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आज का चिंतन

ऊंची ऊंची डिग्रियां मुफ्त में नहीं मिलती

    *"ऊंची ऊंची डिग्रियां मुफ्त में नहीं मिलती। जैसे कि C A, MBA, M Tech, MD, MS, आदि डिग्रियां। ऐसे ही वेदाचार्य, दर्शनाचार्य, योगाचार्य एवं किसी विषय में Phd की डिग्री आदि, ये छोटी डिग्रियां नहीं हैं, ये सब ऊंची डिग्रियां हैं। ये सब आसानी से नहीं मिलती हैं।" "इनको प्राप्त करने के लिए वर्षों तक कठोर परिश्रम पुरुषार्थ तपस्या करनी पड़ती है।"*
 *"इसी प्रकार से जीवन में भी यदि सुख चाहिए, तो वह भी आसानी से नहीं मिलता, उसके लिए भी कठोर पुरुषार्थ और तपस्या करनी पड़ती है। उस मार्ग में भी बाधाएं बहुत आती हैं। यह तो स्वाभाविक ही है।"* 
   ऐसा क्यों है? क्योंकि अज्ञानी और स्वार्थी लोग, अपने स्वार्थ और अविद्या के कारण आपके उत्तम कार्यों में बाधा डालते हैं, और डालेंगे। *"यदि अविद्याग्रस्त लोगों की शक्ति अधिक हो, उनकी संख्या अधिक हो, तो वे अच्छे उत्तम कार्यों का विनाश भी कर देते हैं।" "ऐसी अनेक घटनाएं आपने देखी सुनी होंगी। मूर्ख और स्वार्थी लोग अच्छे भले चल रहे विद्यालय चिकित्सालय अनाथालय और वेदानुकूल ढंग से चल रही संस्थाओं का भी अपनी मूर्खता से विनाश कर देते हैं।" "इस के अतिरिक्त बैंक डकैती लूटमार आतंकवाद कमजोर व्यक्तियों पर अन्याय और अत्याचार, स्त्रियों का अपहरण और उनके साथ दुर्व्यवहार, यहां तक कि उनकी हत्या भी कर दी जाती है, इत्यादि, ये सब जो पाप कर्म होते हैं, ये दुष्ट लोगों की शक्ति अधिक होने पर ही होते हैं।"* 
     ऐसी स्थिति में यह तो स्वाभाविक है, कि सुख बहुत कठिनाई से मिलता है। इसलिए आपको संसार की वास्तविकता को समझना होगा। इसकी वास्तविकता यही है, कि *"जिसके हाथ में शक्ति संपत्ति और सत्ता है, बस उसी का संसार में आदेश चलता है।"* इसलिए वेदों में कहा है, कि *"दुष्टों को शक्ति संपत्ति और सत्ता आदि अधिकार नहीं देना चाहिए , अन्यथा वे देश धर्म का विनाश ही करेंगे।"*
     *"अतः सावधान रहें। बुद्धिमान धार्मिक चरित्रवान देशभक्त ईश्वरभक्त उत्तम आचरण वाले वेदों के विद्वान लोगों को शक्ति संपत्ति सत्ता आदि अधिकार देवें, तभी देश धर्म की रक्षा हो पाएगी, अन्यथा नहीं।"*

—– “स्वामी विवेकानन्द परिव्राजक, निदेशक दर्शन योग महाविद्यालय रोजड़, गुजरात।”

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