ओ३म् ============ मनुष्य को परमात्मा ने बुद्धि दी है जो ज्ञान प्राप्ति में सहायक है व ज्ञान को प्राप्त होकर आत्मा को सत्यासत्य का विवेक कराने में भी सहायक होती है। ज्ञान प्राप्ति के अनेक साधन है जिसमें प्रमुख माता, पिता सहित आचार्यों के श्रीमुख से ज्ञान प्राप्त करना होता है। ज्ञान प्राप्ति में भाषा […]
Author: मनमोहन कुमार आर्य
मनुष्य मननशील प्राणी को कहते हैं। मनुष्य के पास परमात्मा प्रदत्त बुद्धि है जिसका सदुपयोग कर वह उचित व अनुचित तथा सत्य व असत्य का निर्णय कर सकता है। मनुष्य को अपनी बुद्धि की क्षमता बढ़ानी चाहिये। इसके लिये उसे उत्तम व ज्ञानी निष्पक्ष तथा देशभक्त गुरुओं की शरण में जाकर कृतज्ञता एवं श्रद्धापूर्वक शिक्षा […]
. महर्षि दयानन्द ने जन्मना जाति व्यवस्था का विरोध कर गुण, कर्म व स्वभाव पर आधारित करने का आन्प्दोलन किया जिसे वेदानुसार वर्ण व्यवस्था कहा जाता है । महर्षि दयानन्द ने अपने जीवन के आचार-विचार-व्यवहार से अपने शिष्यों व भक्तों का मार्गदर्शन किया। नारी जाति व दलित शूद्रों बन्धुओं को उन्होंने वेदाध्ययन का अधिकार दिलाया […]
ओ३म् “ ============ हम मनुष्य के रूप में जन्मे व जीवन जी रहे हैं परन्तु हमें यह पता नही होता कि हमारा जन्म क्यों हुआ तथा हमें करना क्या है? संसार के अधिकांश व प्रायः सभी मनुष्यों की यही स्थिति है। इस प्रश्न का उत्तर केवल वेद व वैदिक साहित्य से ही प्राप्त होता है […]
ओ३म् ============= आर्यसमाज एक सार्वभौमिक संगठन है जो संसार से धर्म व मनुष्य जीवन के क्षेत्र में सभी प्रकार की अविद्या को दूर करने के प्रयत्न करता है। आर्यसमाज की मुख्य विशेषता इसका ईश्वरीय ज्ञान वेदों पर आधारित होना है। आर्यसमाज के पास वेदों के सत्य अर्थों से युक्त ज्ञान प्राप्त है। आर्यसमाज के संस्थापक […]
ओ३म् ============== संसार में किसी भी बात के दो पक्ष हो सकते हैं एक सत्य और दूसरा असत्य। अपने जीवन में हमें कई बार इन दोनों में से एक का चुनाव करना पड़ता है। कई बार असत्य कार्य करने पर हमें लाभ और सत्य को अपनाने पर हानि होती है। ऐसी स्थिति में अधिकांश लोग […]
ओ३म् ================ मनुष्य अपनी माता से इस संसार में जन्म लेता है। आरम्भ में शैशव अवस्था होती है। समय के साथ उसके शरीर व ज्ञान में वृद्धि होती है। वह माता की बोली को सुनकर उसे समझने लगता है व कुछ समय बाद बोलने भी लगता है। शैशव अवस्था बीतने पर किशोर व कुमार अवस्था […]
ओ३म् “मनुष्य निर्माण में माता, पिता तथा आचार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका” ============== परमात्मा की व्यवस्था से संसार में मनुष्य का जन्म माता व पिता के द्वारा होता है। माता के विचारों व स्वभाव का सन्तान के निर्माण व जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यदि माता अशिक्षित व धर्म विषयक ज्ञान से हीन है, तो […]
ओ३म् ================ मनुष्य इस संसार में भौतिक स्थूल पदार्थों, जो आकार वाले हैं, उन्हें ही अपनी आंखों से देख पाता है। सूक्ष्म भौतिक पदार्थ वायु, अग्नि, आकाश व गैस अवस्था में जल को भी हम इनके होते हुए भी नहीं देख पाते। अग्नि सभी पदार्थों में निहित व छिपी रहती है। बादलों में भी अग्नि […]
ओ३म् =============== मनुष्य का आत्मा अभौतिक पदार्थ है। आत्मा से इतर मनुष्य का शरीर भौतिक पदार्थों से बना होता है। मनुष्य शरीर को पांच भौतिक पदार्थों पृथिवी, अग्नि, वायु, जल एवं आकाश से बना होने के कारण पंचभौतिक शरीर कहते हैं। आत्मा पांच भूतों व पदार्थों से पृथक अनादि, नित्य तथा चेतन पदार्थ है। यह […]