Categories
इतिहास के पन्नों से

इमाम ए हिंद और इकबाल

#डॉविवेकआर्य राम मंदिर निर्माण निधि के लिए धन संग्रह करते हुए राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा श्री राम जी के लिए ‘इमाम-ए-हिन्द’ का प्रयोग किया गया। हिन्दू समाज इस शब्द से प्राय: परिचित ही नहीं है। इतिहास में यह सम्बोधन अल्लामा इक़बाल द्वारा अपनी इस रचना में श्री राम जी के लिए प्रयोग किया गया था। […]

Categories
आओ कुछ जाने

आर्य / हिंदी भाषा की वर्णन लिपि का आरंभ कब हुआ ?

शंका- आर्य (हिंदी) भाषा कि वर्ण एवं लिपि का आरम्भ कब हुआ? समाधान- आर्य (हिंदी) भाषा की लिपि देवनागरी हैं। देवनागरी को देवनागरी इसलिए कहा गया हैं क्यूंकि यह देवों की भाषा हैं। भाषाएँ दो प्रकार की होती हैं। कल्पित और अपौरुषेय। कल्पित भाषा का आधार कल्पना के अतिरिक्त और कोई नहीं होता। ऐसी भाषा […]

Categories
भयानक राजनीतिक षडयंत्र

धर्म विहीन नहीं मजहब विहीन कहिए

डॉ विवेक आर्य तमिलनाडु में एक स्नेहा नामक महिला ने स्थानीय सचिवालय से अपने निजी “No Caste No Religion” अर्थात” जाती विहीन और धर्म विहीन” लिखा हुआ प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। इस प्रमाण पत्र के लिए उक्त महिला ने 9 वर्षों तक प्रतीक्षा की हैं। उक्त महिला का कहना है कि यह जाति विहीन […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

राजा जयसिंह के नाम शिवाजी का पत्र

वीर छत्रपति शिवाजी की जयंती पर विशेष रूप से प्रकाशित (IIT मुंबई में एक प्रोफेसर है -डॉ राम पुनियानी। आप साम्यवादी विचारों को प्रचारित करने में सदा लगे रहते है। आपका एक वीडियो देखने में आया जिसमें आप शिवाजी की सेना में कुछ मुस्लिम सैनिकों और अफ़ज़ल खान/औरंगज़ेब की सेना के कुछ हिन्दू सैनिकों के […]

Categories
आज का चिंतन

सरस्वती पूजा का वैदिक पक्ष क्या है ?

(दार्शनिक विचार) #डॉ_विवेक_आर्य देश भर में हिन्दू समाज “सरस्वती पूजन” के अवसर पर सरस्वती देवी की पूजा करता हैं। सरस्वती पूजा का वैदिक पक्ष इस अवसर पर पाठकों के स्वाध्याय हेतु प्रस्तुत है। विद्यालयों में सरस्वती गान किया जाता है। सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम समुल्लास में सरस्वती की परिभाषा करते हुए स्वामी दयानंद लिखते है […]

Categories
आज का चिंतन

ईश्वर और प्रकृति

#डॉ_विवेक_आर्य एक मित्र ने पूछा कि ईश्वर सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापक है तो वह अपनी शक्ति से प्रकृति को क्यों नहीं बना सकता? ईश्वर को सृष्टि की रचना के लिए प्रकृति की क्या आवश्यकता है? इस विचार का पोषण मूल रूप से सेमेटिक मत जैसे इस्लाम और ईसाइयत करते है। उनकी मान्यता है कि पूर्व […]

Categories
हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

स्वामी दयानंद और आर्यावर्त

#डॉ_विवेक_आर्य स्वामी दयानन्द ने स्वमन्तव्य-अमन्तव्य प्रकाश में ‘आर्यावर्त्त’ की परिभाषा इस प्रकार से दी है। ‘आर्यावर्त्त’ देश इस भूमि का नाम इसलिए है कि जिस में आदि सृष्टि से पश्चात आर्य लोग निवास करते हैं परन्तु इस उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विंध्याचल, पश्चिम में अटक और पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी है। इस चारों के […]

Categories
आज का चिंतन

आदर्श आचार व्यवहार

(दार्शनिक विचार) प्रेषक #डॉ_विवेक_आर्य *पूर्वाभिभाषी,सुमुखः,होता,यष्टा,दाता,अतिथीनां पूजकः,काले हितमितमधुररार्थवादी,वश्यात्मा,धर्मात्मा,हेतावीर्ष्यु,फलेनेर्ष्युः,निश्चिन्तः,निर्भीकः,ह्रीमान्,धीनाम्,महोत्साहः,दक्षः,क्षमावान्,धार्मिकः,आस्तिकः,मंगलाचारशीलः ।।* ―(चरक० सूत्र० ८/१८) *अर्थ*―मनुष्य को चाहिये कि यदि अपने पास कोई मिलने के लिए आये तो उससे स्वयं ही पहले बोले। वह सदा प्रसन्नमुख, हँसता और मुस्कराता हुआ रहे। प्रतिदिन हवन और यज्ञ करने वाला हो। मनुष्य को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिये, अतिथियों का […]

Categories
इतिहास के पन्नों से

क्या आर्य विदेशी थे ?

कार्तिक अय्यर (तमिल नाडु के अभिनेता कमल हासन ने अपनी विघटनकारी मानसिकता का प्रदर्शन करते हुए बयान दिया हैं कि द्रविड़ संस्कृति के तले दक्षिण भारतीयों को एक हो जाना चाहिए। ये लोग सम्पूर्ण भारतवर्ष को एक महान राष्ट्र बताने के स्थान पर केवल तोड़ने की बात करते हैं। आर्यों के विदेशी होने की कल्पना […]

Categories
आज का चिंतन

भारतीय वांग्मय में पाप और पुण्य

#डॉ_विवेक_आर्य (दार्शनिक विचार) पाप और पुण्य कर्मों को लेकर अनेक मित्र पूछते है कि ईश्वर की प्रार्थना करने से पाप कैसे नष्ट हो जाते है? मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतन्त्र है मगर फल पाने के लिए परतन्त्र है। पाप कर्मों का फल दुःख और पुण्य कर्मों का फल सुख है। यही सुख विशेष स्वर्ग […]

Exit mobile version