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प्रमुख समाचार/संपादकीय

अमत्र्य सेन और गजेन्द्र चौहान को लेकर छिड़ा विवाद

डा0 कुलदीप चन्द अग्निहोत्री प्रो0 अमत्र्य सेन नालन्दा विश्वविद्यालय के कुलापिति पद की अपनी सेवा अव िपूरी हो जाने पर मुक्त हो गये । इसको लेकर सेन अभी भी विवाद चला रहे हैं । अभिनय जगत के गजेन्द्र चौहान को पुणे की एक सरकारी संस्था फि़ल्म व टैलीविजन संस्थान का चेयरमैन नियुक्त किया गया है […]

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महत्वपूर्ण लेख

अमरीका और ईरान के बीच हुए समझौेते के अर्थ

एस. निहाल सिंह अमेरिका के नेतृत्व में विश्व की छह बड़ी ताकतों और ईरान के बीच हुआ ऐतिहासिक परमाणु समझौता एक युगांतर घटना है, जिसकी वजह से मध्य-पूर्व एशिया की बड़ी शक्तियों के आपसी रिश्तों के समीकरण में बदलाव आने के अलावा ईरान एवं अमेरिका के बीच ीरे-ीरे फिर से दोस्ती कायम होने का मार्ग […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

सदियों पुरानी कमजोरी

हिंसक जीवों से डरता था, जब रहता था कभी मांद में।अब डरता क्यों निज साये से, जब पहुंच चुका तू चांद में। इन सब का है मूल एक, निज तेरा ही व्यवहार।जीत सका नही अब तक भी, निज मन के छहों विकार। भौतिकता में उन्नत मानव, हो गया तू संपन्न।आध्यात्म रूप से हुआ कहीं, पहले […]

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संपादकीय

कल्याण सिंह कितने सही?..(5)

गुरूदेव का व्यक्तित्व गुरूदेव रविन्द्र नाथ टैगोर का व्यक्तित्व पूरी कांग्रेस से ऊपर था। क्योंकि कांग्रेस ने अपनी ‘राजभक्ति’ का व्यामोह 1929-30 में जाकर त्यागा, जब उसने भारत की पूर्ण स्वाधीनता प्राप्ति का संकल्प व्यक्त किया। इतनी देर से (1885 से 1930 तक) कांग्रेस ने आंखें खोलना उचित नही समझा। उसने 1920-21 का असहयोग आंदोलन […]

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संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

क्षेत्रीय मुस्लिम शासकों से भी चला हिन्दू शक्ति का संघर्ष

नोट: यह लेख हमसे किसी कारणवश प्रकसित नहीं हो पाया था और कुछ अन्य लेख जो इस श्रंखला में रह गए हैं, हम उन्हे प्रकसित करते रहेंगे।   भारत का कण-कण वंदनीय है भारत से शांति प्राप्त करने के लिए प्राचीन काल से लोग यहां आते रहे हैं। यहां के कण-कण में शंकर की प्रतिध्वनि को […]

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राजनीति

भाषा को लेकर भी होती रही है एक राजनीति

संजय द्विवेदी अब जबकि भोपाल में विश्व हिंदी सम्मेलन सितंबर महीने में होने जा रहा तो एक बार यह विचार जरूर होना चाहिए कि आखिर हिंदी के विकास की समस्याएं क्या हैं? वे कौन से लोग और तत्व हैं जो हिंदी की विकास बाधा हैं? सही मायनों में हिंदी के मान-अपमान का संकट राजनीतिक ज्यादा […]

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अन्य

खौफभरे लम्हों की कलमबंद स्मृतियां

डॉ. सुभाष रस्तोगी विभाजन निस्संदेह इस उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी भयावह त्रासदी थी, जिसमें लगभग डेढ़ करोड़ लोग उजड़े, आठ से दस लाख लोग नृशंस कत्लोगारत का शिकार हुए। इन्सानियत इतनी शर्मसार हुई कि उसे मुंह तक छिपाने के लिए ठौर नहीं मिला। प्रत्येक धर्म, संप्रदाय, मजहब की इसमें बराबर की भागीदारी थी। भारतीय उपमहाद्वीप […]

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अन्य

बिना संविधान के मरता हुआ देश पाकिस्तान

हरिहर शर्मा पाकिस्तानी रेंजरों ने पांच सीमा चौकियों और जम्मू जिले में भलवाल, भार्थ, मलबेला, कानाचक और सिदेरवन आदि असैनिक गांवों पर मोर्टार तोपों से भारी गोलीबारी की, जिसमें दो बीएसएफ जवानों (अंजनी कुमार और वाई पी तिवारी) सहित छह लोग जख्मी हो गए। एक दिन पहले भी हुई इसी प्रकार हुई संघर्ष विराम उल्लंघन […]

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राजनीति

भूमि विधेयक पास कराये विपक्ष

देवेन्द्र सिंह आर्य बहुत देर से चर्चा का विषय बना भूमि विधेयक को लेकर अभी भी संशय की स्थिति बनी हुई है। सरकार और विपक्ष दोनों के लिए यह विधेयक प्रतिष्ठा का प्रश्न बन चुका है। विपक्ष इस विषय में पीछे हटने को या सरकार का साथ देने को तैयार नही लगता, यद्यपि सरकार इस […]

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संपादकीय

कल्याण सिंह कितने सही?..(4)

क्रांतिकारियों को नही थी पसंद चाटुकारिता देश के क्रांतिकारी आंदोलन की विचारधारा में विश्वास रखने वाले लोगों ने ‘जन-गण-मन अधिनायक जय हे’ के गीत को लेकर गुरूदेव रविन्द्रनाथ टैगोर की आलोचना करनी आरंभ कर दी थी। इसका कारण केवल यह था कि हमारे स्वातंत्र्य समर की क्रांतिकारी विचारधारा के लोगों के लिए ‘अधिनायक’ जैसा शब्द […]

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