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संपादकीय

……कितना बदल गया इंसान

रामचंद्रजी पिता की पीड़ा को देखकर माता कैकेयी से पूछ लेते हैं कि ”माते! मेरे राजतिलक होने के पश्चात से पिताजी इतने व्यथित क्यों हैं?” माता कैकेयी रामचंद्रजी को सारा वृतांत सुना देती है, और कह देती है कि मुझे दिये वचनों से वह लौट नहीं सकते और तुम्हें राजतिलक करके अब तुमसे वनगमन के […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-31/05/2014

दिखना चाहिए इंसान का प्रताप – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   मनुष्य होना अपने आप में ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान है जिसकी वजह से हम करोड़ों प्रजातियों के प्राणियों में अन्यतम एवं खास हैं। इंसान का चौला भगवान ने हमें इसलिए नहीं दिया है कि हम संकीर्ण मनोवृत्ति को अपना कर अपने-अपने दड़बों में […]

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