Categories
संपूर्ण भारत कभी गुलाम नही रहा

कानपुर के किसोरा राज्य की आत्मबलिदानी राजकुमारी ताजकुंवरी

राकेश कुमार आर्यभारत पर आक्रमण करने के पीछे मुस्लिम आक्रांताओं का उद्देश्य भारत में लूट, हत्या, बलात्कार, मंदिरों का विध्वंस और दांव लगे तो राजनीतिक सत्ता पर अधिकार स्थापित करना था। अत: भारतीयों ने भी इन चारों मोर्चों पर ही अपनी लड़ाई लड़ी। जहां मुस्लिमों ने केवल लूट मचायी वहां कितने ही लोगों ने लूट […]

Categories
प्रमुख समाचार/संपादकीय

रक्त-रंजित मुद्रा की चकाचौंध

मुजफ्फर हुसैनमांसाहार के दो रूप हैं-एक तो उसका भक्षण करना और दूसरा उसका व्यापार करना। अपने स्वाद अथवा उदरपूर्ति के लिए उसका उपयोग अत्यंत सीमित और निजी कारोबार में लग गये। नॉर्वे, स्वीडन, डेनमार्क यानी स्कैंडेनिवयन देश दूध और मांस के धंधे में अग्रणी बने। बाद में ऑस्टे्रलिया और न्यूजीलैंड भी इस श्रेणी में आ […]

Categories
आओ कुछ जाने

सामान्य ज्ञान-6

-मूर्ख शिष्य को पढ़ाने से दुष्टस्त्री का भरण पोषण करने से और दुखी जनों के साथ व्यवहार करने से बुद्घिमान मनुष्य भी दुख उठाता है।-कटु भाषिणी और दुराचारिणी स्त्री, धूर्त स्वभाव वाला मित्र उत्तर देने वाला नौकर और सर्प वाले घर में रहना-ये सब बातें मृत्यु स्वरूप है, इसमें कोई संदेह नही है।-बुद्घिमान मनुष्य को […]

Categories
प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-26/03/2014

दशामाता को धंधा न बनाएं श्रद्धा-पर्व ही रहने दें – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com हमारे पर्वों, त्योहारों और उत्सवों से मौलिकता, आंचलिक परंपरा और श्रद्धा के भाव गायब होते जा रहे हैं और इन पर्व-उत्सवों का स्वरूप मनमाने तौर पर परिवर्तित होने लगा है। हर पर्व, उत्सव और त्योहार को अब धंधों से जोड़कर […]

Categories
विशेष संपादकीय वैदिक संपत्ति

मनुष्य का आदिम ज्ञान और भाषा-14

गतांक से आगे…..हमारे अब तक के कथन का निष्कर्ष यह है कि प्रथम विभाग वाले चमत्कारी वर्णन वेदों के हैं और दूसरे विभाग के वर्णनों का कुछ भाग वेदों का है और कुछ उस नाम के व्यक्तियों के इतिहासों का है, जिसे आधुनिक कवियों ने एक में मिला दिया है। अत: संभव और असंभव की […]

Categories
संपादकीय

आर्य-द्राविड़ की धारणा का झूठ

भारत में आर्यों को विदेशी बताने वालों ने ही यहां गोरे-काले अथवा आर्य-द्राविड़ का भेद उत्पन्न किया। जिससे यह बात सिद्घ हो सके कि भारत में तो प्राचीन काल से ही गोरे-काले का भेद रहा है और यहां जातीय संघर्ष भी  प्राचीन काल से ही रहा है। इसके लिए देवासुर संग्राम को या आर्य दस्यु […]

Categories
बिखरे मोती

बिखरे मोती-भाग 43

कुलीन शील नही छोड़ता, अगणित हों चाहे द्वंद्व गतांक से आगे….सज्जनो की कर संगति,दुष्टों का कर त्याग।पुण्य कमा हरि नाम ले,जाग सके तो जाग ।। 570।। औरों का दुख देखकै,पिघलै ज्यों नवनीत।उसके हृदय हरि बसें,करते उसे पुनीत ।। 571।। पग-पग पर कांटे बड़े,कैसे निकला जाए?या तो उनको त्याग दे,या मुंह कुचला जाए ।। 572।। कांटे […]

Categories
प्रमुख समाचार/संपादकीय

आज का चिंतन-24/03/2014

कुछ न करो, कुछ न कहो बस गुणगान करते रहो – डॉ. दीपक आचार्य 9413306077 dr.deepakaacharya@gmail.com   आदमियों की आजकल फितरत ही ऎसी होती जा रही है कि जो कुछ सोचो, जो कुछ कहो, जो कुछ करो, सिर्फ उन्हीं के लिए कहो-करो और सोचों। वे कैसे भी हों, उन्हें अपने काम करने दो, कुछ ही चर्चा न करो। उनके बारे में सब […]

Categories
विशेष संपादकीय

जब कलम से कांपते थे राजमहल

राजा सर रामपाल सिंह हिंदू महासभा के अध्यक्ष थे। उन्हीं के द्वारा ‘हिंदुस्तान’ पत्र का शुभारंभ किया गया था। पत्र के पहले संपादक थे महान हिंदूवादी और प्रखर राष्ट्रवादी चिंतक पंडित मदन मोहन मालवीय। मालवीय जी ने अपनी नियुक्ति से पहले ही राजा के समक्ष यह प्रस्ताव रख दिया था कि वे उन्हें कभी भी […]

Categories
संपादकीय

सावरकर ने हमें बताया था नेहरू के कारण हम चीन से हारे

आस्टे्रलियाई पत्रकार मेक्सवेल से भी पहले सावरकर ने हमें बताया थानेहरू के कारण हम चीन से हारे राकेश कुमार आर्य जितना यह सत्य है कि अहिंसा की रक्षा हिंसा से होती है, उतना ही यह भी सत्य है कि सत्य की रक्षा शस्त्र से होती है। आजादी के बाद उभरे हमारे नेतृत्व ने भारत के […]

Exit mobile version