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स्त्रियों को भी आध्यात्मिकदृष्टि से उन्नत बनने का समान अवसर ! – शोध का निष्कर्ष

‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से थाईलैंड की अंतरराष्ट्रीय परिषद में शोधनिबंध का प्रस्तुतिकरण !

अच्छा अथवा बुरा व्यक्तित्व हमारे जीवन के आध्यात्मिक पहलु से संबंधित होता है । उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त अर्थात अच्छी साधना करनेवाला नेता निःस्वार्थी होता है और वो समाज के भलेके लिए कार्य करता है । इसके विपरित अल्प आध्यात्मिक स्तर प्राप्त अर्थात साधना न करनेवाला नेता अन्यों के संदर्भ में अल्प विचार करता है । स्त्री हो अथवा पुरुष हो, अधिकांश नेता साधना नहीं करते, जिसके कारण वे नकारात्मकता से शीघ्र प्रभावित होते हैं । उसके कारण उनके कृत्यों एवं निर्णयों का समाज पर अनिष्ट परिणाम होता है । आध्यात्मिक साधना करने से स्त्री एवं पुरुष इन दोनों को भी आध्यात्मिकदृष्टि से उन्नत होने एवं वास्तविक दृष्टि से नेता बनने के लिए समानरूप से सहायता मिलती है, ऐसा प्रतिपादन ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की श्रीमती श्वेता क्लार्क ने किया ।

श्रीमती श्वेता क्लार्क बैंकॉक, थाईलैंड में ‘टुमारो पिपल’ संगठन की ओर से ऑनलाइन पद्धति से आयोजित ‘14 वीं महिला नेतृत्व एवं सक्षमीकरण परिषद 2023’ (डब्लूएलईसी 2023) में ऐसा बोल रही थीं । इस परिषद में श्रीमती श्वेता ने ‘महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय’ की ओर से ‘अध्यात्म महिला नेताओं को कैसे सक्षम बनाता है ?’ विषय पर शोधनिबंध प्रस्तुत किया । महर्षि अध्यात्म विश्वविद्याल के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी इस शोधनिबंध के लेखक हैं, तो महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के शोधकार्य समूह के साधक श्री. शॉन क्लार्क एवं श्रीमती श्वेता क्लार्क सहलेखक हैं ।

  इस अवसर पर श्रीमती श्वेता ने कहा कि उच्च आध्यात्मिक स्तर प्राप्त स्त्रियों-पुरुषों तथा अल्प आध्यात्मिक स्तरवाले स्त्रियों-पुरुषों के दो समूहों का ‘युनिवर्सल ऑरा स्कैनर’ (यु.ए.एस.) उपकरण से परीक्षण किया गया । उच्च आध्यात्मिक प्राप्त स्त्रियों-पुरुषों में बडी मात्रा में सकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल दिखाई दिया, तो अल्प आध्यात्मिक स्तरवाले स्त्रियों-पुरुषों में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल दिखाई दिया । अन्य एक परीक्षण में ऐसा दिखाई दिया कि मात्र 30 मिनट नामजप करने पर स्त्रियों-पुरुषों में निहित नकारात्मक ऊर्जा का प्रभामंडल लक्षणीयरूप से अल्प हुआ । इस संपूर्ण प्रयोग का निष्कर्ष रखते हुए श्रीमती श्वेता ने कहा कि वास्तविक दृष्टि में नेता बनने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपने स्वभावदोषों एवं अहं का निर्मूलन कर आध्यात्मिकदृष्टि से सात्त्विक जीवन व्यतीत करने पर बल देना महत्त्वपूर्ण है ।

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