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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

भारत में राज्य और मुस्लिम महिलाएं-1

भारत में करोड़ों महिलाएं हैं। उधर भारत में लोक कल्याणकारी राज्य भी हैं, धर्मनिरपेक्ष शासक भी हैं, कानून के समक्ष समानता का नागरिकों का मौलिक अधिकार भी है, और जाति, धर्म, लिंग के आधार पर राष्ट के किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव न करने की संवैधानिक व्यवस्था भी है। इन सबके उपरांत भी देश […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

अपनी बौद्घिक क्षमताओं से छत्रसाल निरंतर आगे बढ़ता रहा

हिन्दुत्व का अर्थ…. हिंदुत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए वेबस्टर के अंग्रेजी भाषा के तृतीय अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोष में कहा गया है-”यह सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विश्वास और दृष्टिकोण का जटिल मिश्रण है। यह भारतीय उपमहाद्वीप में विकसित हुआ। यह जातीयता पर आधारित मानवता पर विश्वास करता है। यह एक विचार है, जो कि हर प्रकार […]

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बिखरे मोती

आत्मा की आवाज करती है हमारा मार्गदर्शन

बिखरे मोती-भाग 185 तत्वज्ञान प्राप्ति के लिए आत्मज्ञानी व्यक्ति बाधा आने पर भी विचलित नही होता है क्योंकि उसके अंदर स्थैर्य का विशिष्ट गुण होता है। वह थर्मोस्टेट की तरह होता है, थर्मोस्टेट से अभिप्राय है कि कमरे में लगे हुए ए.सी. के तापमान को स्थिर रखने वाला यंत्र। इस यंत्र की यह विशेषता है […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-57

वायु-जल सर्वत्र हों शुभ गन्ध को धारण किये पृथ्वी के समस्त प्राणधारियों को जीवन इस सूर्य से मिलता है। पृथ्वी सूर्य से ऊर्जा प्राप्त करती है और यही ऊर्जा इसकी सतह को गर्माती है। वैज्ञानिकों का मत है कि इस ऊर्जा का लगभग एक तिहाई भाग पृथ्वी को घेरने वाली गैसों के आवरण अर्थात वायुमंडल […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

नकारात्मक व ओच्छी मानसिकता की पत्रकारिता

खोजी पत्रकारिता और लोकतंत्र का चोली दामन का साथ है। पत्रकारिता के बिना लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि लोकतंत्र विचारों को निर्बाध रूप से बहने देकर उनसे नवीन आविष्कारों को जन्म देकर लोगों के वैचारिक और बौद्घिक स्तर को ऊंचा उठाने में सहायक शासन प्रणाली का नाम है। नवीन आविष्कारों से […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय स्वर्णिम इतिहास

1857 की क्रान्ति का नायक धनसिंह गुर्जर कोतवाल

1857 की क्रान्ति मेरठ छावनी से 10 मई को शुरू हुई थी, वास्तव में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, बिहार केसरी कंवर सिंह, नाना साहब पेशव हजरत महल, अन्तिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर, बस्तखान , अहमदुल्ला, शाह गुलाम गोसखां तथा अजी मुल्ला खान आदि ने 31 मई 1857 की तारीख उस महान क्रान्ति के […]

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राजनीति संपादकीय

राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी

राष्ट्र अपने आप में एक अदृश्य और अमूत्र्त भावना का नाम है। इस अमूत्र्त भावना को साकार करता है-हमारा राष्ट्रवाद, और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण। जब एक ‘बिस्मिल’ यह कह उठता है :- यदि देशहित मरना पड़े मुझको सहस्रों बार भी। तो भी न मैं इस कष्ट को निज ध्यान में लाऊं कभी।। हे ईश भारतवर्ष में […]

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संपादकीय

नेहरू, चीन और शांतिपूर्ण सह -अस्तित्व की अवधारणा-2

शीतयुद्घ का काल यूरोप उस समय विश्व राजनीति का केन्द्र बिन्दु था। इसके सारे राष्ट्रों की पारस्परिक ईष्र्या, द्वेष, डाह और घृणा की भावना ने विश्व को दो महायुद्घों में धकेल दिया था। द्वितीय विश्वयुद्घ के पश्चात भी इनकी ये बातें समाप्त नही हुईं, इसलिए संसार ‘शीतयुद्घ’ के दौर में प्रविष्ट हो गया। उसने आग […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

कपिल मिश्रा और अरविन्द केजरीवाल की कलंक कथा

जलता हुआ प्रश्न एक ही, दिल्ली किसको बोल रही? रक्त चूसते भ्रष्टाचारी उनका घूंघट खोल रही। सपनों का महल जलाना राजनीति का व्यवसाय बना, कब तक इनसे जूझूंगी मैं? दिल्ली की माटी बोल रही। वास्तव में दिल्ली आज अपने आप पर लज्जित है। सवा दो वर्ष पूर्व दिल्ली ने जिन अपेक्षाओं के साथ अपनी शासन […]

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राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

‘लहरी’ नही ‘प्रहरी’ बनें जनप्रतिनिधि

राजनीति के व्यापार में अपना भाग्य आजमाने के लिए लोग तिजोरी का मुंह खोले रखते हैं। अपने विरोधी को मैदान से हटाने के लिए या अपने लिए मैदान साफ रखने के लिए राजनीतिक लोग हर प्रकार का हथकंडा अपनाते हैं। अभी दिल्ली में एम.सी.डी. के संपन्न हुए चुनावों में भाजपा की एक बागी प्रत्याशी को […]

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