डॉ विवेक आर्य ऑड्रे ट्रश्के (Audrey Truschke) अमरीका के विश्वविद्यालय में पढ़ाती है। आपने औरंगज़ेब को लेकर एक पुस्तक लिखी है जिसका शीर्षक है Aurangzeb The Man and the Myth . इस पुस्तक में लेखिका ने औरंगज़ेब को सेक्युलर, दयालु, प्रजाहितेषी आदि सिद्ध करने का असफल प्रयास किया हैं। लेखिका को ज्ञात है कि भारतियों […]
लेखक: विवेक आर्य
सोते समय बोलने के मन्त्र🌷* ओ३म् यज्जाग्रतो दूरमुदैति दैवं तदु सुप्तस्य तथैवैति । दूरङ्गमं ज्योतिषां ज्योतिरेकं तन्मे मनः शिवसङ्कल्पमस्तु ।।-(यजुर्वेद 34/1) भावार्थ:-जो दिव्य गुणों वाला मन जागते तथा सोते समय दूर-दूर चला जाता है,जो दूर जाने वाला,ज्योतियों का प्रकाशक ज्योति है,वह मेरा मन अच्छे विचारों वाला होवे। ओ३म् येन कर्माण्यपसो मनीषिणो यज्ञे कृण्वन्ति विदथेषु धीराः […]
#डॉविवेकआर्य राम मंदिर निर्माण निधि के लिए धन संग्रह करते हुए राष्ट्रीय मुस्लिम मंच द्वारा श्री राम जी के लिए ‘इमाम-ए-हिन्द’ का प्रयोग किया गया। हिन्दू समाज इस शब्द से प्राय: परिचित ही नहीं है। इतिहास में यह सम्बोधन अल्लामा इक़बाल द्वारा अपनी इस रचना में श्री राम जी के लिए प्रयोग किया गया था। […]
शंका- आर्य (हिंदी) भाषा कि वर्ण एवं लिपि का आरम्भ कब हुआ? समाधान- आर्य (हिंदी) भाषा की लिपि देवनागरी हैं। देवनागरी को देवनागरी इसलिए कहा गया हैं क्यूंकि यह देवों की भाषा हैं। भाषाएँ दो प्रकार की होती हैं। कल्पित और अपौरुषेय। कल्पित भाषा का आधार कल्पना के अतिरिक्त और कोई नहीं होता। ऐसी भाषा […]
डॉ विवेक आर्य तमिलनाडु में एक स्नेहा नामक महिला ने स्थानीय सचिवालय से अपने निजी “No Caste No Religion” अर्थात” जाती विहीन और धर्म विहीन” लिखा हुआ प्रमाण पत्र प्राप्त किया है। इस प्रमाण पत्र के लिए उक्त महिला ने 9 वर्षों तक प्रतीक्षा की हैं। उक्त महिला का कहना है कि यह जाति विहीन […]
वीर छत्रपति शिवाजी की जयंती पर विशेष रूप से प्रकाशित (IIT मुंबई में एक प्रोफेसर है -डॉ राम पुनियानी। आप साम्यवादी विचारों को प्रचारित करने में सदा लगे रहते है। आपका एक वीडियो देखने में आया जिसमें आप शिवाजी की सेना में कुछ मुस्लिम सैनिकों और अफ़ज़ल खान/औरंगज़ेब की सेना के कुछ हिन्दू सैनिकों के […]
(दार्शनिक विचार) #डॉ_विवेक_आर्य देश भर में हिन्दू समाज “सरस्वती पूजन” के अवसर पर सरस्वती देवी की पूजा करता हैं। सरस्वती पूजा का वैदिक पक्ष इस अवसर पर पाठकों के स्वाध्याय हेतु प्रस्तुत है। विद्यालयों में सरस्वती गान किया जाता है। सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम समुल्लास में सरस्वती की परिभाषा करते हुए स्वामी दयानंद लिखते है […]
#डॉ_विवेक_आर्य एक मित्र ने पूछा कि ईश्वर सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ और सर्वव्यापक है तो वह अपनी शक्ति से प्रकृति को क्यों नहीं बना सकता? ईश्वर को सृष्टि की रचना के लिए प्रकृति की क्या आवश्यकता है? इस विचार का पोषण मूल रूप से सेमेटिक मत जैसे इस्लाम और ईसाइयत करते है। उनकी मान्यता है कि पूर्व […]
#डॉ_विवेक_आर्य स्वामी दयानन्द ने स्वमन्तव्य-अमन्तव्य प्रकाश में ‘आर्यावर्त्त’ की परिभाषा इस प्रकार से दी है। ‘आर्यावर्त्त’ देश इस भूमि का नाम इसलिए है कि जिस में आदि सृष्टि से पश्चात आर्य लोग निवास करते हैं परन्तु इस उत्तर में हिमालय, दक्षिण में विंध्याचल, पश्चिम में अटक और पूर्व में ब्रह्मपुत्र नदी है। इस चारों के […]
(दार्शनिक विचार) प्रेषक #डॉ_विवेक_आर्य *पूर्वाभिभाषी,सुमुखः,होता,यष्टा,दाता,अतिथीनां पूजकः,काले हितमितमधुररार्थवादी,वश्यात्मा,धर्मात्मा,हेतावीर्ष्यु,फलेनेर्ष्युः,निश्चिन्तः,निर्भीकः,ह्रीमान्,धीनाम्,महोत्साहः,दक्षः,क्षमावान्,धार्मिकः,आस्तिकः,मंगलाचारशीलः ।।* ―(चरक० सूत्र० ८/१८) *अर्थ*―मनुष्य को चाहिये कि यदि अपने पास कोई मिलने के लिए आये तो उससे स्वयं ही पहले बोले। वह सदा प्रसन्नमुख, हँसता और मुस्कराता हुआ रहे। प्रतिदिन हवन और यज्ञ करने वाला हो। मनुष्य को अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान देना चाहिये, अतिथियों का […]