अर्थ अष्टाध्यायी महाभाष्य तथा निरुक्त पद्धति से किया जाता है। […]

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उगता भारत न्यूज़ भारतीय संस्कृति

सातों सत्रों में इस प्रकार हुई अमृत वर्षा

ग्रेटर नोएडा। (अजय कुमार आर्य) उगता भारत समाचार पत्र की ओर से आयोजित किए गए यजुर्वेद पारायण यज्ञ के कुल 7 सत्र चले। जिनमें प्रत्येक सत्र में एक से बढ़कर एक वैदिक विद्वान भजनोपदेशक के माध्यम से लोगों का श्रेष्ठतम मार्गदर्शन किया गया। 15 अप्रैल के उद्घाटन सत्र में दीप प्रज्वलन का कार्य तहसीलदार दादरी […]

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