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संपादकीय

कल्याण सिंह कितने सही?..(1)

एक दैनिक समाचार पत्र में एक लेख ‘राज्यपाल, राष्ट्रगान और कॉमन सेन्स’ के शीर्षक से प्रकाशित हुआ। विगत 13 जुलाई 2015 को प्रकाशित हुए इस लेख के लेखक पंकज श्रीवास्तव हैं। आलेख में लेखक ने पिछले दिनों राजस्थान के राज्यपाल श्री कल्याण सिंह द्वारा राष्ट्रगान से ‘अधिनायक’ शब्द को हटाने संबंधी टिप्पणी की, यह कहकर […]

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अन्य

मत रहो भूल में ऐ हिन्दोस्तां  वालो….

जो हिंदू इस घमंड मे जी रहे है कि अरबों सालों से सनातन धर्म है और इसे कोई नही मिटा सकता, वे सपनों की दुनिया में रह रहे हैं। उन्हें याद रखना चाहिए- आखिर अफगानिस्तान से हिंदू क्यों मिट गया? काबुल जो भगवान राम के पुत्र कुश का बनाया शहर था, आज वहाँ एक भी […]

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राजनीति

दिग्गी के कार्यकाल की भी हो जांच

सुरेश हिन्दुस्थानीमध्यप्रदेश में वर्तमान में व्यापमं मामला राजनीति का केन्द्र बिन्दु बना हुआ है, सत्ताधारी दल भाजपा और कांगे्रस दोनों के लिए यह मामला अपने अपने हिसाब से संजीवनी देने का काम कर रहा है, लेकिन जब सच उजागर होगा, तब शायद कहानी कुछ और ही निकल सकती है, अब इस मामले में किसी भी […]

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राजनीति

मोदी प्रशंसकों पर चेतन भगत का एसिड अटैक

प्रवीण गुगनानी एक स्थापित हिंदी समाचार पत्र में 9 जुलाई को प्रकाशित चेतन भगत का एक आलेख प्रकाशित हुआ है, सोशल मीडिया पर भक्तों की नई प्रजाति. एसिड रस (साहित्य में नया रस) में डूबे इस लेख को मैनें बलात पढ़ा! अंग्रेजी लेखकों के बौद्धिक दंभ का शिकार हम भारतीय कोई पहली बार नहीं हो […]

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संपादकीय

कल्याण के कल्याणकारी बोल

राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह एक मंजे हुए राजनीतिज्ञ हैं, उन्होंने जीवन के कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। यह भी सत्य है कि उन्हें ये उतार चढ़ाव उनके अपने स्वाभिमानी स्वभाव के कारण भी देखने को मिले हैं। 1992 ई. में बाबरी मस्जिद विध्वंस के समय सभी भाजपाइयों से अधिक स्पष्टता और जिम्मेदारी का भाव उन्हीं […]

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प्रमुख समाचार/संपादकीय

व्यापमं से उभरे कुछ जरूरी सवाल

व्यापमं घोटाले में रहस्यमयी परिस्थितियों में मौतों का कारण क्या है, इसको लेकर कई तरह की बातें कही जा रही हैं, लेकिन इतना तो साफ है कि किसी एक घोटाले से जुड़े इतने सारे लोगों की मौत अपने आपमें एक अभूतपूर्व परिघटना है। लगता है कि हाईकोर्ट की निगरानी में मामले की जांच करने वाले […]

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महत्वपूर्ण लेख

विश्व बैंक का गरीब विरोधी नज़रिया

डॉ. भरत झुनझुनवाला विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम यांग किम ने कहा है कि वर्ष 2030 तक विश्व से अति गरीबी समाप्त हो जाएगी। ध्यान दें, शब्द ‘अति गरीबी’ है न कि गरीबी। गरीबी बढ़े और अति गरीबी घटे, ये साथ-साथ चल सकते हैं। जैसे एक भूखे बच्चे को एक रोटी दे दी जाए और […]

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अन्य कविता

महानाश का कोलाहल

जब लड़ेंगे वादी प्रतिवादी क्या पड़ोसी का रक्षण होगा?है कौन धरा पर जीव यहां, जो महानाश में अक्षुण्ण होगा? है कौन चिकित्सक ऐसा यहां, जो उस क्षण में सक्षम होगा?रे बोल परमाणु निर्माता, तेरी गद्दी का क्या होगा? जब मानव ही मिट जाएगा, तो ऐसी जीत का क्या होगा?क्या कभी ठंडे दिल से, यह विचार […]

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संपादकीय

‘गोरी’ का ‘पृथ्वी’ से करो सामना

भारत में नशीली दवाओं के व्यापार से पैदा किया गया पैसा पिछली शताब्दी के अंतिम दशक में ही भारत की खुफिया एजेंसीज के लिए चिंता का विषय बन चुका था। यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम अपने देश की अर्थव्यवस्था को विध्वंस करने और नशीली दवाओं के माध्यम से अपनी युवा पीढ़ी को नष्टï करने […]

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राजनीति

एक अच्छे गृहमंत्री राजनाथ

देवेन्द्र सिंह आर्य भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह एक मजबूत इरादे के गृहमंत्री साबित हो रहे हैं। उनकी बातों में डींग मारने की प्रवृत्ति न होकर गंभीरता और आत्मविश्वास के साथ यह स्पष्टï करने का भाव अधिक होता है कि वह एक जिम्मेदार और महान देश के गृहमंत्री हैं, जिसे किसी प्रकार की गीदड़ […]

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