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राजनीति संपादकीय

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-2

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण-भाग-2 आज कुछ असामाजिक तत्व मजहब के नाम पर एक होकर देश को तोड़ रहे हैं। 12 राज्यों में नक्सलियों को कम्युनिस्टों का सहयोग और संरक्षण प्राप्त है। देश की आर्थिक नीतियों पर और कश्मीर के प्रश्न पर हम अमेरिकी दबाव में कार्य करते हैं। शिक्षानीति और देश की न्याय व्यवस्था पर सरकार […]

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मनु की राजव्यवस्था

भारत की जाति व्यवस्था और मनु

भारत की संस्कृति जातिवादी व्यवस्था की विरोधी है। यह मानव मात्र की एक ही जाति मानती है और मानव को ‘एक’ बनने के लिए संस्कारित करने पर बल देती है। भारतीय संस्कृति के इस प्राणसूत्र को महर्षि मनु ने मनुस्मृति में ‘जन्मना जायते शूद्र: संस्कारात्द्विज उच्यते’ कहकर स्थान दिया है। जब महर्षि मनु ऐसा कहते […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

सूर्य के प्रकाश की भांति भारतीय गगनमंडल पर छा गया छत्रसाल

महाराज जनक की आनंदाग्नि राजा जनक अपने दरबार में वेदव्यास जी के साथ गंभीर शांत चर्चा में निमग्न थे। वेदव्यास जी राजा के समक्ष गूढ़ तत्वों की मीमांसा कर रहे थे। बड़ी उत्कृष्ट चर्चा चल रही थी। चारों ओर इतना आनंद था कि मानो अमृत वर्षा हो रही हो। राजा जनक शांतमना उस अमृतवर्षा का […]

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पूजनीय प्रभो हमारे……

पूजनीय प्रभो हमारे……भाग-58

वायु-जल सर्वत्र हों शुभ गन्ध को धारण किये विश्व स्वास्थ्य संगठन इस समय छोटे-छोटे द्वीपीय देशों के अस्तित्व को लेकर बड़ी कठिन स्थिति में फंसा हुआ है। पर्यावरण असंतुलन की स्थिति से निपटने के लिए आज भी बहुत से देश मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार नहीं हैं। विश्व के अधिकांश देश ऐसे हैं-जिनके पास किसी गंभीर […]

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मुद्दा राजनीति विशेष संपादकीय संपादकीय

अलविदा-तीन तलाक

अलविदा-तीन तलाक हम एकऐतिहासिक और मौन क्रांति के साक्षी बन रहे हैं। भारत में मुस्लिम समाज में व्याप्त एकअभिशाप को हम मिटता देख रहे हैं। देश के भीतर जिस प्रकार इस अभिशाप को मिटाने के लिए मुस्लिम महिलाएं सामने आयीं और उनके इस सार्थक प्रयास को बहुत से मुस्लिम विद्वानों ने भी अपना समर्थन यह […]

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संपादकीय

साबरमती के संत का चमत्कार – २

क्या उसने इसके उपाय किये हैं या कौन से अन्य उपाय किये जाने उसके पास शेष हैं? यदि उसके पास कुछ शेष है तो उसके विकल्प क्या हैं? हमारी जनता भी अपने राजनीतिज्ञों से ऐसे ही प्रश्न पूछे। उन्हें वास्तविक बिंदुओं पर लाने के लिए वह प्रेरित भी करे और बाध्य भी करे। ‘हवाई फायरों’ […]

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मुद्दा विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता जलस्रोतों के बचाव की

देश व प्रदेश में जलस्तर गिरता जा रहा है, जो कि एक चिंता का विषय है। उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्यप्रताप शाही ने प्रदेश में जलस्रोत के नीचे खिसकने पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि खेत तालाब योजना के अंतर्गत 3338 तालाब खोदे जाएंगे। श्री शाही एक सुलझे हुए राजनीतिज्ञ हैं। वह […]

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संपादकीय

राष्ट्रघाती मुस्लिम तुष्टिकरण

जो बातें अंग्रेजों के काल में नहीं हो पायीं वे स्वतंत्र भारत में हो गयीं। यथा- नेहरू परिवार की व्यक्ति पूजा परक राजनीति। नेहरू परिवार की मुस्लिम परस्त राजनीति। नरसिम्हाराव के प्रधानमंत्री काल में मस्जिदों के मुल्लाओं का वेतन सरकारी कोष से दिये जाने की घोषणा। सन 1993 ई. में हज के लिए सरकारी सहायता […]

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विशेष संपादकीय संपादकीय

आवश्यकता है रामायण रेलमार्ग और उच्च राजपथ की

रामचंद्रजी महाराज भारत की संस्कृति के मर्यादा पुरूषोत्तम हैं, उनके बिना भारत की संस्कृति का जीवंत उदाहरण देना हमें कठिन हो जाएगा। भारत की मर्यादित संस्कृति की रक्षा कोई ऋषि, संत या महात्मा करे यह तो संभव है, पर इस कार्य को कोई राजवंशी राजपुरूष मर्यादित रहकर करे-यह अपने आप में एक महत्वपूर्ण बात है। […]

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संपादकीय

लोकतंत्र में आलोचना

लोकतंत्र सचमुच सर्वोत्तम शासन प्रणाली है। इसकी सर्वोत्तमता का कारण यह नहीं है कि यह शासन प्रणाली मताधिकार के माध्यम से जनसाधारण की शासन में सहभागिता सुनिश्चित करती है, अपितु इसकी सर्वोत्तमता का वास्तविक रहस्य इसके द्वारा लोगों को और विशेषत: शासकवर्ग को एक दूसरे की आलोचना, प्रत्यालोचना और समालोचना करने का अधिकार भी देती […]

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