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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

गांधीवाद की परिकल्पना – 2

उनकी दृष्टि में गोवध बंदी का कानून बनाना अन्याय था। यही उनकी धर्मनिरपेक्षता थी। जो मजहब जैसे चाहे नंगा खेले-यह उनकी सोच थी। इन नंगा खेल खेलने वालों को हिंदू को चुप रहकर सहना है। यह गांधीजी की विचारधारा थी। हिंदू मानवीय रहे, हिंदू का कानून मानवीय रहे, यह उनकी सोच का केन्द्र बिन्दु था। […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

गांधीवाद की परिकल्पना -4

राक्षसों का दमन अनिवार्य गांधीजी ने राजनीति के सुधार की बात तो की किंतु राक्षसों के दमन का कोई भी उपदेश अपने प्रिय शिष्य जवाहर को नहीं दिया। इसलिए गांधीजी का दृष्टिकोण और गांधीवाद दोनों ही भारत में उनकी मृत्यु के कुछ दशकों में ही पिट व मिट गये। जबकि ऋषि वशिष्ठ का श्रीराम को […]

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विशेष संपादकीय

कैसे बने भाजपा की पसंद का राष्ट्रपति

देश को अगले राष्ट्रपति को लेकर हर देशवासी की उत्सुकता बढ़ती जा रही है। कुछ लोगों ने उत्तर प्रदेश में भाजपा को मिली शानदार सफलता के पश्चात इस पद के लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का नाम भी उछाल दिया है। जबकि भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी संभावित प्रत्याशी चले आ रहे हैं।  अब इस समय […]

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विशेष संपादकीय

राम मंदिर और राष्ट्र मंदिर

राम मंदिर और राष्ट्र मंदिर दिसंबर 1940 में मदुरई में अखिल भारत हिन्दू महासभा का अधिवेशन हुआ तो वीर सावरकर को संगठन ने पुन: अपना अध्यक्ष निर्वाचित किया। भीषण ज्वर होते हुए भी उन्होंने विशाल जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा-”हिन्दुओं को अहिंसा, चरखा व सत्याग्रह के प्रपंच से सावधान रहना चाहिए। संपूर्ण अहिंसा की […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

गांधीवाद की परिकल्पना – 3

कमीशन की राजनीति कमीशन के नाम पर जिन बड़ी महत्वाकांक्षी योजनाओं और उद्योग नीति का श्रीगणेश यहां पर किया गया उसकी परिणति यह हुई है कि कमीशन आधारित राजनीति का शिकंजा पूरे देश पर कसा जा चुका है। इसे राजनीतिक पार्टियां चंदे का नाम देती हैं। वास्तव में यह चंदा राजनीतिज्ञों की खरीद फरोख्त का […]

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विशेष संपादकीय

‘बिंदास बोल’ के सत्यार्थ पर असहिष्णुता

सुदर्शन न्यूज चैनल के मालिक एवं मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके राष्ट्रवाद की एक मुखर आवाज होकर उभरे हैं। उन्होंने भारत में हिन्दू विरोध की होती राजनीति को सही दिशा देनेका सराहनीय और साहसिक कार्य किया है। धर्मनिरपेक्षपता के पक्षाघात से पीडि़त मीडिया को उन्होंने सही राह दिखाने का कार्य किया है। यह उस समय […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

गांधीवाद की परिकल्पना

‘भारत नेहरू-गांधी का देश हो गया है।’ तथा इसकी विचारधारा गांधीवादी हो गयी है। ये विशेषण है जो हमारे कर्णधारों ने विशेषत: स्वतंत्र भारत में उछाले हैं। वास्तव में सच ये है कि इन विशेषणों के माध्यम से देश को बहुत छला गया है। वाद क्या होता है? हमें कभी ये भी विचार करना चाहिए […]

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राजनीति

शराबबंदी की मांग योगी सरकार के लिये बडी चुनौती

ब्रह्मानंद राजपूत उत्तर प्रदेश में नयी सरकार बनने के बाद से जिस तरफ देखो उस तरफ शराब की बंदी के लिए आवाज उठाई जा रही है। यह आवाज महिलाएं उठा रही हैं। उत्तर प्रदेश के लगभग हर जिले में शराबबंदी के पक्ष में आवाज बुलंद की जा रही है और लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। […]

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भयानक राजनीतिक षडयंत्र संपादकीय

ऐतिहासिक भवनों एवं किलों की उपेक्षा-2

इस धर्मनिरपेक्षता की रक्षार्थ यदि इन्हें हमारी वीर राजपूत जाति की क्षत्राणियों के हजारों बलिदानों को भुलाना पड़े, उनके जौहर को विस्मृति के गड्ढे में डालना पड़े और उन्हें अधम कहना पड़े तो ये लोग ऐसा भी कर सकते हैं। यह अलाउद्दीन के उस प्रयास को जो उसने महारानी पदमिनी को बलात् अपने कब्जे में […]

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विशेष संपादकीय

डा. अम्बेडकर के महान विचार

डा़ अम्बेडकर एक प्रसिद्घ विचारक और समाज सुधारक युग प्रवर्तक महापुरूष थे। उन्होंने भारत के तत्कालीन समाज की गहन और गंभीर समीक्षा की थी, और समाज में व्याप्त छुआछूत और ऊंचनीच की भावना को मिटाने केे लिए अपनी ओर से गंभीर प्रयास किये थे। उन्होंने विश्व के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में जाकर अर्थशास्त्र का व्यापक अध्ययन […]

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