ओ३म् गुरुकुल पौंधा-देहरादून के सुयोग्य स्नातक, कम्प्यूटर-प्रकाशन-सम्पादन कला का गहन ज्ञान रखने वाले युवा आचार्य श्री शिवदेव आर्य जी की ऋषि भक्ति एवं कार्य प्रशंसनीय हैं। आज उनका जन्म दिवस है। वह आज 27 वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। हम उनके विषय में कुछ पंक्तियां लिखने के लिये प्रेरित हुए हैं। हम उनके […]
लेखक: मनमोहन कुमार आर्य
ओ३म् ========= मनुष्य व समाज की उन्नति आर्यसमाज में जाने व आर्यसमाज के प्रचार के कार्यों से होती है। आर्यसमाज का छठा नियम है कि आर्यसमाज को मनुष्यों की शारीरिक, आत्मिक और सामाजिक उन्नति कर संसार का उपकार करना चाहिये। हम जब आर्यसमाज के सत्संगों में जाते हैं तो वहां इस नियम का पालन होने […]
ओ३म् ========= मनुष्य एक चेतन आत्मा है जो अनादि, नित्य, अविनाशी तथा अमर है। यह भाव पदार्थ है। इसका कभी अभाव नहीं होता और न ही हो सकता है। भाव पदार्थ का कदापि अभाव न होना और अभाव से भाव पदार्थ का अस्तित्व में न आना वैज्ञानिक सिद्धान्त है। हम हैं, इसका अर्थ है कि […]
ओ३म् (सन् 1966 में देश में गोरक्षा आन्दोलन चला था जिसमें सनातन धर्म सहित आर्य समाज के लोगों ने भी सक्रिय भाग लिया था। इस आन्दोलन की योजनानुसार दिनांक 7 नवम्बर, 1966 को देश की संसद का घेराव किया गया था। इस आन्दोलन के गोरक्षक सत्याग्रहियों पर सरकार द्वारा गोलियां चलाई गई थी जिसमें सहस्रों […]
मनमोहन कुमार आर्य परमात्मा ने मनुष्य को अपने पूर्वजन्म के कर्मानुसार सुख व दुःख का भोग करने के लिये जन्म दिया है। मनुष्य को सुख भोगने के लिये स्वस्थ शरीर की आवश्यकता होती है। स्वस्थ शरीर का आधार युक्त आहार-विहार होता है। मनुष्य के स्वास्थ्य के तीन आधार भी बताये जाते हैं जो कि आहार, […]
ओ३म् ======== परमात्मा ने इस सृष्टि को जीवात्माओं को कर्म करने व सुखों के भोग के लिए बनाया है। जीवात्मा का लक्ष्य अपवर्ग होता है। अपवर्ग मोक्ष वा मुक्ति को कहते हैं। दुःखों की पूर्ण निवृत्ति ही मोक्ष कहलाती है। यह मोक्ष मनुष्य योनि में जीवात्मा द्वारा वेदाध्ययन द्वारा ज्ञान प्राप्त कर एवं उसके अनुरूप […]
ओ३म् स्वभाव से मनुष्य सुख प्राप्ति का इच्छुक रहता है। वह नहीं चाहता कि उसके जीवन में कभी किसी भी प्रकार का दुःख आये। सुख प्राप्ति के लिये सद्कर्म व धर्म के कार्य करने होते हैं। अतः सत्कर्मों से युक्त प्राचीन वेदों पर आधारित वैदिक धर्म का पालन करते हुए मनुष्य अपने जीवन में सुखों […]
ओ३म् स्वभाव से मनुष्य सुख प्राप्ति का इच्छुक रहता है। वह नहीं चाहता कि उसके जीवन में कभी किसी भी प्रकार का दुःख आये। सुख प्राप्ति के लिये सद्कर्म व धर्म के कार्य करने होते हैं। अतः सत्कर्मों से युक्त प्राचीन वेदों पर आधारित वैदिक धर्म का पालन करते हुए मनुष्य अपने जीवन में सुखों […]
ओ३म् वैदिक धर्म एवं संस्कृति के उन्नयन में स्वामी श्रद्धानन्द जी का महान योगदान है। उन्होंने अपना सारा जीवन इस कार्य के लिए समर्पित किया था। वैदिक धर्म के सभी सिद्धान्तों को उन्होंने अपने जीवन में धारण किया था। देश भक्ति से सराबोर वह विश्व की प्रथम धर्म-संस्कृति के मूल आधार ईश्वरीय ज्ञान ‘‘वेद” के […]
ओ३म् ========= देश भर में व विदेश में भी जहां भारतीय आर्य हिन्दू रहते हैं, वहां कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपवली का पर्व मनाया जा जाता है। अमावस्या के दिन रात्रि में अन्धकार रहता है जिसे दीपमालाओं के प्रकाश से दूर करने का सन्देश दिया जाता है। इस दिन ऐसा क्यों किया जाता […]