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उगता भारत न्यूज़

भारत का राष्ट्रवाद इसकी मूल चेतना में बसा हुआ है : डॉ राकेश कुमार आर्य

महरौनी (ललितपुर)। महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी के तत्वावधान में विगत 2 वर्षों से वैदिक धर्म के मर्म को युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से प्रतिदिन मंत्री शिक्षक आर्य रत्न लखनलाल आर्य द्वारा आयोजित आर्यों के महाकुंभ में दिनांक 30 अक्टूबर को ” भारत में राष्ट्रवाद और और इतिहास का […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

आधुनिक भारत के निर्माता महर्षि दयानंद सरस्वती जी महाराज

रितिका कमठान आज भारत के महान समाज सुधारक स्‍वामी दयानंद सरस्‍वती की पुण्यतिथि है। आर्यसमाज के संस्‍थापक का जन्‍म 12 फरवरी 1824 ई. को गुजरात में हुआ था।। आधुनिक भारत की नींव रखने का श्रेय उन्हीं को जाता है। उन्होंने मूर्ति पूजा और कर्मकांडों का विरोध किया था, जिस कारण कई बार उन्हें जान से […]

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आज का चिंतन

जीवन में होती है दो प्रकार की हार जीत : स्वामी विवेकानंद परिव्राजक

दो प्रकार की हार जीत होती है। एक बाहर की और दूसरी अन्दर की। जब भी कोई व्यक्ति किसी कार्य को करता है, तब उसे या तो सफलता मिलती है, या असफलता। “जब वह कार्य में सफल हो जाता है, तो लोग कहते हैं कि “वह जीत गया.” और जब अपने कार्य में असफल हो […]

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सोमनाथ क्षेत्र में क्या इस बार हो सकेगा वोटों का ध्रुवीकरण ?

गौतम मोरारका सोमनाथ का नाम आते ही भारतीय जनता पार्टी की विजय यात्रा में इसके योगदान की भूमिका ध्यान में आती है। लेकिन एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा को चुनावी सफलता कम ही मिली है। हिंदुओं की आस्था का केंद्र माने जाने वाले सोमनाथ में राजनेताओं का भी […]

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उगता भारत न्यूज़

36 सैटलाइट एक साथ छोड़ने का महान कार्य

चंद्रभूषण सैटलाइट कम्युनिकेशन की एक नई दुनिया बननी शुरू हुई है। 23 अक्टूबर 2022, दिन रविवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने ब्रिटिश कंपनी वनवेब के लिए 36 कृत्रिम उपग्रह निर्धारित कक्षाओं में बड़ी कुशलता से स्थापित करके हमारे खित्ते में इस दुनिया की नींव रख दी है। वनवेब भारतीय कंपनी नहीं है लेकिन […]

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आज का चिंतन

सिद्धि के लिए सच्चे साधन

लेखक-स्वामी श्रद्धानन्द जी यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य, वर्तते कामचारतः। न स सिद्धिमवाप्नोति, न सुखं न परां गतिम्।। गीता 16/3 शब्दार्थ- (यः) जो मनुष्य, (शास्त्रविधिम्) शास्त्र की विधि एवं आदेश को (उत्सृज्य) छोड़कर (कामचारतः वर्तते) अपनी इच्छानुकूल आचरण करता है, (सः सिद्धिं न अवाप्नोति) वह न तो सिद्धि या सफलता को प्राप्त कर सकता है (न सुखम्) न […]

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भारतीय संस्कृति

सत्यार्थ प्रकाश में इतिहास विर्मश ( एक से सातवें समुल्लास के आधार पर) अध्याय 9 ख , हमारा क्रोध होता था सात्विक

हमारा क्रोध होता था सात्विक हमें यह भी समझना चाहिए कि हमारे क्षत्रिय लोग अज्ञानी या अशिक्षित नहीं होते थे। वेदादि शास्त्रें का पढ़ना तथा पढ़ाना और विषयों में न फंस कर जितेन्द्रिय रह के सदा शरीर और आत्मा से बलवान् रहना उनके स्वभाव में सम्मिलित था । यही उनका धर्म था। अपने धर्म के […]

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