माता-पिता बच्चों के लालन-पालन में अनेक प्रकार के कष्ट उठाते हैं। यदि बच्चा अस्वस्थ या बीमार पड़ जाता है , तो माता – पिता ईश्वर की प्रार्थना करते हुए रातों को जागते हैं और अस्पताल में डाक्टरों या हकीमों का चक्कर लगा – लगा कर थक जाते हैं , तब कहीं जाकर बच्चे को स्वस्थ […]
श्रेणी: भारतीय संस्कृति
वैदिक धर्म की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि या विश्व का प्रथम धर्म होने के साथ केवल मनुष्यों की नहीं बल्कि प्राणी मात्र के कल्याण कामना चाहता है , वेद और गीता इस बात की पुष्टि करते है , उदहारण के लिए , शं नो अस्तु द्विपदे शं चतुष्पदे ” यजुर्वेद 36:8 दो पैर […]
क्या महर्षि मनु जातिवाद के पोषक थे? मनुस्मृति जो सृष्टि में नीति और धर्म (कानून) का निर्धारण करने वाला सबसे पहला ग्रंथ माना गया है उस को घोर जाति प्रथा को बढ़ावा देने वाला भी बताया जा रहा है। आज स्थिति यह है कि मनुस्मृति वैदिक संस्कृति की सबसे अधिक विवादित पुस्तक बना दी गई […]
जैसे ही बच्चा माँ के गर्भ से बाहर आता है , तो उस शिशु के प्रति माता – पिता का लालन – पालन का हाथ और प्रेम पूर्वक ममता एवं ममत्व की भावना प्रकट होने शुरू हो जाती है । वैसे तो माता – पिता बच्चे के गर्भ के समय से ही बच्चे की देख […]
डॉ॰ राकेश कुमार आर्य आर्य ईश्वर पुत्र है। इस प्रकार आर्यत्व एक जीवनशैली है जो जीवन को उत्कृष्टता में ढालती है। उसमें नियमबद्घता, क्रमबद्घता, शुचिता, परोपकारिता, उद्यमशीलता आदि के भाव जागृत कर उसे उच्चता प्रदान करती है। इसीलिए ‘कल्पद्रुम’ में आर्य शब्द का अर्थ पूज्य, श्रेष्ठ, धार्मिक, उदार, कल्याणकारी और पुरूषार्थी कहा है तथा निरूक्त […]
प्रो. भगवती प्रकाश पाकिस्तान अधिक्रांत कश्मीर यानी पीओके में कृष्णगंगा नदी के तट पर नियंत्रण रेखा से 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राचीन शारदा मन्दिर, शक्तिपीठ और शारदा पीठ विश्वविद्यालय कश्मीर की संस्कृति का प्राण व पहचान रहे हैं। प्राचीन शारदा लिपि का विकास केन्द्र होने के साथ ही यह शक्ति पीठ देश के […]
यदि भारत के गौरवशाली इतिहास पर नजर दौड़ाते हैं तो ध्यान में आता है कि हिंदू सनातन संस्कृति के अंतर्गत कई महानुभावों को गुरु के आशीर्वाद एवं सानिध्य से ही देवत्व की प्राप्ति हुई है। दूसरे शब्दों में, देवत्व प्राप्त करने के लिए इन महानुभावों को गुरु के श्रीचरणों में जाना पड़ा है। इस प्रकार […]
सनातन हिंदू संस्कृति में किसी भी जीव की हत्या निषेध है और ऐसा माना जाता है कि अपने लिए पूर्व निर्धारित भूमिका को निभाने के उद्देश्य से ही विभिन्न जीव इस धरा पर जन्म लेते हैं एवं सभी जीवों में आत्मा का वास होता है। इसलिए हिंदू धर्मावलम्बियों द्वारा पशु, पक्षियों, पेड़, पौधों, नदियों, पर्वतों, […]
हमने पूर्व लेखों में कहां है सूक्ष्म शरीर, जिसका मन एक अभिन्न अंग है, आत्मा के असंख्य पूर्व जन्मों के अनुभवों एवं संस्कारों का संग्रहालय है। यही अनुभव और संस्कार ही आत्मा को विविध परिस्थितियों तथा योनियों में जन्म लेने का कारण होते हैं। हमने महाभारत का उद्धरण देते हुए यह भी कहा कि पूर्व […]
*पहले तो “हिंदू* शब्द ही अरबी का शब्द है। वेदों में हिंदू शब्द का कोई जिक्र नहीं है, हिंदू धर्म मुसलमानों ने गड़ा, उन्होंने बुर्के के विकल्प में पर्दा प्रथा दे दी। हमारे यहां विवाह दिन में होते थे,राम जी का विवाह दिन में हुआ था,जो वैदिक था, किन्तु मुसलमानों के काल में बने हिंदू […]