ओ३म् ================ संसार के सभी मनुष्य एक समान हैं। जन्म से सब एक समान व अज्ञानी उत्पन्न होते हैं। जीवन में ज्ञान की मात्रा व आचरण से ही उनके व्यक्तित्व व जीवन का निर्माण होता है। ज्ञान का आदि स्रोत चार वेद ही हैं। वेद न होते तो ज्ञान भी न होता। वेदों का ज्ञान […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् ========== मनुष्य एक ज्ञानवान प्राणी होता है। मनुष्य के पास जो ज्ञान होता है वह सभी ज्ञान स्वाभाविक ज्ञान नहीं होता। उसका अधिकांश ज्ञान नैमित्तिक होता है जिसे वह अपने शैशव काल से माता, पिता व आचार्यों सहित पुस्तकों व अपने चिन्तन, मनन, ध्यान आदि सहित अभ्यास व अनुभव के आधार पर अर्जित करता […]
ओ३म् ============ आज हम वेदों के अविद्वतीय विद्वान वेद-ऋषि स्वामी दयानन्द सरस्वती जी द्वारा ईश्वर विषय में की जाने वाली कुछ शंकाओं के समाधान प्रस्तुत कर रहे हैं। उन्होंने प्रश्न उपस्थित किया है कि आप ईश्वर-ईश्वर कहते हो परन्तु ईश्वर की सिद्धि किस प्रकार करते हो? इसका उत्तर देते हुए वह कहते हैं कि वह […]
ओ३म् ========== संसार में किसी विषय पर सत्य मान्यता एक व परस्पर पूरक हुआ करती हैं जबकि एक ही विषय में असत्य मान्यतायें अनेक होती व हो सकती हैं। संसार में ईश्वर व धर्म विषयक मान्यतायें भी एक समान व परस्पर एक दूसरे की पूर्वक होती हैं। इसी कारण से संसार में ईश्वर एक ही […]
ओ३म् =========== प्रत्येक रचना एक रचयिता की बनाई हुई कृति होती है। हमारी यह विशाल सृष्टि किस रचयिता की कृति है, इस पर विचार करना आवश्यक एवं उचित है। सृष्टि की रचना व उत्पत्ति आदि विषयों का अध्ययन करने पर यह अपौरुषेय रचना सिद्ध होती है। अपौरुषेय रचनायें वह होती हैं जिनको मनुष्य नहीं बना […]
ओ३म ========== वेद अपौरुषेय रचना है। सृष्टि क आरम्भ में परमात्मा ने ही अपने अन्तर्यामीस्वरूप से चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य एवं अंगिरा को उनकी आत्माओं में वेदों का ज्ञान कराया वा दिया था। प्राचीन काल से अद्यावधि-पर्यन्त सभी ऋषि वेदों की परीक्षा कर इस तथ्य को स्वीकार करते आये हैं कि वेद वस्तुतः ईश्वर […]
ओ३म् ============ हमें यह ज्ञात होना चाहिये कि ईश्वर क्या व कैसा है? उसके गुण, कर्म व स्वभाव क्या व कैसे हैं? इसका ज्ञान करने का सरलतम तरीका सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ का अध्ययन है। हमारी दृष्टि में संसार में सत्यार्थप्रकाश ग्रन्थ के समान दूसरा महत्वपूर्ण ग्रन्थ नहीं है। इसके अध्ययन से मनुष्य की सभी शंकायें व […]
ओ३म् =============== वैदिक कर्म-फल सिद्धान्त के अनुसार मनुष्य जो शुभ व अशुभ कर्म करता है, उसका फल उसे परमात्मा से अवश्य मिलता है। शुभ व पुण्य कर्मों का फल सुख तथा अशुभ व पाप कर्मों का फल दुःख होता है। हम पुस्तकें पढ़ते हैं तो इसका फल पुस्तक में वर्णित विषय का ज्ञान होना होता […]
ओ३म् ========== संसार में सभी जीवन पद्धतियों में वैदिक धर्म एवं तदनुकूल जीवन पद्धति श्रेष्ठ व महत्वूपर्ण है। इसे जानकर और इसके अनुसार जीवन व्यतीत करने पर मनुष्य अनेक प्रकार की समस्याओं से बच जाता है। मनुष्य को अपनी शारीरिक शक्तियों के विकास वा उन्नति पर ध्यान देना चाहिये। इसके लिये उसे समय पर जागना, […]
ओ३म् ============= संसार मे हम अविद्या व दुःखों को देखते हैं। इसका कारण है मनुष्यों की वेदज्ञान से दूरी। वेदों से दूरी वेदों का अध्ययन छोड़ देने के कारण हुई। प्राचीन काल में मनुष्यों के लिये जो नियम बनाये गये थे उनमें वेदों का स्वाध्याय करना अनिवार्य होता था। शास्त्रीय वचन है कि हम नित्य […]