#डॉ_विवेक_आर्य (दार्शनिक विचार) पाप और पुण्य कर्मों को लेकर अनेक मित्र पूछते है कि ईश्वर की प्रार्थना करने से पाप कैसे नष्ट हो जाते है? मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतन्त्र है मगर फल पाने के लिए परतन्त्र है। पाप कर्मों का फल दुःख और पुण्य कर्मों का फल सुख है। यही सुख विशेष स्वर्ग […]
लेखक: विवेक आर्य
सुख की इच्छा (दार्शनिक विचार) संसार में हर व्यक्ति सुख का अभिलाषी है। कोई भी व्यक्ति दुःखी नहीं होना चाहता एवं सदा सुख में वास करना चाहता है। दुःख त्रिविध आधिदैविक (मन, इन्द्रियों के विकार , अशुद्धि, चंचलता आदि से उत्पन्न दुःख), अधिभौतिक (अन्य व्यक्तियों द्वारा अथवा शीत, ताप,वर्षा, भूकम्प, बाढ़ आदि प्राकृतिक दैवी घटना […]
(दार्शनिक विचार) #डॉ_विवेक_आर्य शंका- एक नास्तिक ने प्रश्न किया की ईश्वर विश्वास पाप से कैसे बचाता है? समाधान- ईश्वर विश्वासी व्यक्ति सर्वव्यापक अर्थात ईश्वर को जगत में हर स्थान पर स्थित होना मानता है। जो व्यक्ति ईश्वर को मानेगा तो वह ईश्वरीय कर्मफल व्यवस्था में भी विश्वास करेगा। कर्मफल सिद्धांत जो जैसा बोयेगा वो वैसा […]
डॉ विवेक आर्य भारतीय सेना के प्रथम सेनापति जनरल करिअप्पा 1964 में अपने द्वारा लिखित पुस्तक “लेट अस वेक अप” में भारतीय मुसलमानों के विषय में लिखते है- “हमारा एक धर्म निरपेक्ष देश है। मैं मुसलमानों को उतना ही अपना भाई-बहन समझता हूँ, जितना कि भारत के अन्य सम्प्रदायों के लोगों को समझता हूँ। देश […]
#डॉ_विवेक_आर्य वामपंथी इतिहासकार रोमिला थापर ने सरकार से ‘शहरी नक्सली’ शब्द को परिभाषित करने की मांग की है। कमाल देखिये अपने आपको बुद्धिजीवी कहने वाली और दशकों से सत्ता का समर्थन लेकर भारत के शिक्षा संस्थानों के पाठयक्रम को निर्धारित करने वाली रोमिला थापर ‘शहरी नक्सली’ की परिभाषा तक नहीं जानती। कोई बात नहीं हम […]
(दार्शनिक विचार) #डॉ_विवेक_आर्य मैंने अपने जीवन में 10 वर्ष विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी अस्पतालों में काम किया है। इस कार्य को करते हुए मुझे अनेक अच्छे-बुरे अनुभव हुए। सबसे अधिक बुरा तब लगता था जब मैं किसी जवान युवक-युवती को नशे के कारण अस्पताल में भर्ती होते हुए देखता था। इनमें से अनेक समृद्ध […]
आज़ादी के महानायकों में लाला लाजपत राय का नाम ही देशवासियों में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है। अपने देश धर्म तथा संस्कृति के लिए उनमें जो प्रबल प्रेम तथा आदर था उसी के कारण वे स्वयं को राष्ट्र के लिए समर्पित कर अपना जीवन दे सके। भारत को स्वाधीनता दिलाने में उनका त्याग, […]
डॉ. विवेक आर्य पिछले दिनों करीना कपूर ने जब अपने बेटे का नाम तैमूर रखा तो देश में एक चर्चा चल पडी कि एक विदेशी आक्रांता और निर्मम हत्यारे के नाम पर कोई अपने बेटे का नाम कैसे रख सकता है? इस क्रम में यह बात तो सबने कहा कि तैमूर ने लाखों लोगों […]
डॉ विवेक आर्य सभ्य समाज में किसी स्थान, मार्ग, स्मारक, शहर आदि का नामकरण ऐसे नामों से किया जाता है। जो इतिहास में बड़ी विभूति अथवा महान कार्यावेता हो। जिनसे हमें प्रेरणा मिले। सम्पूर्ण विश्व में इस नियम का पालन होता हैं। मगर हमारे भारत देश में इस नियम के विपरीत विदेशी आक्रांताओं जैसे […]
डॉ विवेक आर्य अकबर घोर विलासी, अय्याश बादशाह था। वह एक ओर हिन्दुओं को मायाजाल में फंसाने के लिए “दीने इलाही” के नाम पर माथे पर तिलक लगाकर अपने को सहिष्णु दिखाता था, दूसरी ओर सुन्दर हिन्दू युवतियों को अपनी यौनेच्छा का शिकार बनाने की जुगत में रहता था। दिल्ली में वह “मीना बाजार” […]