Categories
आज का चिंतन

सम्बन्ध शतकम सूत्र*

*

डॉ डी के गर्ग
भाग 3

निवेदन ; ये मेरा अनूठा प्रयास है जिसमे आपसी पारिवारिक संबंधों पर सूत्र दिए हैं,कोई गलती या सुधार के लिए मेरा मार्गदर्शन करे और अच्छा लगे तो शेयर करे।
कुल 101 सूत्र है जो पांच भागों में है।

  1. जो पुत्र पिता के डांट फटकार ,या कुछ भी बोलने की शिकायत अपनी मां से करे ,और मां तुरंत पिता को खरी खोटी सुनाए,पिता को सफाई देनी पड़े,ऐसे पुत्र दुष्ट प्राकृति के होते हैं और माता पिता का कभी सम्मान नही करते
    42 जो पुत्र पिता के साथ सीमित समय के लिए सिर्फ औपचारिकता के लिए बैठे और केवल सीमित बातचीत तक ही रहे ऐसी संतान पिता के गुण ग्रहण करने से वंचित रहती है और भविष्य में पतन होना तै है
    43 यदि पूत्र पिता से हर बात पर ,हर सलाह पर बहस करे ,अपनी jod चलाए ऐसा पुत्र त्याग करने योग्य है
    44.पिता को चाहिए कि पुत्र को अच्छे संस्कार देने का प्रयास कभी ना छोड़े,और पुत्र फिर भी संस्कारी ना बने , पिता का उपहास करे तो ऐसे पुत्र का त्याग कर दे।
    45 जो पुत्र घर से भागने की धमकी दे,या घर से भाग जाए,अपनी अलग से पॉकेट बनाए,आत्म हत्या की धमकी आदि दे ऐसा पुत्र राक्षस प्रकृति का होता है और इसका मोह छोड़ दे।
    46 संतान यदि माता पिता की सलाह नही मानती तो प्रयास करना चाहिए की चाचा,मौसी,मामा,नानी से उसको समझने का प्रयास करे ,यदि फिर भी बात नही बने तो किसी विशिष्ट मित्र का सहारा ले ,फिर भी ना माने तो उसके इसके हाल पर छोड़ दे और भविष्य में उससे कोई उम्मीद छोड़ दे।
    47 नव वधू को चाहिए की किसी भी नकारात्मक सोच को दरकिनार करके परिवार में ऐसे घुल मिल जाए जैसे दूध में मिश्री,जीवन सुखी रहेगा।
    48 परिवार की एकता की कीमत जिसने समझ ली वह सुखी जीवन व्यतीत करेगा,इसलिए छोटी छोटी और बड़ी बड़ी बाते भूलते रहे, आपस में पैसा प्रतिष्ठा,गिले शिकवे अग्नि में जला दे
    49 जैसे युवक की सास ,ससुर अनावश्यक परिवार में हस्तक्षेप करते है वह परिवार कभी सुखी और संपन्न नही हो सकता।
    50.परिवार में जिस दिन आपस में द्वश या द्वंद की स्थिति हो , उस दिन परिवार की महिलाएं आपस में प्यार से बोले और स्वादिष्ट भोजन सबको एक साथ कराए,द्वंद खत्म होगा।
    51 दो भाईयों के मध्य वाद विवाद में उनकी पत्नियां बीच में आग ना डाले बल्कि अपने पति को समझाए
    52 माता पिता को चाहिए की संतान में बचपन से ही ईश्वर के प्रति श्रद्धा भावना जागृत करे और उसकी रुचि कला,खेल,लेखन ,नृत्य ,साहित्य में लगाए
  2. ननद को चाहिए की भाभी का पूर्ण सम्मान करे और उसको ग्रह स्वामिनी समझे ,मित्र की भांति व्यहार करे
    54 भाभी को चाहिए की ननद के साथ अपनी बहिन जैसा बरताव करे और ननद की कोई संदिध गतिविधि होने पर शिक्षिका की भांति मारदर्शन करे ,अन्यथा उसके भाई के संज्ञान में लाए
  3. परिवार को संस्कार ,दशा और दिशा देने ज्येष्ठ पुत्र का सबसे बड़ा हाथ होता है,इसलिए बड़े भाई को परिवार की एकता, अखंडता और संपन्नता के लिए अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए
    56.बड़े भाई को छोटे भाई को पुत्र की भांति प्यार करना,गलती पर समझाना,डांटना,और मार्गदर्शन करते रहना चाहिए।
  4. पड़ोसी मनुष्य का पहला मित्र होना चाहिए,लेकिन यदि पड़ोसी शराबी,जुवारी ,क्रोधी,अहंकारी, स्वार्थी प्राकृति का हो तो उसके साथ दूरी बनाकर रहना ही उत्तम रहेगा
  5. पड़ोसी से जायदा घुलना मिलना,ज्यादा हंसी मजाक ,कर्ज देना लेना नही चाहिए
    59.पड़ोसी चाहे कितना भी गलत क्यों न हो,यदि आपके परिवार पर कोई गलत प्रभाव नहीं तो उसकी निन्दा करने से बचें
    60 विवाह में,विवाद में ,बीमारी में या अन्य संकट में बिन बुलाए भी पड़ोसी की मदद करना चाहिए.

Comment:Cancel reply

Exit mobile version