ओ३म् ========= संसार में दो प्रकार के लोग हंै जिन्हें हम शिक्षित एवं अशिक्षित तथा चरित्रवान एवं चारीत्रिक दृष्टि से दुर्बल कह सकते हैं। सृष्टि के आरम्भ में वेदोत्पत्ति से पूर्व न तो भाषा थी, न ज्ञान और न ही किसी प्रकार का शब्द भण्डार। यह सब वेदों की देन है। वेदों की रचना वा […]
श्रेणी: आज का चिंतन
क्या जीव जग में कुछ भी लेकर नहीं आता ? तथा क्या जग से कुछ भी लेकर नहीं जाता ? क्या जीव बहुत कुछ साथ लाता है जग में , एवम बहुत कुछ ले जाता है जग से ? उक्त शंका, भ्रांति अथवा प्रश्नों को समझने के लिए सर्वप्रथम ईश्वर , जीव और प्रकृति को […]
चाणक्य नीति आतुरे व्यसने प्राप्ते दुर्भिक्षे शत्रुसंकटे। राजद्वारे श्मशाने च यात्तिष्ठति स बान्धवः।। यहां आचार्य चाणक्य बंधु-बांधवों, मित्रों और परिवारजनों की पहचान बताते हुए कहते हैं कि रोग की दशा में‒जब कोई बीमार होने पर, असमय शत्रु से घिर जाने पर, राजकार्य में सहायक रूप में तथा मृत्यु पर श्मशान भूमि में ले जाने वाला […]
. “थोड़े दिन का जीवन है, कोई हजारों साल यहां नहीं रहेगा। इसलिए सभ्यता से रहना चाहिए, और आनंद से जीवन जीना चाहिए।” आजकल लोगों में सहनशक्ति बहुत घटती जा रही है। छोटी-छोटी बातों पर गर्मा-गर्मी हो जाती है। “लोग गुस्सा कर लेते हैं। लड़ाई झगड़ा कर लेते हैं। गाली गलौच करते हैं। मारपीट करते […]
“संसार में बुराई का बोलबाला अधिक है, इसलिए लोग, बुरे लोगों की नकल अधिक करते हैं। अच्छाई को प्रोत्साहन कम मिलता है, इसलिए लोग अच्छा बनने में संकोच करते हैं।” इस संसार में अच्छाई भी चलती है, बुराई भी चलती है। दोनों अनादि काल से चल रही हैं, और आगे भी अनंत काल तक चलती […]
✍🏻 लेखक – डॉ० सुरेन्द्रकुमार ( मनुस्मृति भाष्यकार एवं समीक्षक ) 📚 आर्य मिलन 🌹 ( अ ) डॉ० अम्बेडकर का मनु प्राचीन मनुओं से भिन्न है : डॉ० भीमराव अम्बेडकर ने अपने साहित्य में अनेक स्थलों पर ‘ मनु ‘ का नाम लेकर कटु आलोचना की है । ऐसी स्थिति में प्रश्न उठता है […]
श्वास हमें किस प्रकार पवित्र करते हैं? मरुतः पिबत ऋतुना पोत्राद् यज्ञं पुनीतन। यूयं हि ष्ठा सुदानवः । ऋग्वेद मन्त्र 1-15-2 (मरुतः) वायु, श्वास (पिबत) पीना (ऋतुना) उचित प्रकार से, ऋतुओं के अनुसार (पोत्रात्) पवित्र करने वाले (यज्ञम्) त्याग (पुनीतन) पवित्र कर दो (यूयम्) आप (हि) निश्चय से (स्था) हो (सुदानवः) बुराईयों के नाशक, प्रत्येक […]
पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद जैसे लोग आज शंकराचार्य जैसे पद पर बैठकर जातिवाद और रूढ़ीवाद फैला रहें हैं, वे जन्मना जातिव्यवस्था का प्रचार करते हैं, शूद्रों को पढ़नें का अधिकार नहीं है, शूद्रों को मंदिर में प्रवेश करनें का अधिकार नहीं है, छुआछूत शास्त्र सम्मत है इस तरह की भ्रांतियां फैला रहें हैं जिसनें […]
“अपने बच्चों को आत्मनिर्भर तथा पुरुषार्थी बनाएं। पराधीन और आलसी नहीं।” हो सकता है, आप धनवान व्यक्ति हों। आपके घर में बहुत संपत्ति हो। कुछ नौकर चाकर भी हों। और वे आपका सब काम कर सकते हों, करते भी होंगे। “परंतु जैसे आप पुरुषार्थी हैं, अपना बहुत सा कार्य स्वयं करते हैं। अपने काम की […]
“समिधा गीली होने अथवा दोषयुक्त होने से कभी अग्नि को धारण नहीं कर सकती। आचार्य के पास जाकर उनकी ज्ञानाग्नि में स्वयम् को जलाए बिना उन जैसा बन पाना सम्भव नहीं और उसके लिये श्रद्धा और मेधा का होना अत्यावश्यक है।” अग्ने समिधमाहार्षं बृहते जातवेदसे। स मे श्रद्धां च मेधां च जातवेदाः प्र यच्छतु।। -अथर्व०१९।६४।१ […]