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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

कथनी और करनी में समानता रखते थे लाल बहादुर शास्त्री जी

अंकुर सिंह अमेरिका के राष्ट्रपति ने शास्त्री जी को कहा कि अगर युद्ध नहीं रुका तो गेहूं का निर्यात बंद कर दिया जाएगा। फिर, शास्त्री जी ने कहा- बंद कर दीजिए, और फिर अक्टूबर 1965 में दशहरे के दिन दिल्ली के रामलीला मैदान में शास्त्री जी ने देश की जनता को संबोधित किया। दो अक्टूबर […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र

वामपंथी इतिहासकार बड़े गर्व से कहते हैं कि उन्होंने भारतीय साहित्य नहीं पढ़ा

रोमिला थापर आदि वामपन्थी इतिहासकार बड़े गर्व से कहते हैं कि उन्होंने कोई भारतीय साहित्य नहीँ पढ़ा है। वे भारतीय साहित्य से घृणा करते हैं तथा उसे समझने में भी असमर्थ हैं। २००४ में संसद अनेक्सी में डाॅ कर्ण सिंह जी ने मुझे महाभारत कालीन ज्योतिष पर भाषण के लिये निमन्त्रित किया था। भाषण आरम्भ […]

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राजनीति

देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में हमारा राष्ट्र जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अग्रसर

धरमलाल कौशिक स्वच्छता को लेकर महात्मा गांधी जी ने जीवन भर लोगों को प्रेरित किया। गांधी जी स्वच्छता को सामाजिक और आर्थिक उत्थान का प्रकल्प मानते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2014 में देश की बागडोर संभालने के साथ गांधी जयंती के अवसर पर ही स्वच्छता अभियान का शुभारंभ किया। आज पूरा देश राष्ट्रपिता […]

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इतिहास के पन्नों से

आर्यवृत की संस्कृति है शांति और अहिंसा का संदेश

अशोक मधुप  शांति अहिंसा का संदेश महात्मा गांधी का संदेश नहीं था। यह भारत का युगों-युगों का संदेश है। उन्होंने भारत के प्राचीन शान्ति और अहिंसा के आदेश को आगे बढ़ाया। प्रारंभ से भारतवासी शांति और अहिंसा के पुजारी रहे हैं। उन्होंने कभी अपनी ओर से युद्ध नहीं छेड़ा। आज गांधी जयन्ती है। महात्मा गांधी […]

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Uncategorised आओ कुछ जाने

‘सा विद्या या विमुक्तये’ इस उक्ति को सार्थक करने की योग्यता विद्या भारती की शिक्षा में निहित

ललित गर्ग  आचार्य विनोबा भावे ने अंग्रेजी शिक्षा के स्थान पर भारतीय मूल्यों के अनुरूप शिक्षा देने की आवश्यकता को महसूस किया, लेकिन उनके सुझाव एवं विचारों को अनसूना किया गया। इतना ही नहीं देश की शिक्षा उन लोगों के हाथों में सौंपी जो अंग्रेजी मानसिकता से ग्रस्त थे। भारत को विश्वगुरु का दर्जा दिलाने […]

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शिक्षा/रोजगार

विश्व शिक्षक दिवस 5 अक्टूबर, 2021 पर विशेष शिक्षक ऐसे हों जो सारे विश्व तोड़े नहीं, बल्कि जोड़े

– ललित गर्ग- विश्व शिक्षक दिवस प्रतिवर्ष दुनिया के लगभग एक सौ देशों में 5 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस दिवस को आयोजित करने का उद्देश्य विश्वभर के शिक्षकों द्वारा विश्व के लगभग दो अरब पचास करोड़ बच्चों के जीवन निर्माण मंे दिये जा रहे महत्वपूर्ण योगदान पर विचार-विमर्श करना है। इस दिवस को […]

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इतिहास के पन्नों से हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

निष्काम कर्मयोगी थे लाल बहादुर शास्त्री

सुनील शास्त्री बाबूजी सारे संसार में शास्त्री जी के नाम से प्रसिद्ध थे। लेकिन घर परिवार में हम सब उन्हें ‘बाबूजी’ कहते थे। यह सम्बोधन धीरे-धीरे घर के नौकर-चाकर और अन्य कर्मचारियों तक की जुबान पर चढ़ गया और इस प्रकार अति निकट सम्पर्कियों में वे बाबूजी ही कहे जाने लगे। वैसे बाबूजी स्वयं व्यक्तिगत […]

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इतिहास के पन्नों से

अंतिम जन्मदिन पर उदास क्यों थे गांधीजी

विवेक शुक्ला राजधानी के तीस जनवरी मार्ग पर स्थित बिड़ला हाउस (अब गांधी दर्शन) में महात्मा गांधी के कमरे की पवित्रता और वातावरण को देखकर लगता है कि वे मानो कभी भी यहां आ जाएंगे। उनका आसन, लिखने की टेबल, लाठी वगैरह वहां पर रखे हुए हैं। कमरे के अंदर-बाहर खादी के कपड़े पहने लोग […]

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इतिहास के पन्नों से

आज का चिंतन : हमें इतिहास को किस प्रकार से देखना और पढ़ना चाहिए

बनवारी हम पराधीनता के अपने पिछले इतिहास को किस दृष्टि से देखें? इतिहासविद् सदा यह दावा करते हैं कि उसे वस्तुपरक दृष्टि से देखा जाना चाहिए। लेकिन इतिहासकारों ने कभी ऐसा किया नहीं है। क्योंकि ऐसा करना संभव ही नहीं है। हम किसी इतिवृत्त में अपने वर्तमान को ही नहीं समेट सकते, क्योंकि वह जिन […]

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इतिहास के पन्नों से

इतिहास हमारे वीर योद्धाओं और वीरांगनाओं का जिन्होंने तैमूर की सेना को गाजर मूली की तरह काट दिया

डॉ. विवेक आर्य पिछले दिनों करीना कपूर ने जब अपने बेटे का नाम तैमूर रखा तो देश में एक चर्चा चल पडी कि एक विदेशी आक्रांता और निर्मम हत्यारे के नाम पर कोई अपने बेटे का नाम कैसे रख सकता है? इस क्रम में यह बात तो सबने कहा कि तैमूर ने लाखों लोगों जिनमें […]

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