द्वा सुपर्णा सुयजा सखाया समानं वृक्षं परिषस्व जाते ! तयोरन्य: पिप्पलं स् वाद्वत्तनश्नन्नन्यो sभिचाकशीति !! समानेवृक्षे पुरुषो निमग्नोsनीशया शोचति मुह्यमान: ! जुष्टं यदा पश्यत्यन्यमीशमश्य महिमानमीति वीतशोक:!! यदा पश्य: पश्यते रुक्मवर्णं कर्तारमीशं पुरुषं ब्रह्मयोनिम्! तदा विद्वान् पुण्यपापे विधूय निरंजन: परमं साम्यमुपैति !! — मुण्डकोपनिषद – तृतीय मुण्डक प्रथम खण्ड १/३ भावार्थ : – इस जगत् रूपी […]
श्रेणी: आज का चिंतन
DR. D. K. Garg पौराणिक कथा – भगवान शिव की पत्नी सती जब पिता के किसी यज्ञ आयोजन में पहुँचती है तो वहाँ शिव का अपमान होता है। वो इसे सहन नहीं कर पाई और यज्ञ कुंड में कूद पड़ती है। ऐसे में उनका शरीर क्षत-विक्षत हो जाता है। सती की मृत्यु से भगवान शिव […]
लेखक आर्य सागर खारी 🖋️ इस समय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता के लिहाज से बेहद खराब स्थिति है| एयर क्वालिटी इंडेक्स 500 के आंकड़े को छू रहा है| सरकार संस्थाओं, विशेषज्ञों को सूझ नहीं रहा है ऐसी स्थिति में क्या किया जाए..? समाधान सभी के सामने है परमात्मा ने वेदों में प्रदूषण के […]
* डॉ डी के गर्ग भाग 3 निवेदन ; ये मेरा अनूठा प्रयास है जिसमे आपसी पारिवारिक संबंधों पर सूत्र दिए हैं,कोई गलती या सुधार के लिए मेरा मार्गदर्शन करे और अच्छा लगे तो शेयर करे। कुल 101 सूत्र है जो पांच भागों में है। जो पुत्र पिता के डांट फटकार ,या कुछ भी बोलने […]
* आश्चर्य किंतु सत्य है कि इक्कीसवीं शताब्दी में पढ़े लिखे लोग संत और ऋषि, योद्धा और महापुरुष और यहां तक कि भगवान को भी जातियों में बंट कर अपने को उच्च समाज का बतलाते हुए नहीं थकते हैं! अपने ही धर्म के दूसरी जाति या समाज का व्यक्ति उनके मंदिर में जाकर पूजा अर्चना […]
* डॉ डी के गर्ग भाग 2 निवेदन ; ये मेरा अनूठा प्रयास है जिसमे आपसी पारिवारिक संबंधों पर सूत्र दिए हैं,कोई गलती या सुधार के लिए मेरा मार्गदर्शन करे और अच्छा लगे तो शेयर करे। कुल 101 सूत्र है जो पांच भागों में है। 21 मित्र को अपने घरेलू मामलो में हस्तक्षेप का मौका […]
* डॉ डी के गर्ग निवेदन ; ये मेरा अनूठा प्रयास है जिसमे आपसी पारिवारिक संबंधों पर सूत्र दिए हैं,कोई गलती या सुधार के लिए मेरा मार्गदर्शन करे और अच्छा लगे तो शेयर करे। कुल 101 सूत्र है जो पांच भागों में है। अचानक मिला हुआ मित्र ,जो अक्सर आपको गले लगाए,मित्र होने का अहसास […]
डॉ डी के गर्ग कृपया शेयर करे और अपने विचार बताये। पवित्रता, प्रेम, शांति, खुशी, इन्हें दैवीय संस्कार कहते हैं। और काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार ये आसुरी संस्कार हैं। दोनों ही हर आत्मा में हैं। इसलिए आसुरी संस्कारों पर विजय भी हमें स्वयं ही प्राप्त करनी होगी। आत्मा शरीर के माध्यम से कर्म करती […]
संसार में तीन पदार्थ अनादि हैं। “अनादि का अर्थ है जिसका आदि न हो, अर्थात जिस वस्तु की उत्पत्ति कभी नहीं हुई, जो सदा से विद्यमान पदार्थ है, उसको अनादि कहते हैं।” “ऐसे तीन पदार्थ हैं, ईश्वर, आत्मा और प्रकृति।” “इन तीनों को समझना, और समझकर अपने आचरण का सुधार करना बहुत ही आवश्यक है। […]
“शक्ति ही तो शांति का आधार है ” l शांति स्थापित करने के लिए शक्तिमान बनना ही होगा l बार-बार आत्मसमर्पण को विवश होने से तो अच्छा है कि संगठन की शक्ति का शंखनाद हो और हिंदुओं में तेजस्विता का संचार हो l मुसलमानों के दिल में जगह बनाने के प्रयास में वर्षों से सक्रिय […]