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विशेष संपादकीय

‘राहुल गांधी : ‘मौज करन’ नही, ‘चलो चलिए देश नूं युद्घ करन’

बात 1912 की है। भारत का एक नवयुवक सैन्फ्रासिस्को पहुंचा। सैन्फ्रासिस्को में उन दिनों बाहर से आने वाले लोगों पर रोक-टोक होने लगी थी। इसलिए इमीग्रेशन अधिकारी ने उस भारतीय युवक से पूछा-‘‘तुम यहां क्यों आये हो?’’युवक ने कहा-‘‘मैं पढऩे के लिए आया हूं।’’अधिकारी ने पुन: पूछा-‘‘क्या भारतवर्ष में पढऩे की सुविधा नही है?’’युवक ने […]

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