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आज का चिंतन

ईश्वरीय ज्ञान वेद श्रेष्ठ आचरण को ही मनुष्य का धर्म बताते हैं

ओ३म् ========== धर्म और आचरण पर विचार करने पर ज्ञात होता है कि धर्म शुभ व श्रेष्ठ आचरण को कहा जाता है। जो जो श्रेष्ठ आचरण होते हैं उनका करना धर्म तथा जो जो निन्दित तथा मनुष्य की आत्मा को गिराने वाले कम व आचरण होते हैं, वह अधर्म व निन्दित होते हैं। वेदों में […]

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इतिहास के पन्नों से

कल्याण मार्ग के पथिक वीर विप्र योद्धा ऋषि भक्त स्वामी श्रद्धानंद

ओ३म ========= स्वामी श्रद्धानन्द ऋषि दयानन्द के शिष्यों में एक प्रमुख शिष्य हैं जिनका जीवन एवं कार्य सभी आर्यजनों व देशवासियों के लिये अभिनन्दनीय एवं अनुकरणीय हैं। स्वामी श्रद्धानन्द जी का निजी जीवन ऋषि दयानन्द एवं आर्यसमाज के सम्पर्क में आने से पूर्व अनेक प्रकार के दुर्व्यसनों से ग्रस्त था। इन दुव्यर्सनों के त्याग में […]

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आज का चिंतन

ईश्वर की आज्ञा पालन के लिए सबको अग्निहोत्र यज्ञ करना चाहिए

ओ३म् ============ परमात्मा इस संसार का स्वामी है। उसी ने इस संसार को बनाया और वही संसार का पालन कर रहा है। इस संसार को बनाने का उद्देश्य परमात्मा द्वारा अनादि तथा नित्य जीवों को उनके पूर्वजन्मों के अनुसार उनके योग्य प्राणी योनियों में जन्म देना, उनके कर्मों के अनुसार उन्हें सुख व दुःख देना, […]

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व्यक्तित्व

वेदोद्धारक, समाज सुधारक और आजादी के मंत्र दाता महर्षि दयानंद

ओ३म् “वेदोद्धारक, समाज सुधारक तथा आजादी के मंत्रदाता ऋषि दयानन्द” =============== विश्व का धार्मिक जगत ऋषि दयानन्द का ऋणी है। उन्होंने विश्व को सद्धर्म का विचार दिया था। एस सद्धर्म की पूरी योजना व प्रारूप भी उन्होंने अपने ग्रन्थों व विचारों में प्रस्तुत किया है। उन्होंने बतया था कि मत-मतान्तर व सत्य धर्म में अन्तर […]

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भारतीय संस्कृति व्यक्तित्व

देश धर्म की उन्नति के लिए समर्पित होकर प्रचार किया और ऋषि भक्त चमनलाल रामपाल जी ने

ओ३म् ================ आर्यसमाज का आठवां नियम है कि अविद्या का नाश तथा विद्या की वृद्धि करनी चाहिये। आर्यसमाज ने इस नियम का पालन करते हुए देश देशान्तर से अविद्या दूर करने के अनेक उपाय किये जिनसे देश में जागृति व परिवर्तन आया है। ज्ञान का प्रचार व प्रकाश मौखिक व्याख्यानों तथा लेखन आदि के द्वारा […]

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भारतीय संस्कृति

वेदों में वर्णित प्रत्येक मनुष्य के लिए नित्य करणीय पांच कर्त्तव्य कर्म

ओ३म् =========== मनुष्य संसार में आता है। उसकी माता उसकी प्रथम शिक्षक होती है। वह माता जो अच्छा व उचित समझती है वह ज्ञान अपनी सन्तानों को देती है। प्राचीन काल में हमारी सभी मातायें व समाज की स्त्रियां वैदिक शिक्षाओं में निपुण होती थी। उन्हें सत्य व असत्य ज्ञान का विवेक हुआ करता था। […]

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आज का चिंतन

मनुष्य को आत्मा और परमात्मा के सत्य स्वरूप को जानना चाहिए

ओ३म् ========= मनुष्य एक ज्ञान प्राप्त करने में सक्षम प्राणी को कहते हैं। मनुष्य नाम मनुष्य के मननशील व सत्यासत्य का विवेक करने के कारण पड़ा है। वेदों में मनुष्य के लिए कहा गया है ‘मनुर्भव’ अर्थात् ‘हे मनुष्य! तू मनुष्य बन।’ इसका अर्थ है कि परमात्मा ने सभी मनुष्यों को प्रेरणा की है कि […]

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आज का चिंतन

यज्ञमय शाकाहार युक्त वैदिक जीवन ही सर्वोत्तम जीवन है

ओ३म् =================== वेद सृष्टि के प्राचीनतम ग्र्रन्थ हैं। वेदों के अध्ययन से ही मनुष्यों को धर्म व अधर्म का ज्ञान होता है जो आज भी प्रासंगिक एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। वर्तमान में संसार में जो मत-मतान्तर प्रचलित हैं वह सब भी वेद की कुछ शिक्षाओं से युक्त हैं। उनमें जो अविद्यायुक्त कथन व मान्यतायें हैं […]

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आज का चिंतन

आत्मा अनादि अविनाशी व जन्म मरणधर्मा है तथा मोक्ष की कामना से युक्त है

ओ३म् =============== संसार में तीन अनादि तथा नित्य पदार्थ हैं। यह पदार्थ हैं ईश्वर, जीवात्मा तथा प्रकृति। ईश्वर सत्य चित्त आनन्दस्वरूप एवं सर्वज्ञ है। आत्मा सत्य, चेतन एवं अल्पज्ञ है। प्रकृति सत्य एवं जड़ सत्ता है। अनादि पदार्थ वह होते हैं जिनका अस्तित्व सदा से है और सदा रहेगा। इन्हें किसी अन्य सत्ता ने उत्पन्न […]

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आज का चिंतन

मनुष्यों के दो प्रमुख आवश्यक कर्तव्य संध्या एवं देव यज्ञ अग्निहोत्र

ओ३म् =========== मनुष्य एक मननशील प्राणी है। इसके पास विचार करने तथा सत्य व असत्य का निर्णय करने के लिए परमात्मा से बुद्धि प्राप्त है। जैसी मनुष्यों के पास मनन करने योग्य बुद्धि होती है वैसी मनुष्येतर प्राणियों के पास नहीं होती। इस कारण मनुष्य संसार में अन्य प्राणियों की तुलना में एक भाग्यशाली प्राणी […]

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