भारत आज वैश्विक पटल पर एक महत्वपूर्ण आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है एवं भारत विश्व को कई क्षेत्रों में नेतृत्व प्रदान करने की स्थिति में भी आ गया है। कुछ देश (चीन एवं पाकिस्तान सहित) भारत की इस उपलब्धि को सहन नहीं कर पा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर समस्त विघटनकारी शक्तियां […]
श्रेणी: मनु की राजव्यवस्था
रवि शंकर आधुनिक विद्वानों का सबसे प्रमुख शगल है स्त्री विमर्श। विषय कोई-सा भी हो स्त्रियों का मुद्दा उसमें जोड़ ही दिया जाता है। राजनीति से लेकर सेना तक और शिक्षा से लेकर व्यवसाय तक स्त्रियों को प्रमुखता देने, उनके प्रतिनिधित्व को बढ़ाने की बात की जाती है। ये बातें सकारात्मक और रचनात्मक हैं, इसलिए […]
देश की राजनीति में ‘ मनुवादी ताकतें ‘ और ‘ ब्राह्मणवादी व्यवस्था ‘ जैसे मुहावरे अक्सर चलते रहते हैं । देश के राजनीतिज्ञों के द्वारा यह मुहावरे अपनी – अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए प्रयोग किए जाते हैं । इनका उद्देश्य इस प्रकार के मुहावरों के माध्यम से अपना राजनीतिक लाभ प्राप्त करना होता […]
भारत की संस्कृति जातिवादी व्यवस्था की विरोधी है। यह मानव मात्र की एक ही जाति मानती है और मानव को ‘एक’ बनने के लिए संस्कारित करने पर बल देती है। भारतीय संस्कृति के इस प्राणसूत्र को महर्षि मनु ने मनुस्मृति में ‘जन्मना जायते शूद्र: संस्कारात्द्विज उच्यते’ कहकर स्थान दिया है। जब महर्षि मनु ऐसा कहते […]
गतांक से आगे…….. एक अध्यापक को अपने उसी शिष्य से विशेष स्नेह होता है जो पढऩे में सदा अग्रणी रहता है, चरित्रवान है, आज्ञाकारी है। जबकि उस अध्यापक को अपने उस शिष्य से कोई स्वार्थ नहीं है पर फिर भी वह उसे ही अधिक स्नेह करता है तो केवल इसलिए कि वह शिष्य कत्र्तव्य परायण […]
गतांक से आगे…….. इस उपदेश में राम का संकेत है कि राजा के निर्णयों की गोपनीयता सदा बनी रहनी चाहिए। यदि तुम्हारे निर्णय या तुम्हारे मन की बात समय से पहले लोगों को पता चल जाती है तो निश्चय ही इसे आपकी असावधानी माना जाएगा। आपको यह ध्यान रखना होगा कि दीवारों के भी कान […]
गतांक से आगे…….. यह मिलन पारिवारिक है दो भाईयों का मिलन है, पर इसमें चर्चा ऐसी चली है कि जो परिवार को भी और समाज व राजनीति को भी कुछ संदेश दे रही है कि अपने से छल करने वालों के प्रति भी सहज और सरल रहो, वर्तमान में जीओ, और आये हुए अतिथि का […]