डॉ डी0के0 गर्ग पौराणिक मान्यता : वैकुंठ धाम भगवान विष्णु का आवास है । भगवान विष्णु जिस लोक में निवास करते हैं उसे बैकुण्ठ कहा जाता है। जैसे कैलाश पर महादेव व ब्रह्मलोक में ब्रह्माजी बसते हैं। बैकुंठ धाम के कई नाम हैं – साकेत, गोलोक, परमधाम, परमस्थान, परमपद, परमव्योम, सनातन आकाश, शाश्वत-पद, ब्रह्मपुर। बहुत […]
श्रेणी: आज का चिंतन
ऋषिराज नागर (एडवोकेट) भक्ति मार्ग पर चलने के लिए मनुष्य के लिए जरूरी है कि वह अपना शुद्ध चरित्र – आचरण नेक रखे, शराब या नशे का सेवन तथा मांस मछली अण्डे का प्रयोग अपने भोजन में ना करे, अपनी कमाई भी नेक रखे। संतकबीर साहिब – “माँस मछरिया खात हैं सुरा पान से हेति। […]
डॉ डी के गर्ग बाबा रामदेव ने इंडिया टीवी पर कहा की मृत्यु के बाद कुछ समय जीवात्मा उस परिवार के इर्द गिर्द घूमती रहती है। इस विषय पर मैंने वैदिक विद्वानों से वार्ता की और स्वाध्याय किया तो मालूम हुआ की बाबा रामदेव का कथन पूरी तरह से गलत है और सत्य सामने लाना […]
🌷मनुर्भव (मनुष्य बनो)🌷* वेद कहता है कि तू मनुष्य बन। जब कोई जैसा बन जाता है तो वैसा ही दूसरे को बना सकता है। जलता हुआ दीपक ही बुझे हुए दीपक को जला सकता है। बुझा हुआ दीपक भला बुझे हुए दीपक को क्या जलाएगा? मनुष्य का कर्त्तव्य है कि स्वयं मनुष्य बने और दूसरों […]
लेखक – डॉ राम अचल (लेखक आयुर्वेद चिकित्सक तथा विश्व आयुर्वेद काँग्रेस के सदस्य हैं) नववर्ष कालगणना का वार्षिक शुभारम्भ होता है, पूरी दुनिया में 96 तरह की कालगणना प्रचलित है, केवल भारत में ही 36 प्रकार की कालगणना रही है, जिसमें 24 पद्धतियाँ अब विलुप्त हो चुकी है परन्तु 12 कालगणना विधियाँ आज भी […]
*”ऊंची ऊंची डिग्रियां मुफ्त में नहीं मिलती। जैसे कि C A, MBA, M Tech, MD, MS, आदि डिग्रियां। ऐसे ही वेदाचार्य, दर्शनाचार्य, योगाचार्य एवं किसी विषय में Phd की डिग्री आदि, ये छोटी डिग्रियां नहीं हैं, ये सब ऊंची डिग्रियां हैं। ये सब आसानी से नहीं मिलती हैं।” “इनको प्राप्त करने के लिए वर्षों तक […]
======== ऋषि दयानन्द महाभारत के बाद विगत लगभग पांच हजार वर्षों में वेदों के मंत्रों के सत्य अर्थों को जानने वाले व उनके आर्ष व्याकरणानुसार सत्य, यथार्थ तथा व्यवहारिक अर्थ करने वाले ऋषि हुए हैं। महाभारत के बाद ऐसा कोई विद्वान नहीं हुआ है जिसने वेदों के सत्य, यथार्थ तथा महर्षि यास्क के निरुक्त ग्रन्थ […]
भारतीयों का पराभव महर्षि दयानंद सरस्वती जी की दृष्टि में भारतीयों का राजनीतिक पराभव और उसके प्रमुख कारक जब भी किसी देश, जाति या समाज का पराभव होता है, वह एक सुखद अवसर नहीं होता। भारतीय इतिहास में अनेक ऐसे अवसर आये हैं, जब हमने अपने को पराजित, पददलित और शोषित अनुभव किया है। इस […]
………… येन द्योरुग्रा पृथ्वी च दृढा येन स्व स्तभितं येन नाकः। यो अन्तरिक्षे रजसो विमान: कस्मै देवाय हविषा विधेम।। यजुर्वेद 32.6 के इस मंत्र में परमात्मा ने उपदेश किया है कि वह ही सब लोकलोकान्तरों का रचने वाला है, वह ही सब ग्रह नक्षत्रों का भ्रमण कराता है। वह ही सबसे महान है। वह ही […]
ऋषिराज नागर (वरिष्ठ अधिवक्ता) मनुष्य की आयु जन्म लेने के उपरान्त क्षण-क्षण/पल-पल कम होती जा रही है। मनुष्य के जन्म लेने के बाद4 बचपन का समय बिना सोचे समझे ही गुजर जाता है, उसके बाद हम विद्या अर्जन ( पठन-पाठन) में अपनी आयु के करीब 20-25 वर्ष निकाल देते हैं। तदुपरान्त यौवन में अपनी घर- […]