भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है। इसके संकेत बहुत पहले मिलने लगे थे। यह एक और विभाजन की आहट है। असम में घुसपैठ के खिलाफ चले आंदोलन के कारण 1981 के बाद घुसपैठिये असम की बजाय प.बंगाल और उत्तर प्रदेश में जाकर बसने लगे। 1981 से 1991 के बीच राष्ट्रीय […]
लेखक: उगता भारत ब्यूरो
लगभग एक सप्ताह पहले हमने सुप्रीम कोर्ट की विख्यात वकील सुबुही खान का एक विडिओ देखा ,जिसमे वह समान नागरिक कानून के पक्ष में बोलते हुए इस्लाम की तारीफ़ करते हुए बोलीं कि रसूल ने ही अरब में औरतों को पुरुषों के बराबर अधिकार दिए थे , इस्लाम से पहले अरब के लोग बच्चिओं को […]
‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से थाईलैंड की अंतरराष्ट्रीय परिषद में शोधनिबंध का प्रस्तुतिकरण ! अच्छा अथवा बुरा व्यक्तित्व हमारे जीवन के आध्यात्मिक पहलु से संबंधित होता है । उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त अर्थात अच्छी साधना करनेवाला नेता निःस्वार्थी होता है और वो समाज के भलेके लिए कार्य करता है । इसके विपरित अल्प आध्यात्मिक […]
🌻(1) अजन्मा:- ईश्वर को वेद में अजन्मा कहा गया है।यथा ऋग्वेद में कहा है कि- अजो न क्षां दाधारं पृथिवीं तस्तम्भ द्यां मन्त्रेभिः सत्यैः । अर्थात् ‘वह अजन्मा परमेश्वर अपने अबाधित विचारों से समस्त पृथिवी आदि को धारण करता है।’ इसी प्रकार यजुर्वेद में कहा है कि ईश्वर कभी भी नस-नाड़ियों के बन्धन में नहीं […]
आज के समय में अधिकांश व्यक्ति उन खाद्य का सेवन करते हैं जिनमें शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्व नहीं पाए जाते हैं। इस कारण वे तरह-तरह की परेशानियों का सामना करते है। शारीरिक कमजोरी की समस्या आम हैं। थोड़ा सा काम करने के बाद ही लोग थकावट महसूस करते है। लोग शरीर को ताकतवर […]
प्रवीन मोहता इटावा का एक छात्र कानपुर के एक कोचिंग इंस्टिट्यूट में पहुंचा। लक्ष्य, IIT से बीटेक करना। एक दिन टीचर ने उस छात्र से एक सवाल किया तो वह सकपका गया। जवाब दिया, ‘अब तक आपने जो पढ़ाया, उसमें से कुछ समझ नहीं आया।’ टीचर यह सुनकर हैरान थे। काउंसलिंग में पता चला कि […]
प्रणय विक्रम सिंह कुछ घटनाएं ऐसी होती हैं जो समाज को अपने स्थापित जीवन मूल्यों के प्रति पुनः दृढ़ होने को मजबूर कर देती हैं। कुख्यात माफ़िया सरगना अतीक अहमद और उसके हर गुनाह में बराबर के शरीक अशरफ की हत्या एक ऐसी ही घटना है।निर्बल को न सताइये जाकी मोटी हाय, बुरे काम का […]
डॉ. राधे श्याम द्विवेदी भारत वर्ष के प्रायः हर क्षेत्र में मुख्य रूप से दो वर्गों का बर्चस्व रहा है। एक को शासक और दूसरे को शासित वर्ग कहा जा सकता है। शासक बाहुबली वर्ग के बारे में लोगों की आम जन अवधारणा में कोई विशेष परिवर्तन अभी तक नही दिखता है। राजशाही तो संविधान […]
ऋषि राज नागर (एडवोकेट) परमपिता परमेश्वर का मनन मनोयोग से करना चाहिए। मनोयोग से किए गए सुमिरन का लाभ मिलता है। जो मनुष्य मन से, एकाग्रता से प्रभु का जाप या भजन सुमिरन करता है, तो परमात्मा भजन का फल उसी को मिलता है, जो भजन सुमिरन या जाप करता है। ऐसा सन्त महात्मा फरमाते […]
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा समूची दुनिया में यह माना जा चुका है कि कोरोना से बचाव के लिए कोरोना प्रोटोकाल की पालना एक कारगर माध्यम है। आज हम मास्क पहनना भूल गए हैं तो सैनेटाइजर का उपयोग भी लगभग बंद ही हो गया है। इसी तरह से दो गज की दूरी की बात भी इन […]