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आज का चिंतन

वेद का संदेश : मानव की मानवता ही उसका आभूषण है

🌷मनुर्भव (मनुष्य बनो)🌷* वेद कहता है कि तू मनुष्य बन। जब कोई जैसा बन जाता है तो वैसा ही दूसरे को बना सकता है। जलता हुआ दीपक ही बुझे हुए दीपक को जला सकता है। बुझा हुआ दीपक भला बुझे हुए दीपक को क्या जलाएगा? मनुष्य का कर्त्तव्य है कि स्वयं मनुष्य बने और दूसरों […]

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प्रकृति की नब्ज बताती भारतीय कालगणना

लेखक – डॉ राम अचल (लेखक आयुर्वेद चिकित्सक तथा विश्व आयुर्वेद काँग्रेस के सदस्य हैं) नववर्ष कालगणना का वार्षिक शुभारम्भ होता है, पूरी दुनिया में 96 तरह की कालगणना प्रचलित है, केवल भारत में ही 36 प्रकार की कालगणना रही है, जिसमें 24 पद्धतियाँ अब विलुप्त हो चुकी है परन्तु 12 कालगणना विधियाँ आज भी […]

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ऊंची ऊंची डिग्रियां मुफ्त में नहीं मिलती

*”ऊंची ऊंची डिग्रियां मुफ्त में नहीं मिलती। जैसे कि C A, MBA, M Tech, MD, MS, आदि डिग्रियां। ऐसे ही वेदाचार्य, दर्शनाचार्य, योगाचार्य एवं किसी विषय में Phd की डिग्री आदि, ये छोटी डिग्रियां नहीं हैं, ये सब ऊंची डिग्रियां हैं। ये सब आसानी से नहीं मिलती हैं।” “इनको प्राप्त करने के लिए वर्षों तक […]

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आज का चिंतन हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

ओ३म् “ऋषि दयानन्द क्या चाहते थे?”

======== ऋषि दयानन्द महाभारत के बाद विगत लगभग पांच हजार वर्षों में वेदों के मंत्रों के सत्य अर्थों को जानने वाले व उनके आर्ष व्याकरणानुसार सत्य, यथार्थ तथा व्यवहारिक अर्थ करने वाले ऋषि हुए हैं। महाभारत के बाद ऐसा कोई विद्वान नहीं हुआ है जिसने वेदों के सत्य, यथार्थ तथा महर्षि यास्क के निरुक्त ग्रन्थ […]

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भारतवासियों का पराभव और महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज

भारतीयों का पराभव महर्षि दयानंद सरस्वती जी की दृष्टि में भारतीयों का राजनीतिक पराभव और उसके प्रमुख कारक जब भी किसी देश, जाति या समाज का पराभव होता है, वह एक सुखद अवसर नहीं होता। भारतीय इतिहास में अनेक ऐसे अवसर आये हैं, जब हमने अपने को पराजित, पददलित और शोषित अनुभव किया है। इस […]

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परमात्मा की अपार महिमा व उसकी अदभुत सृष्टि-*

………… येन द्योरुग्रा पृथ्वी च दृढा येन स्व स्तभितं येन नाकः। यो अन्तरिक्षे रजसो विमान: कस्मै देवाय हविषा विधेम।। यजुर्वेद 32.6 के इस मंत्र में परमात्मा ने उपदेश किया है कि वह ही सब लोकलोकान्तरों का रचने वाला है, वह ही सब ग्रह नक्षत्रों का भ्रमण कराता है। वह ही सबसे महान है। वह ही […]

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आनंदमय लोक को पाने के लिए हमें सच्चे गुरु की आवश्यकता होती है

ऋषिराज नागर (वरिष्ठ अधिवक्ता) मनुष्य की आयु जन्म लेने के उपरान्त क्षण-क्षण/पल-पल कम होती जा रही है। मनुष्य के जन्म लेने के बाद4 बचपन का समय बिना सोचे समझे ही गुजर जाता है, उसके बाद हम विद्या अर्जन ( पठन-पाठन) में अपनी आयु के करीब 20-25 वर्ष निकाल देते हैं। तदुपरान्त यौवन में अपनी घर- […]

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ऋषि दयानंद कृत कुछ शब्दों की परिभाषा

आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने आर्योद्देश्यरत्नमाला नामक एक छोटी सी पुस्तक लिखी है। इस लघु ग्रंथ में महत्वपूर्ण व्यावहारिक शब्दों (आर्यों के मंतव्यों) की परिभाषाएं प्रस्तुत की गई है जो वेदादि शास्त्रों पर आधारित हैं। इसमें 100 मंतव्यों (नियमों) का संग्रह है अर्थात सौ नियमों रूपी रत्नों की माला गूंथी गई […]

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सत्य घटना : कर्मफल सिद्धांत के प्रमाण

वैदक धर्म का मुख्य आधार कर्मफल का नियम है इसका तात्पर्य है की मनुष्य जैसा भी अच्छा या बुरा कर्म करता है एक न एक दिन उसका परिणाम अवश्य मिलता है , हरेक कर्म की तीन गतियां होती हैं क्रियमाण यानि जब हम कार्य करते हैं उनमे कुछ का तुरंत परिणाम मिल जाता लेकिन कुछ […]

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खरमास के बारे में कुछ जरूरी तथ्य

डा. राधे श्याम द्विवेदी वैदिक पंचांग के अनुसार एक साल में 12 संक्रांति होती हैं। सूर्य जब भी एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो वह क्षण संक्रांति के नाम से जाना जाता है। वहीं सूर्यदेव जिस भी राशि में प्रवेश करते हैं, उसी राशि का नाम संक्रांति के साथ जुड़ […]

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