वर्तमान काल में प्रत्येक व्यक्ति योग करना चाहता है। वास्तव में योग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान भाजपा सरकार ने निश्चित कर मान्यता प्रदान करा दी है। इसमें योग को पुनर्जीवित करने में और भारत के लोगों को योग के प्रति जागरूक करने में स्वामी रामदेव जी का भी बहुत बड़ा योगदान है। इसके अलावा […]
लेखक: देवेंद्र सिंह आर्य
लेखक उगता भारत समाचार पत्र के चेयरमैन हैं।
संसार का सुख क्षणभंगुर है।लेकिन मुक्ति का आनंद वर्णनातीत है जो केवल अनुभव किया जा सकता है । उस परमानंद के सामने सांसारिक सुख कदापि महत्व नहीं पा सकते ।मानव के जीवन का उद्देश्य एकमात्र यही है कि वह परम आनंद को पाता रहे। परमानंद को पाकर उसकी पूर्ण आयु ,महाकाल पर्यंत रमण करता रहे […]
सतयुग ,त्रेता, द्वापर एवं कलयुग चारों युगों का योग 43 लाख 20 सहस्त्र वर्ष होता है। ऐसी 71 चतुर्युगियों का एक मन्वंतर होता है। 14 मन्वन्तरों का सृष्टि काल होता है। 14 मन्वन्तरों को ब्रह्म का एक दिन कहते हैं। इन के पश्चात प्रलय काल हो जाता है ।इस प्रलय काल को ब्रह्म की रात्रि […]
सृष्टि के प्रारंभ में अमैथुनी सृष्टि थी।इसमें भी मानव युवावस्था में उत्पन्न हुआ । क्योंकि यदि वह बाल्यावस्था में पैदा होता तो उसका पालन-पोषण कौन करता ? मनुष्य के अंदर बुद्धि का मंडल है, मन का मंडल है, प्रकृति का मंडल है, अंतरिक्ष का मंडल है ,आत्मा का मंडल है, अंतः करण का मंडल […]
ब्रह्म ने अपने अंदर व्याप्य प्रकृति और परमाणु से स्थूल जगत को बनाकर बाहर स्थूल रूप कर और आप उसी में व्यापक होकर साक्षी भूत आनंदमय हो रहा है। जब जगत उत्पन्न होता है तभी जीवों के विचार, ज्ञान ,ध्यान, उपदेश श्रवण में परमेश्वर प्रसिद्ध और बहुत स्थूल पदार्थों से सह वर्तमान होता है ।लेकिन […]
इस प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने के लिए हमें अपने पूर्वजों ,ऋषियों ,ज्ञानियों , ध्यानियों द्वारा स्थापित कुछ परंपराओं का निर्वहन करना होगा। हमें अपनी पुरातन व सनातन संस्कृति एवं सभ्यता में लौटना होगा। हमें वेदों की ओर चलना होगा । वेदों में बताए गए रास्ते पर चल कर ही जीवन और जगत में […]
विवेकी मनुष्य व्यवहार से निवृत्त होकर परमार्थ में प्रवृत्त होते हैं ।जिसके लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह पहाड़ों की गुफाओं में एकांत में जाकर ही साधना में लीन हो बल्कि गृहस्थ आश्रम में रहते हुए अपनी साधना एवं सदाचार की संपत्ति को सुरक्षित रख सकता है। जैसे जागने वाले जंगल में भी सुरक्षित […]
✍✍✍ *🛑 जब मोहनदास कर्मचन्द गांधी ने हत्यारे अब्दुल रशीद को अपना भाई सरीखा माना और उसको निर्दोष बताया।आखिर क्या पूरा मामला है, आप भी जान ले समझ ले ताकि सनद रहे।📍* *आधुनिक भारत का पहला आतंकवादी :-* तारीख 23 दिसंबर 1926। दिल्ली के *चांदनी चौक* क्षेत्र में दोपहर के समय *स्वामी श्रद्धानंद* अपने घर […]
प्राचीन काल से अद्यतन पर्यंत मानव की इच्छा रही है शांति की खोज। इसलिए चाहे आज का मानव कितना भी भौतिक संसाधनों से परिपूर्ण है तथा चाहे कितना भी व्यस्त है , परंतु उसमें एक असीम शांति की चाह में अवश्य है । मानव को असीम शांति कैसे प्राप्त हो सकती है ? इस पर […]
‘तबकाते अकबरी’ के लेखक का मानना है कि महाराणा प्रताप ने 1572 ई. में जब मेवाड़ का राज्यभार संभाला था तो अकबर ने उन्हें समझा-बुझाकर अपने दरबार में बुलाने का प्रयास किया था। अकबर ने महाराणा को समझाने – बुझाने के लिए चार बार अपने दूत भेजे थे। इन दूतों में पहला व्यक्ति अकबर का […]