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भारतीय संस्कृति

वैदिक धर्म ज्ञान विज्ञान पर आधारित संसार का प्राचीनतम धर्म है

ओ३म् ============ वैदिक धर्म वेदों का आधारित संसार का ज्ञान व विज्ञान सम्मत प्राचीनतम धर्म है। वैदिक धर्म का आरम्भ सृष्टि के आरम्भ में परमात्मा द्वारा अमैथुनी सृष्टि में उत्पन्न आदि चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य तथा अंगिरा को वेदों का ज्ञान देने के साथ आरम्भ हुआ था। वेद के मर्मज्ञ ऋषियों सहित ऋषि दयानन्द […]

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धर्म-अध्यात्म

वेद मानवता और नैतिक मूल्यों के प्रचारक विश्व के प्राचीनतम ग्रंथ है

ओ३म् “वेद मानवता व नैतिक मूल्यों के प्रसारक विश्व के प्राचीनतम ग्रन्थ हैं” ============ सृष्टि का आरम्भ सर्वव्यापक एवं सर्वशक्तिमान ईश्वर से सभी प्राणियों की अमैथुनी सृष्टि के द्वारा हुआ था। सृष्टि के आरम्भ में मनुष्य को भाषा व ज्ञान भी परमात्मा से ही मिला। वैदिक संस्कृत भाषा सृष्टि की परमात्मा प्रदत्त आदि भाषा है […]

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इतिहास के पन्नों से

हैदराबाद में धर्म की आजादी के लिए आर्य समाज का सत्याग्रह 1939

ओ३म् ========== हैदराबाद आजादी से पूर्व एक मुस्लिम रियासत बन गई थी। यहां हिन्दुओं को अपने धर्म का पालन व प्रचार करने पर नाना प्रकार के प्रतिबन्ध लगा दिये गये थे। जैसा पाकिस्तान में विगत 70 वर्षों में हुआ है, ऐसा ही कुछ यहां होता था। आर्यसमाज को भी यहां वैदिक धर्म का प्रचार करने […]

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धर्म-अध्यात्म

सर्गारम्भ से ही बिना किसी भेदभाव मनुष्यों की अविद्या दूर करते आ रहे हैं वेद

ओ३म् ========== हमारी यह सृष्टि सर्वव्यापक, सर्वशक्तिमान, सर्वज्ञ, सच्चिदानन्दस्वरूप, अनादि व नित्य परमात्मा से बनी है। ईश्वर, जीव तथा प्रकृति तीन अनादि व नित्य सत्तायें हैं। सृष्टि प्रवाह से अनादि है। इसमें सृष्टि की उत्पत्ति, स्थिति तथा प्रलय का क्रम अनादि काल से चला आ रहा है और अनन्त काल तक चलता रहा है। सभी […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

विश्व में वेदों के प्रचार का श्रेय महर्षि दयानंद और आर्य समाज को है

ओ३म् —————— पांच हजार वर्ष पूर्व हुए महाभारत युद्ध के बाद वेदों का सत्यस्वरूप विस्मृत हो गया था। वेदों के विलुप्त होने के कारण ही संसार में मिथ्या अन्धविश्वास तथा पक्षपात व दोषपूर्ण सामाजिक व्यवस्थायें फैली हैं। इससे विद्या व ज्ञान में न्यूनता तथा अविद्या व अज्ञानयुक्त मान्यताओं में वृद्धि हुई है। आश्चर्य होता है […]

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सैर सपाटा

वैदिक साधन आश्रम तपोवन का भ्रमण एवं आश्रम के समाचार

ओ३म् ============ हमें आज आर्यजगत् की साधना संबंधी प्रमुख संस्था वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून में जाने का सुअवसर मिला। कार्यालय में हमें आश्रम के मैनेजर श्री विजेन्द्र गर्ग तथा कार्यालय प्रमुख युवक श्री चन्दन सिंह जी मिले। उनके साथ आश्रम विषयक चर्चायें हुईं। कुछ सप्ताह पहले आश्रम की एक साधिका माता नरिन्द्र बब्बर जी […]

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विश्वगुरू के रूप में भारत

ईश्वर के सत्य स्वरूप और ज्ञान का प्रकाश सर्वप्रथम वेदों द्वारा किया गया

ओ३म् ========== संसार की अधिकांश जनसंख्या ईश्वर के अस्तित्व को स्वीकार करती है। बहुत बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी किसी न किसी रूप में इस सृष्टि को बनाने व चलाने वाली सत्ता के होने का संकेत करते हुए उसे दबी जुबान से स्वीकार करते हैं। हमारा अनुमान व विचार है कि यदि यूरोप के वैज्ञानिकों ने वेदों […]

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धर्म-अध्यात्म

मनुष्य जीवन की सार्थकता वेदों के अध्ययन और वेदों के आचरण में है

ओ३म् ========== हम मनुष्य है और अपनी बुद्धि व ज्ञान का उपयोग कर हम सत्य और असत्य का निर्णय करने में समर्थ हो सकते हैं। परमात्मा ने सृष्टि के आरम्भ चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद तथा अथर्ववेद का ज्ञान दिया था। यह ज्ञान सभी मनुष्यों के लिए दिया गया था। यह ज्ञान ज्ञानी व अज्ञानी […]

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हमारे क्रांतिकारी / महापुरुष

सत्य निष्ठा की मूर्ति एक असाधारण मनुष्य : बाबा मुकुंदा लाहौर

ओ३म् ============ एक साधारण मनुष्य भी सत्य को धारण कर महान कार्यों को करके यशस्वी बनने सहित समाज में मान-सम्मान पा सकता है। ऐसा ही एक व्यक्तित्व हुआ है जिसे बाबा मुकुन्दा, लाहौर के नाम से जाना जाता है। बाबा मुकुन्दा जी का परिचय ऋषिभक्त और आर्यसमाज के यशस्वी संन्यासी महात्मा आनन्द स्वामी की श्री […]

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भारतीय संस्कृति

वेद सम्मत गृहस्थ आश्रम का सम्यक निर्वाह ही गृहस्थी जीवन की सफलता है

ओ३म् ============= युवक व युवतियों के वैदिक विधि से विवाह होने से पति व पत्नी गृहस्थी कहलाते हैं। विवाह के बाद का जीवन गृहस्थ जीवन तथा इसे ही गृहाश्रम भी कहते हैं। गृहस्थाश्रम पर लोगों के तरह तरह के विचार हैं। कोई गृहाश्रम को अच्छा मानता है और ऐसे भी लोग हैं जो इस आश्रम […]

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