आपने देखा होगा जैसे ही पाकिस्तान ने भारत से क्रिकेट मैच जीता उनके खिलाड़ियों ने पिच पर नमाज पढ़ी और बाद में पाकिस्तान के टीवी पैनलिस्ट और एक्सपर्टस ने इस नमाज मूवमेंट को ये कहकर ग्लोरिफाई किया कि हमने हिंदुओं यानी काफिरों के सामने नमाज पढ़ी… ये हरकत मुसलमानों ने कोई पहली बार नहीं की […]
लेखक: डॉ शंकर शरण
“यह स्मरण रहे कि पंडित नेहरू कोई अपनी तरह के अकेले चरित्र नहीं थे; न ही नेहरूवाद कोई अपनी तरह की अकेली परिघटना है। जिन समाजों को पराजित होने का दुर्भाग्य सहना पड़ा और कुछ समय पराए शासन में रहना पड़ा, उन सभी समाजों में ऐसे कमजोर दिमाग लोग और दासवत चिंतन प्रक्रिया देखी गई […]
नाथूराम गोडसे के नाम और उनके एक काम के अतिरिक्त लोग उन के बारे में कुछ नहीं जानते। एक लोकतांत्रिक देश में यह कुछ रहस्यमय बात है। रहस्य का आरंभ 8 नवंबर 1948 को ही हो गया था, जब गाँधीजी की हत्या के लिए चले मुकदमे में गोडसे द्वारा दिए गए बयान को प्रकाशित करने […]
शंकर शरण। बांग्लादेश में दुर्गापूजा पंडालों का विध्वंस, मंदिरों पर हमले और हिंदुओं की हत्याओं पर दुनिया के अधिकांश लोग इसके बावजूद अनभिज्ञ हैं कि यह सब पहली बार नहीं हुआ। बांग्लादेश में हिंदू संहार गत कई दशकों से सतत जारी विश्व की सबसे बड़ी घटना है। इसे नरसंहार कहना अतिरंजना नहीं। संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन, […]
रूस में 25 अक्तूबर (या 7 नवंबर) 1917 की घटना को पहले अक्तूबर या नवंबर क्रांति कहा जाता था, लेकिन 1991 में कम्युनिज्म के विघटन के बाद स्वयं रूसी उसे ‘कम्युनिस्ट पुत्स्च’ यानी “तख्तापलट” कहने लगे, जो वह वास्तव में था। उस दिन सेंट पीटर्सबर्ग में ब्लादिमीर लेनिन के पागलपन या दुस्साहस से मुट्ठी भर […]
( लेखक : डॉ शंकर शरण ) हमारे देश की पाठ्य-पुस्तकों में जवाहरलाल नेहरू का गुण-गान होते रहना कम्युनिस्ट देशों वाली परंपरा की नकल है। अन्य देशों में किसी की ऐसी पूजा नहीं होती जैसी यहाँ गाँधी-नेहरू की होती है। अतः जैसे रूसियों, चीनियों ने वह बंद किया, हमें भी कर लेना चाहिए। वस्तुतः खुद […]
शंकर शरण (वरिष्ठ पत्रकार) क्या आपने ध्यान दिया है कि कश्मीरी, बंगाली या पंजाबी हिन्दुओं के बीच महात्मा गांधी कभी लोकप्रिय नहीं रहे? कारण थाः वास्तविक जीवन का सबक। अपने लंबे अनुभव से उन्होंने गांधीजी की अनेक नीतियों और विचारों को बचपना या क्रूर मजाक से अधिक कुछ नहीं माना। बंगाली हिन्दुओं का हाल समझने […]
[ #शंकरशरण ]: #विद्याधरसूरजप्रसादनायपॉल के निधन पर मन में पहली बात यह आई कि पूर्वजों के भारत से दूर जा चुकने के बावजूद भारत और हिंदू धर्म उनके जीवन में बना रहा। वह टैगोर के बाद साहित्य का नोबेल पाने वाले भी दूसरे हिंदू मनीषी थे। त्रिनिदाद में जन्मे #वीएसनायपॉल न ईसाई बने और […]
लेखक:- डॉ. शंकर शरण बहुतेरे विदेशी लोग, और बड़ी संख्या में भारतीय उच्च-शिक्षित लोग भी भारत में ब्रिटिश राज से पहले के शासन को सामान्यतः ‘मुगल शासन’ के रूप में ही जानते हैं। वे समझते हैं कि ब्रिटिश साम्राज्य वस्तुत: मुगल साम्राज्य का उत्तराधिकारी था। उन्हें यह मोटा सा तथ्य ध्यान नहीं रहता कि […]
( लेखक : डॉ शंकर शरण ) हमारे देश की पाठ्य-पुस्तकों में जवाहरलाल नेहरू का गुण-गान होते रहना कम्युनिस्ट देशों वाली परंपरा की नकल है। अन्य देशों में किसी की ऐसी पूजा नहीं होती जैसी यहाँ गाँधी-नेहरू की होती है। अतः जैसे रूसियों, चीनियों ने वह बंद किया, हमें भी कर लेना चाहिए। वस्तुतः […]