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भारतीय संस्कृति

देवता और दैत्य का अंतर

वेद का संदेश है कि मनुष्य जितेंद्रीय बने अर्थात अपनी इंद्रियों पर विजय पाये। लेकिन इंद्रियों को जीतने की बात करने से पहले इंद्रियों के बारे में जान लेना भी अच्छा होगा। प्राय: सभी जानते हैं कि इंद्रियां 10 प्रकार की हैं ; – पांच ज्ञानेंद्रियां पांच कर्मेंद्रियां। दसों इंद्रियों के विषय में पूर्व के […]

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भारतीय संस्कृति

कैसे हो ज्ञानी की पहचान ?

सर्व भूते हिते रता, की भावना जिस व्यक्ति के भीतर मिलती है समझिए कि वह वास्तविक ज्ञानी है । जो तन से निस्वार्थ भाव से जनहितार्थ कार्य करता है , वही ज्ञानी है। माया के मर्म को समझने वाला ही ज्ञानी है। जो पुत्र की शादी करके पुत्र के लिए छल कपट से कार, कोठी […]

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भारतीय संस्कृति

उत्तिष्ठत जाग्रत : कहां तक चलोगे किनारे किनारे

मानव का खानपान बदल गया। रहन-सहन बदल गया। चाल चलन बदल गया। मानव की मान्यताएं बदल गईं ,और बदल गया मानव का स्वभाव । जैसे-जैसे मानव मूल्यों में अवमूल्यन हुआ ,मानव पतनोन्मुख होता चला गया ।मानव नामक प्राणी के अजीब गरीब चेहरे मिलते हैं । मानव के पतन का सिलसिला अभी भी और चलना चाहिए […]

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भारतीय संस्कृति

सुख-दुख के लक्षण और पुनर्जन्म

यम क्या है ? यम वायु को कहते हैं। जब यह आत्मा इस सर्वांग शरीर को त्याग कर अंतरिक्ष में जाता है तो यह अपने सूक्ष्म शरीर द्वारा उसी यम नाम की वायु में रमण करता है , तब उस वायु को हम यम कहा करते हैं। वायु को यम क्यों कहते हैं? क्योंकि परमात्मा […]

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इतिहास के पन्नों से

जनपद गौतम बुद्ध नगर का रहा है शानदार इतिहास

जनपद गौतम बुद्ध नगर का इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण है । यहां की मातृ तहसील दादरी इस जिले का प्रमुख कस्बा है । जिसे सन 1739 और 1761 में मोहम्मद शाह अब्दाली और नादिरशाह के आक्रमण के पश्चात तत्कालीन मुगल बादशाह मोहम्मद शाह रंगीला द्वारा अपने शासन की सुरक्षा के लिए स्थापित कराया गया था […]

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भारतीय संस्कृति

परमात्मा और जीव का संबंध

आत्मा परमात्मा का बालक है।जैसे एक मनुष्य का बालक अपने माता – पिता की आज्ञा के अनुसार कार्य करने पर उन्नत होता है ,उसी प्रकार आत्मा प्रभु की आज्ञा में चलकर ही उच्च बनता है। प्रभु की कौन सी आज्ञा है ? प्रभु ने ज्ञान दिया जो अपनी बालक आत्मा को दिया। उसी ज्ञान को […]

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भारतीय संस्कृति

क्या है मन , बुद्धि ,अंतः करण, तेज ,स्मृति आदि

योगी जन किस प्रकार अपने मूल आधार से ब्रह्मरंध्र तक रमण करते हुए यौगिकता को प्राप्त होते हैं ? ईश्वर ने उनको दो प्रकार के प्राण दिए हैं । एक सामान्य प्राण ,दूसरा विशेष प्राण। सामान्य प्राण कौन सा है ? सामान्य प्राण वह है जो संसार को चला रहा है , लोक लोकान्तरों में […]

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भारतीय संस्कृति

आत्मा का ब्रह्मरंध्र और कर्म चक्र से संबंध

बहुत सुना है आपने क्या लेकर तू आया जग में क्या लेकर तू जाएगा ? दूसरा सुना है कि न कुछ लेकर के आए ना कुछ लेकर जाना। खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाना है। पर वास्तव में यह सब झूठ है । हम ले करके आते भी हैं और लेकर के जाते भी […]

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भारतीय संस्कृति

ईश्वर ,जीव की समानता और प्रकृति के गुण

मनुष्य का जन्म प्राप्त करने के पश्चात जो गर्भ में रहते हुए शुभ कर्म करने की प्रतिज्ञा की थी , मनुष्य उसको प्राय: भूल जाता है और प्रकृति व जगत में रमण करता है । ईश्वर में रमण नहीं कर पाता । जो प्रकृति में और जगत में रमण करता है वह बंधन में पड़ […]

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भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति में 16 संस्कारों का महत्व

वैदिक संस्कृति संस्कारों पर बड़ा बल देती है । यदि यह कहा जाए कि वैदिक संस्कृति का निर्माण संस्कारों से ही हुआ है तो कोई अतिशयोक्ति न होगी । वास्तव में किसी व्यक्ति के कद – काठी, रूप – रंग, कुल आदि से उसकी सही पहचान नहीं हो पाती । व्यक्ति की सही पहचान उसके […]

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